नई दिल्ली (विश्वास टीम)। हॉस्टल फीस में किए गए इजाफे के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्रों के आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार फर्जी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। ऐसी ही एक तस्वीर JNUSU के पूर्व प्रेसिडेंट और छात्र नेता कन्हैया कुमार से जुड़ी हुई सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि 2002 में JNU आने के बाद से कन्हैया अब तक वहां पढ़ाई कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत और कन्हैया कुमार के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार साबित हुआ।
फेसबुक यूजर अच्छे दिन (Achhe Din) ने कन्हैया कुमार की तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ‘JNU में ऐसी कौन सी पढ़ाई है जो 17 वर्ष तक चलती है।’ पोस्ट में कहा गया है, ‘JNU में कन्हैया 2002 में 12वीं पास करके पहुंचा था, वहां ऐसी कौन सी पढ़ाई है जो 17 वर्ष तक चलती है?’
पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को 800 से अधिक लोगों ने शेयर किया है और करीब 1500 से अधिक लोगों ने पसंद किया है।
जेएनयू में हॉस्टल फीस की बढ़ोतरी को लेकर छात्र लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। न्यूज सर्च में हमें ऐसी कई खबरें मिली, जिसमें छात्रों के आंदोलन और उनकी मांगों का जिक्र किया गया है।
सर्च में हमें ऐसी कई खबरें मिली, जिसमें कन्हैया कुमार ने जेएनयू विरोध प्रदर्शन को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘फीस वृद्धि को लेकर कन्हैया कुमार ने कहा कि जेएनयू को लेकर एक माहौल बनाया जा रहा है कि इशके छात्र बिना वजह विरोध प्रद्शन कर रहे हैं, राजनीति कर रहे हैं जो सरासर झूठ है। जेएनयू में जिस तरह से फीस वृद्धि की गई, उससे 100 में से 40 फीसदी छात्र पढ़ाई नहीं कर पाएंगे।’
वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि कन्हैया कुमार वर्ष 2002 में जेएनयू पहुंचे और अभी तक यानी 17 सालों तक पढ़ाई ही कर रहे हैं। इस दावे की सत्यता की जानकारी के लिए हमने कन्हैया कुमार से बात की। उन्होंने विश्वास न्यूज के साथ अपनी डिग्री और अब तक की पढ़ाई की जानकारी को साझा किया।
दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘कन्हैया कुमार ने 2002 में मैट्रिक की परीक्षा बिहार बोर्ड (BSEB) से पास की और 2004 में इंटरमीडिएट की परीक्षा (BIEC) से पास की।’
इसके बाद उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया। उन्होंने बताया, ‘मैंने 2008 में ग्रैजुएशन किया और इसमें चार साल इसलिए लगे क्योंकि बिहार में एक साल देरी से सेशन चलता है।’ उन्होंने बताया, ‘ इसके बाद 2010 में नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी से एमए किया। वहां सेशन 2008-10 का था लेकिन दिसंबर में रिजल्ट आने की वजह से एक साल की देरी हुई और मैंने 2011-13 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमफिल किया। यह जेएनयू के साथ मेरी शुरुआत थी। इसके बाद 2013-18 तक पीएचडी किया और 2018 के जुलाई महीने में जेएनयू छोड़ दिया।’
कन्हैया ने बताया, ’12 फरवरी 2019 को उनका पीएचडी अवार्ड भी हो गया।’ यानी कन्हैया 2011 में जेएनयू आए और 2018 में पीएचडी कर विश्वविद्यालय छोड़ दिया। जबकि वायरल पोस्ट में यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि वह 2002 में जेएनयू आए और अभी तक वहां पढ़ाई ही कर रहे हैं।
15 फरवरी 2019 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित हमें एक खबर मिली, जिसमें कन्हैया कुमार के पीएचडी पूरी किए जाने की जानकारी है।
खबर के मुताबिक, ‘कन्हैया ने जुलाई 2018 में अपना थीसिस जमा कराया था और अब वह पढ़ाना चाहते हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक, ‘2011 में कन्हैया को जेएनयू के सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज में एमफिल/पीएचडी के संयुक्त कोर्स में दाखिला मिला था।’
निष्कर्ष: जेएनयू में कन्हैया कुमार के 17 सालों तक पढ़ाई करने के दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट फर्जी औऱ दुष्प्रचार है। जेएनयू से कन्हैया ने एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई की है, जो 2011-18 के बीच पूरी कर ली गई थी।
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