Fact Check: मुस्लिम नहीं है नेहरू खानदान, मनगढ़ंत वंशावली के जरिए किया जा रहा दुष्प्रचार

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की धार्मिक पहचान को लेकर सोशल मीडिया पर एक फर्जी पोस्ट लगातार घूमती रही है। एक बार फिर से यह पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है। पोस्ट में किया गया दावा सही नहीं है, लेकिन उसे बताना जरूरी है, ताकि सच्चाई की जानकारी हो सके।

वायरल पोस्ट में नेहरू परिवार के वंशवृक्ष या वंशावली का जिक्र करते हुए बताया गया है कि नेहरू के पिता और दादा मुस्लिम थे। पोस्ट में लिखा हुआ है, ‘’जवाहर लाल नेहरू के दादा का नाम गंगाधर नेहरू नहीं, बल्कि गयासुद्दीन गाजी था और नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू मुस्लिम थे।’’

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह पोस्ट झूठ का पुलिंदा निकला, जिसमें नेहरू परिवार और उनके वंश को लेकर सिर्फ झूठ लिखा गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर वायरल हो रही पोस्ट में नेहरू परिवार की वंशावली को ग्राफिक्स के साथ बताते हुए कहा गया है कि नेहरू के दादा और पिता वास्तव में मुस्लिम थे और उनके दादा गंगाधर नेहरू का नाम गयासुद्दीन गाजी था।

फेसबुक पर वायरल हो रही फर्जी पोस्ट

पड़ताल

पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए नेहरू परिवार के वंशवृक्ष का पता लगाना जरूरी था। सर्च में हमें भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर नेहरू पोर्टल (नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी) मिला, जहां नेहरू परिवार की फैमिली ट्री (वंश वृक्ष या वंशावली) को दर्शाया गया है।


नेहरू परिवार का वंश वृक्ष (सोर्स-भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय)

वंशावली के मुताबिक, देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दादा का नाम गयासुद्दीन गाजी नहीं, बल्कि गंगाधर नेहरू था, जिनकी शादी इंद्राणी उर्फ जियोरानी से हुई थी। गंगाधर नेहरू के पांच बच्चे हुए, जिनमें दो बेटियां और तीन बेटे हुए। इनके नाम क्रमश: पटरानी (पति-लालजी प्रसाद जुत्शी), महारानी (पति-द्वारकानाथ टकरू), बंसीधर नेहरू, नंदलाल नेहरू (पत्नी-नंदरानी) और मोतीलाल नेहरू (पत्नी-स्वरुपरानी) थे।

मोतीलाल नेहरू और स्वरुपरानी के तीन संतानों के नाम क्रमश: जवाहर लाल नेहरू (पत्नी-कमला नेहरू),  सरुप कुमारी या विजया लक्ष्मी (पति-रंजीत सीताराम पंडित) और कृष्णा (पति-जीपी हथिसिंह) हैं।


Jawaharlal Nehru with his mother Swarup Rani and father Motilal Nehru, 1894
मां स्वरुप रानी और पिता मोतीलाल नेहरू के साथ जवाहर लाल नेहरू 
(Nehru Memorial Museum & Library )

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर राकेश पांडेय बताते हैं, ‘नेहरू का धर्म हिंदू था और वह जाति से ब्राह्मण थे। नेहरू जब अपनी मां का अस्थि विसर्जन कर रहे थे, उस तस्वीर में उनके शरीर पर जनेऊ को देखा जा सकता है। यह तस्वीर सर्वसुलभ है।‘ इंडिया टुडे मैग्जीन में 6 मार्च 2006 को छपे ‘The Nehrus: Personal Histories’ by Mushirul Hasan & Priya Kapoor’ लेख में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जनेऊ पहने नेहरू की यह तस्वीर इलाहाबाद की है, जब वह अपनी मां का अस्थि विसर्जन कर रहे थे।

नेहरू ने अपनी आत्मकथा ”मेरी कहानी” में एक ऐसे ही प्रसंग का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है, ‘पिताजी (मोतीलाल नेहरू) की यूरोप यात्रा ने कश्मीरी ब्राह्मणों में अंदर ही अंदर एक तूफान खड़ा कर दिया। यूरोप से लौटने पर उन्होंने किसी किस्म का प्रायश्चित करने से इनकार कर दिया। कुछ साल पहले एक दूसरे पंडित बिशननारायण दर, जो बाद में कांग्रेस के सभापति हुए थे, इंग्लैंड गए थे और वहां से बैरिस्टर होकर आए थे। लौटे पर बेचारे ने प्रायश्चित भी कर लिया, तो भी पुराने ख्याल के लोगों ने उनको जाति से बाहर कर दिया और उनसे किसी किस्म का ताल्लुक नहीं रखा। बाद में कई कश्मीरी युवक विलायत पढ़ने गए और लौटकर सुधारक दल में मिल गए, लेकिन उन सबको प्रायश्चित करना पड़ा।’


नेहरू की आत्मकथा मेरी कहानी का पृष्ठ

गौरतलब है कि तत्कालीन हिंदू सामाजिक मान्यता समंदर लांघने को पाप समझता था।

इसी आत्मकथा में कश्मीरी घराना नाम से पहले अध्याय में उन्होंने अपने कश्मीरी मूल का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘हम लोग कश्मीरी हैं। 200 बरस से ज्यादा हुए होंगे। 19वीं सदी के शुरू में हमारे पुरखे यश और धन कमाने के इरादे से कश्मीर की सुंदर तराइयों से नीचे के उपजाऊ मैदानों में आए थे। वह दिन मुगल साम्राज्य के पतन के दिन थे।’


नेहरू की आत्मकथा मेरी कहानी का पृष्ठ

संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘कमला नेहरू रुढ़िवादी कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती थीं, जबकि नेहरू की जीवनशैली पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित थी।’

जवाहर लाल नेहरू और कमला नेहरू की एक बेटी हुईं, जिनका नाम इंदिरा गांधी था और वह आगे चलकर देश की प्रधानमंत्री भी बनीं। इंदिरा गांधी की शादी फिरोज गांधी से हुई।

फिरोज गांधी की धार्मिक पहचान को लेकर अक्सर सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा मैसेज वायरल होते रहता है। वास्तव में फिरोज गांधी पारसी थे, न कि मुस्लिम और फिरोज और इंदिरा गांधी की शादी हिंदू रीति रिवाजों से हुई।

”Selected Works of Jawaharlal Nehru” में प्रकाशित नेहरू की एक चिट्ठी उनकी हिंदू पहचान की पुष्टि करती है। इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की शादी के मामले में नेहरू की यह कोशिश थी कि शादी के बाद उनकी बेटी हिंदू रहे और दूल्हा पारसी। 16 मार्च 1942 को ‘लक्ष्मी धर’ को लिखी चिट्ठी में नेहरू अपनी बेटी इंदिरा गांधी की शादी के दौरान हो रही इन्हीं जटिलताओं का जिक्र करते हैं।

Source- Selected Works of Jawaharlal Nehru

वह लिखते हैं, ‘मैं कल ही यहां (वर्धा) पहुंचा हूं और मैंने समारोह के बारे में महात्मा गांधी से बात की है। महात्माजी का मानना है कि मौजूदा स्थिति में, जहां तक संभव हो सके, सामान्य रस्म का निर्वहन किया जाना चाहिए। गैर जरूर रस्म अदायगी की जरूरत नहीं होनी चाहिए। आप जानते हैं कि कई कारणों से लोग इस शादी का विरोध कर रहे हैं। इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हालंकि, इसके बाद यह जरूरी हो गया है कि जहां तक हो सके, हम चले आ रहे नियमों के मुताबिक ही काम करें और राजनीतिक चरित्र वाले छंद से परहेज करें। यह मंत्र नए नहीं हैं और सभी पुराने वैदिक समारोह के ही हैं।’


Source- Selected Works of Jawaharlal Nehru

दरअसल, इंदिरा गांधी की शादी के लिए महात्मा गांधी ने मंत्रों का चयन किया था और चिट्ठी में वह इन बातों का विस्तार से जिक्र करते हैं। वह लिखते हैं, ‘गांधीजी ने मुझे विवाह विधि के बारे में तीन छोटे पर्चे दिए हैं। इनमें कुछ नया नहीं है, लेकिन फिर भी मैं इसे आपके पास भेज रहा हूं। इसका कुछ हिस्सा, विशेषकर शुरुआती, गैर जरूरी है।’

उन्होंने लिखा, ‘मैं गांधी जी के विचारों के नजरिए से इस मामले पर आपसे पुनर्विचार की अपील करता हूं। इसमें जरूरी चीजें होनी चाहिए और गैर जरूरी को हटा दिया जाना चाहिए। जैसा आपने मुझे लिखा, मैं उम्मीद करता हूं कि विवाह समारोह संस्कृत और हिंदी में होगा।’

हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई इंदिरा गांधी की तस्वीर
(Image-Nehru Memorial Museum & Library )

राकेश पांडेय ने कहा, ‘नेहरू की पहचान हिंदू थी और जिस हिंदूवाद की वकालत करते थे, उसका स्वरूप समावेशी था। हालांकि, इसी विचारधार के बरक्स इस देश में संकीर्ण हिंदुत्व की धारणा भी चलती रही है। संकीर्ण हिंदू विचारधारा और इसके समर्थक नेहरू के समावेशी हिंदू दर्शन को खारिज तो नहीं कर सकते, इसलिए वह इसे समय-समय पर बदनाम करते रहते हैं। यह एक राजनीतिक हमला है।’

निष्कर्ष: जवाहर लाल नेहरू और उनके पूर्वज मुस्लिम नहीं थे। नेहरू हिंदू और कश्मीरी ब्राह्मण थे। सोशल मीडिया पर नेहरू परिवार के नाम से वायरल हो रहा वंशवृक्ष फर्जी है, जिसे दुर्भावनापूर्ण मकसद से फैलाया जा रहा है।

False
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