Fact Check: अयोध्या मामले में SC के फैसले के बाद PM मोदी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को नहीं भेजी हिंदू राष्ट्र से जुड़ी ‘चिट्ठी’
- By: Abhishek Parashar
- Published: Nov 14, 2019 at 04:30 PM
- Updated: Nov 21, 2019 at 04:59 PM
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ का फैसला आने के बाद बांग्लादेशी सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को लिखी ‘’चिट्ठी’’ वायरल हो रही है। चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से अयोध्या मामले की सुनवाई कर चुके संवैधानिक पीठ के सदस्यों को ”हिंदू राष्ट्र” में ”योगदान” देने के लिए बधाई दिया गया है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही यह चिट्ठी फर्जी है, जिसे सामाजिक सौहार्द्र की भावना को बिगाड़ने के मकसद से तैयार किया गया है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
वायरल पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ”दस्तखत” के साथ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को लिखी ”चिट्ठी” की प्रति शेयर की गई है।
अंग्रेजी में लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है, ‘मैं हिंदू राष्ट्र में आपके विशाल योगदान के लिए आपको और आपके बेंच (संवैधानिक पीठ) में शामिल जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर को बधाई देता हूं। हिंदू इस शानदार और यादगार फैसले के लिए हमेशा आपके और आपकी टीम के आभारी रहेंगे, जो हिंदू राष्ट्र का नया इतिहास बनाएगा।’
पड़ताल
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या मामले में 9 नवंबर 2018 को आदेश दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले को किसी पक्ष की हार-जीत से जोड़कर नहीं देखने की अपील की थी।
9 नवंबर को ट्वीट कर उन्होंने कहा, ‘देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।’
सुप्रीम कोर्ट जब इस मामले में फैसला दे रहा था, तब पीएम मोदी पंजाब में करतापुर कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे थे। इसके बाद देर शाम उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया, जिसे यहां सुना जा सकता है।
हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिखी गई अन्य चिट्ठियों की तस्वीरें मिलीं। दोनों ही तस्वीरों में दस्तखत और संबोधन के उनके तरीके के अंतर को साफ देखा जा सकता है।
सर्च में हमें पीएम मोदी की तरफ से 11 साल की बच्ची की चिट्ठी को उनका दिया गया एक और जवाब मिला, जिसमें उनके संबोधन के समान तरीके (नाम के बाद ‘जी’ का इस्तेमाल) को देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री अपनी चिट्ठियों में नाम के संबोधन के बाद ”जी” का इस्तेमाल करते हैं, जबकि फर्जी चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को (माननीय) की बजाए सीधे (निजी तौर पर) संबोधित किया गया है।
बांग्लादेश के स्थानीय मीडिया में इस चिट्ठी के वायरल होने के बाद ढाका में तैनात दूतावास की तरफ से वायरल हो रही चिट्ठी का खंडन किया गया।
दूतावास की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है, ‘हमारे संज्ञान में यह बात आई है कि स्थानीय मीडिया में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से सम्मानीय चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी वायरल हो रही है। यह चिट्ठी पूरी तरह से फर्जी और दुर्भावनापूर्ण मकसद के साथ लिखी गई है। यह बांग्लादेश के लोगों को गुमराह करने और सामाजिक सौहार्द्र को तोड़ने के लिए किया गया है। यह भारत के खिलाफ दुर्भावना फैलाने की साजिश है।’
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इसका खंडन किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने वायरल हो रही चिट्ठी का खंडन करते हुए कहा कि यह (दो) समुदायों के बीच द्वेष और नफरत फैलाने के मकसद से जानबूझकर तैयार की गई दुर्भावनापूर्ण चिट्ठी है। उन्होंने कहा कि इसका मकसद भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच गलतफहमी पैदा करना है।
निष्कर्ष: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को लिखी गई चिट्ठी फर्जी है। प्रधानमंत्री ने ऐसी कोई चिट्ठी रंजन गोगोई को नहीं लिखी, जिसमें उन्होंने ‘’हिंदू राष्ट्र’’ में योगदान के लिए उनका शुक्रिया किया।
- Claim Review : अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीएम मोदी ने चीफ जस्टिस रंजग गोगोई को लिखी चिट्ठी
- Claimed By : FB User-Aminul Islam, MLA - Dhing
- Fact Check : झूठ
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