Fact Check : बिजनौर के मदरसे में हथियारों के नाम पर वायरल हुआ फर्जी कोलाज

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में बिजनौर के मदरसे में हथियारों के मिलने की खबर के नाम से वायरल कोलाज फर्जी निकला। चार अलग-अलग तस्‍वीरों का कोलाज बनाकर झूठ फैलाया जा रहा है।

Fact Check : बिजनौर के मदरसे में हथियारों के नाम पर वायरल हुआ फर्जी कोलाज

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म पर चार तस्‍वीरों का एक कोलाज वायरल हो रहा है। इसे फर्जी सांप्रदायिक दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। इस कोलाज को वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि यूपी के बिजनौर में एक मदरसे से मुसलमानों के पास से हथियार बरामद हुए। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी साबित हुई। जिन तस्‍वीरों को बिजनौर के मदरसे से जोड़कर वायरल किया जा रहा है, वह अलग-अलग जगहों की पुरानी तस्‍वीरें हैं। हाल-फिलहाल में बिजनौर के किसी भी मदरसे से हथियार बरामद नहीं हुए हैं। जुलाई 2019 में बिजनौर पुलिस को जरूर एक मदरसे से एक पिस्‍टल, 4 तमंचे, 49 जिंदा कारतूस मिले थे।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर केएस रामास्‍वामी ने 1 अप्रैल को चार तस्‍वीरों का एक कोलाज पोस्‍ट करते हुए दावा किया : ‘Arms seized from muslims in a Madrassa in Uttar Pradesh’s Bijnour.’

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट में लिखी गई बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज एक बार पहले भी ऐसे ही फर्जी पोस्‍ट की पड़ताल कर चुका है। उस वक्‍त भी कोलाज की चारों तस्‍वीरों को वायरल करते हुए फर्जी पोस्‍ट बनाई गई थी। पड़ताल में ऑनलाइन टूल्‍स का इस्‍तेमाल किया गया। आइए, जानते हैं क्रमवार तस्‍वीरों का पूरा सच।

पहली तस्‍वीर

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल कोलाज में से पहली तस्‍वीर क्रॉप करके अलग की। फिर इसे गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। यह तस्‍वीर हमें cansellall.com नाम की एक वेबसाइट पर मिली। इसमें 3 मार्च 2021 की तारीख थी। मतलब यह तस्‍वीर पुरानी निकली। इसका भारत से भी कोई संबंध नहीं निकला। ओरिजनल तस्‍वीर यहां देखें।

दूसरी तस्‍वीर

विश्‍वास न्‍यूज ने दूसरी तस्‍वीर के सच का भी पता लगाया। जमीन पर रखीं बहुत सारी तलवारों की तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से खोजना शुरू किया तो यह पटियाला की एक फैक्‍ट्री की पुरानी तस्‍वीर साबित हुई। विश्‍वास न्‍यूज ने पिछली पड़ताल के दौरान कृपाण फैक्ट्री खालसा ककार भंडार के मालिक बचन सिंह से संपर्क किया था। उन्‍होंने उस वक्त जानकारी देते हुए बताया था कि तस्वीर उनकी ही फैक्ट्री में ली गई है, जहां यह तलवारें पैकिंग के लिए तैयार रखी थीं। बचन ने बताया कि किसी विजिटर ने यह तस्वीर लेकर सोशल मीडिया पर डाल दी थी, जिसके बाद यह तस्वीर कई बार अलग-अलग दावों के साथ वायरल हुई, लेकिन इस तस्वीर का किसी घटना से कोई संबंध नहीं है। संबंधित फैक्‍ट चेक यहां पढ़ें।

तीसरी तस्‍वीर

पड़ताल के दौरान तीसरी तस्‍वीर हमें शामली पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर मिली। इसे 29 जुलाई 2019 को पोस्‍ट करते हुए बताया गया कि शामली पुलिस ने 04 विदेशियों व तीन विभिन्न मदरसों से संबंधित 03 नफर मोहतमिम/मदरसा संचालक समेत 07 संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। इनके पास से नाजायज दस्तावेज,देशी-विदेशी मुद्रा समेत कई मोबाइल फोन बरामद हुए थे। मतलब यह तस्‍वीर भी पुरानी निकली।

चौथी तस्‍वीर

अब हमें चौथी तस्‍वीर का सच जानना था। इस तस्‍वीर को भी गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। वायरल तस्‍वीर हमें गुजरात की एक स्‍थानीय वेबसाइट पर मिली। 5 मार्च 2016 को एक खबर में इस तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए बताया गया कि राजकोट के एक स्‍टोर में गैरकानूनी रूप से रखे गए हथियार मिले। जिसके बाद कुछ लोगों को अरेस्‍ट किया गया। पूरी खबर यहां पढ़ें।

बिजनौर के मदरसे में हथियारों का सच

पड़ताल के दौरान हमें बिजनौर पुलिस का एक पुराना ट्वीट मिला। 8 नवंबर 2020 को किए गए इस ट्वीट में बताया गया कि जनपद बिजनौर के थाना शेरकोट क्षेत्रान्तर्गत मदरसे में हजारों गन, तलवारों का जखीरा बरामद होने के सम्बन्ध में बिजनौर पुलिस खबर का खंडन करती है। सही खबर निम्न प्रकार है। ट्वीट में इस्‍तेमाल किए गए कंटेंट में बताया गया कि जुलाई 2019 में पुलिस को मदरसे से एक पिस्‍टल, 4 तमंचे, 49 जिंदा कारतूस मिले थे। बिजनौरी पुलिस के ट्विटर हैंडल की ओर से एक यूजर को टैग करते हुए इस ट्वीट को फिर से 2 अप्रैल 2022 को पोस्‍ट किया गया।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण, बिजनौर के ब्‍यूरो प्रमुख कपिल स‍िखेरा से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि वायरल तस्‍वीरों का कोलाज पिछले कई सालों से वायरल है। यह फेक है। हाल-फिलहाल में मदरसों में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर केएस रामास्‍वामी की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर Kadayanallur में रहते हैं। इन्‍हें तीन सौ से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। इनके 577 मित्र हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में बिजनौर के मदरसे में हथियारों के मिलने की खबर के नाम से वायरल कोलाज फर्जी निकला। चार अलग-अलग तस्‍वीरों का कोलाज बनाकर झूठ फैलाया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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