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Fact Check: स्विस बैंक में भारतीयों की ब्लैक मनी को लेकर वायरल पोस्ट गलत, सार्वजनिक नहीं हुई है सूची

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Oct 10, 2019 at 04:16 PM
  • Updated: Oct 10, 2019 at 04:41 PM

(नई दिल्ली)। स्विस बैंक में जमा भारतीयों की ब्लैक मनी से जुड़े खातों की जानकारी भारत को मिलने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। पोस्ट में दावा किया गया है कि भारत को स्विस बैंक से कुल 31 लाख खातों के बारे में जानकारी मिली है और इसमें से 90 फीसदी खाते गुजरातियों के हैं।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत साबित होता है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा गया है, ‘काले धन वालों की लिस्ट मोदी ने दहशत में खा गये और फ्लश कर दिया!’

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फर्जी खबर

पोस्ट में लिखा गया है, ‘भारत को स्विस बैंक में 31 लाख खातों की मिली जानकारी। विदेशी बैंकों के 31 लाख खातों में 90 फीसदी खाते गुजरातियों के हैं, मोदी का हलक सूख गया। सार्वजनिक करने के अपने वादे से पीछे हटे।’

पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को करीब 350 से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं।

पड़ताल

वायरल पोस्ट में पहले दावे के मुताबिक, भारत को स्विट्जरलैंड की तरफ से कुल 31 लाख खातों की जानकारी मिली है।

न्यूज सर्च में ऐसी कई खबरों का लिंक मिला। इसके मुताबिक, भारत को स्विस बैंक में जमा भारतीयों की ब्लैक मनी के बारे में जानकारी की पहली खेप मिल चुकी है। स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए) ने ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज की प्रक्रिया के तहत भारत को स्विस बैंक के खातों के बारे में जानकारी सौंपी है, जिसमें काले धन को रखा गया है।

एफटीए की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, भारत उन 75 देशों में शामिल है, जिसे एफटीए ने वित्तीय जानकारी सौंपी है।

जानकारी के मुताबिक, एफटीए ने साझेदार देशों को करीब 31 लाख खातों की जानकारी सौंपी है। हालांकि, वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि अकेले भारत को 31 लाख वित्तीय खातों की जानकारी दी गई है।

इसलिए यह दावा गलत है कि भारत को स्विट्जरलैंड की तरफ से 31 लाख खातों की सूची मिली है।

बिजनेस स्टैंडर्ड में न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से छपी खबर के मुताबिक, भारत को इस प्रक्रिया के तहत अगली जानकारी सितंबर 2020 में मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, खातों की पहचान, वित्तीय सूचनाएं, नाम, पत्ता, रहने की जगह और टैक्स पहचान संख्या, बैलेंस और कैपिटल इनकम की जानकारी एफटीए ने देशों को सौंपी हैं।

दूसरा दावा

वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि विदेशी बैंकों के 31 लाख खातों में 90 फीसदी खाते कथित रूप से गुजरातियों के हैं और इसलिए मोदी सरकार इन जानकारियों को सार्वजनिक करने के वादे से पीछे हट गई।

न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जहां भारत सरकार ने इन जानकारियों को सार्वजनिक किया हो।

एफटीए के मुताबिक, 12 देशों को स्विट्जरलैंड की तरफ से जानकारी नहीं दी गई। इसकी वजह यह रही कि जिन देशों ने अपने नागरिकों के विदेशी खातों के बारे में जानकारी मांगी थी, वह इन जानकारियों को गोपनीय रखे जाने और डाटा की सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानक को पूरा नहीं कर पा रहे थे या फिर उन्होंने यह जानकारी लेना मुनासिब ही नहीं समझा।

रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय डाटा की सुरक्षा और सूचनाओं की गोपनीयता के मामले में अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं कर पाने के कारण एफटीए ने जिन देशों को जानकारी नहीं दी, उनमें बुल्गारिया, कोस्टा रिका, रोमानिया और  साइप्रस जैसे देश हैं। वहीं, जिन देशों ने डाटा लेना मुनासिब नहीं समझा उसमें ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और कैमन आइलैंड जैसे देश शामिल हैं, जिन्हें टैक्स चोरी के लिहाज से मुफीद जगह माना जाता है।

वास्तव में देशों के बीच सूचनाओं का यह आदान-प्रदान गोपनीयता की कड़ी शर्तों के तहत हुआ है और इसी का हवाला देते हुए एफटीए के अधिकारियों ने स्विस बैंक में जमा भारतीयों के खाते और उससे जुड़ी अन्य जानकारियों को देने से मना कर दिया। जब भारत से जुड़ी जानकारी के बारे में पूछा गया, तो एफटीए के प्रवक्ता ने कहा, ‘सांख्यिकी विवरण भी गोपनीयता के दायरे में आता है।’

यानी भारत को जो जानकारी मिली, उसमें गोपनीयता एक अहम शर्त है। इसलिए सरकार ने उन जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किया। ऐसे में खाताधारकों की पहचान के सामने आने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।

जबकि, वायरल पोस्ट में यह दावा किया गया है कि जो जानकारी एफटीए की तरफ से भारत को मिली है उसके मुताबिक, 90 फीसदी खाते कथित रूप से गुजरातियों के हैं।

इनकम टैक्स विभाग के जनसंपर्क विभाग में तैनात ओएसडी सुरभि अहलूवालिया ने विश्वास न्यूज को बताया, ‘जो जानकारी सरकार को मिली है, वह बेहद गोपनीय है। उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।’ उन्होंने कहा कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच इन जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए गोपनीयता एक अहम और सख्त शर्त है।

निष्कर्ष: स्विस बैंक खातों के बारे में मिली जानकारी को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा गलत है। भारत को स्विस बैंक में भारतीयों के काले धन के बारे में जो जानकारी मिली है, वह गोपनीय डाटा है, जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है।

  • Claim Review : सरकार ने छिलाई काले धन वालों की सूची
  • Claimed By : FB User-Rajiv Dixit
  • Fact Check : झूठ
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