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Fact Check: विधानसभा चुनावों के बीच फिर से वायरल हुआ “चैलेंज वोट” के जरिए वोट डालने का FAKE दावा

मतदाता सूची में नाम नहीं होने के बावजूद "चैलेंज वोट" (चुनौती वोट) के जरिए मतदान का दावा फेक और मनगढ़ंत है। मतदान करने के लिए केवल मतदाता पहचान पत्र का ही होना अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसके लिए मतदाता सूची में नाम होना भी जरूरी है। साथ ही "टेंडर वोट" के संदर्भ में पुनर्मतदान को लेकर किया गया दावा फेक है।

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Nov 6, 2024 at 10:06 AM
  • Updated: Nov 6, 2024 at 10:55 AM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसी संदर्भ में सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर एक महिला का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्हें “चैलेंज वोट” या “चुनौती वोट” के बारे में बात करते हुए देखा और सुना जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह अपने आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र को दिखाते हुए धारा 49ए के तहत “चैलेंज वोट” के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मतदान कर सकता है। साथ ही वायरल पोस्ट में “टेंडर वोट” का जिक्र किया गया है और कहा गया है कि अगर किसी मतदान केंद्र पर 14% से ज्यादा “टेंडर वोट” पड़ा है, तो वहां पुनर्मतदान कराया जाएगा।

हमने अपनी जांच में वायरल दावे को फेक पाया। अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह किसी भी सूरत में मतदान नहीं कर सकता है। साथ ही अगर किसी व्यक्ति के पास मतदाता पहचान पत्र है तो भी यह जरूरी नहीं है कि वह मतदान कर सकता है। मतदान के लिए मतदाता पहचान पत्र के साथ संबंधित वोटर का नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य है। वहीं “टेंडर वोट” को लेकर पुनर्मतदान से संबंधित दावा भी फेक है।

बताते चलें कि यह दावा सोशल मीडिया पर विभिन्न चुनावों के दौरान समान संदर्भ में वायरल होता रहा है और इससे पहले यह दावा लोकसभा चुनाव के दौरान भी वायरल हुआ था।

क्या है वायरल?

विश्‍वास न्‍यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर कई यूजर्स ने इस वीडियो को शेयर करते हुए इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।

विश्वास न्यूज के टिपलाइन पर भेजा गया दावा।

अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी कई यूजर्स (आर्काइव लिंक) ने इस वीडियो को समान दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल पोस्ट में मुख्य तौर पर दो दावा किया गया है, जिसमें पहला दावा यह है कि जब आप मतदान केंद्र पर पहुंचें और पाएं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है,तो अपना आधार कार्ड दिखाएं और धारा 49ए के तहत “चुनौती वोट” मांगें और फिर मतदान करें।

सच्चाई

सच यह है कि अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह मतदान के दिन किसी भी कीमत पर वोट नहीं डाल सकता। कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 35(2) के तहत मतदान करने वाले प्रत्येक मतदाता का नाम मतदाता सूची में होना चाहिए।

Source: ceorajasthan.nic.in

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, मतदाता सूची में नाम होना मतदान करने की अनिवार्य शर्त है, जिसके साथ चुनाव आयोग की तरफ से उल्लिखित पहचान पत्रों में से कोई एक आपके पास होना चाहिए।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी, जिसमें वोटिंग से संबंधित नियमों का जिक्र है। (Source-https://www.eci.gov.in/)

वायरल दावे में धारा 49 ए के तहत “चुनौती वोट” के अधिकार का जिक्र है। हकीकत में कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी में टेंडर वोट के बारे में जानकारी दी गई है न कि “चैलेंज वोट” के बारे में।

THE CONDUCT OF ELECTIONS RULES, 1961 की धारा 49 P, जिसमें टेंडर वोट के बारे में जानकारी है, न कि “चैलेंज वोट” के बारे में, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है। (Source-https://ceorajasthan.nic.in/)

दूसरा दावा

यदि आपको लगे कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है तो “टेंडर वोट” मांगें और मतदान करें। साथ ही अगर किसी मतदान केंद्र पर 14% से ज्यादा टेंडर वोट पड़े हैं, तो वहां पुनर्मतदान होगा।

सच्चाई

कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी में टेंडर वोट से संबंधित प्रावधान है और इस नियम के मुताबिक, अगर आपका वोट किसी ने पहले ही डाल दिया है तो आप मतदान केंद्र पर मौजूद पीठासीन अधिकारी से इसकी शिकायत कर सकते हैं, जिसके बाद आपको अपनी पहचान से संबंधित दस्तावेज दिखाने होंगे। पीठासीन अधिकारी के संतुष्ट होने की स्थिति में आपको मतदान करने का अधिकार होगा और मतदाता टेंडर बैलेट पेपर के जरिए अपना “टेंडर वोट” डाल सकेगा। यह मतदान बैलेट पेपर के जरिए होता है, न कि ईवीएम के जरिए।

THE CONDUCT OF ELECTIONS RULES, 1961 की धारा 49 P, जिसमें टेंडर वोट के बारे में जानकारी है, न कि “चैलेंज वोट” के बारे में, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है। (Source-https://ceorajasthan.nic.in/)

कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी में टेंडर वोट से संबंधित ऐसा कोई नियम नहीं है। वास्तव में द रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 के सेक्शन के 58 में पुनर्मतदान का प्रावधान है।

Source-https://indiankanoon.org/

रिपोर्ट के मुताबिक, कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 की धारा 49पी के तहत टेंडर वोट का प्रावधान है और इसके तहत डाले गए वोट की सामान्य तौर पर गिनती नहीं होती है। हालांकि, जब जीत और हार के बीच का अंतर बेहद मामूली होता है, तब इन मतों की गिनती अहम हो जाती है।

वर्ष 2008 में जब राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के सी पी जोशी बीजेपी के उम्मीदवार कल्याण सिंह चौहान से एक मत के अंतर से हार गए थे, तब उन्होंने हाई कोर्ट में यह दावा किया था कि कुछ मतों को टेंडर मत के जरिए डाला गया गया था। कोर्ट ने इसके बाद दोबारा गिनती का आदेश दिया और दोनों प्रत्याशियों के मत बराबर हो गए, जिसके बाद ड्रॉ के जरिए चौहान को विजेता घोषित किया गया।

वायरल पोस्ट को लेकर हमने केंद्रीय निर्वाचन आयोग के अधिकारी से संपर्क किया। उन्होंने “चैलेंज वोट” के जरिए मतदान करने के दावे को फेक बताते हुए कहा कि इस बारे में चुनाव आयोग की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया जा चुका है। उन्होंने आयोग की तरफ से जारी स्पष्टीकरण (आर्काइव लिंक) को साझा किया, जिसमें इसे फेक बताया गया है।

लोकसभा चुनाव के दौरान यह दावा समान संदर्भ में वायरल हुआ था, जिसे हमने अपनी जांच में फेक पाया था। संबंधित फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

चुनाव आयोग की अधिसूचना के मुताबिक, महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होगा, वहीं झारखंड में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा। इन चुनावों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।

निष्कर्ष: मतदाता सूची में नाम नहीं होने के बावजूद “चैलेंज वोट” (चुनौती वोट) के जरिए मतदान का दावा फेक और मनगढ़ंत है। मतदान करने के लिए केवल मतदाता पहचान पत्र का ही होना अनिवार्य नहीं है, बल्कि इसके लिए मतदाता सूची में नाम होना भी जरूरी है। साथ ही “टेंडर वोट” के संदर्भ में पुनर्मतदान को लेकर किया गया दावा फेक है।

  • Claim Review : मतदाता सूची में नाम नहीं होने के बावजूद चैलेंज वोट के जरिए कर सकते हैं मतदान।
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