X
X

Fact Check : माहिम दरगाह पर हर साल मुंबई पुलिस देती है सलामी, किसी राजनीतिक दल से नहीं है संबंध

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट झूठी साबित हुई। मुंबई पुलिस हर साल माहिम दरगाह पर सलामी देती है। इसका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कुछ पुलिसकर्मियों को एक दरगाह में सलामी देते हुए देखा जा सकता है।

यूजर्स दावा कर रहे हैं कि महाराष्‍ट्र में पहली बार मुंबई पुलिस ने पीर हजरत मकदूर शाह को सलामी दी। यूजर्स इसे शिवसेना से जोड़कर वायरल कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमें पता चला कि दरगाह में सलामी देने वाली बात सही है, लेकिन यह दावा गलत है कि यह पहली बार हुआ है। माहिम दरगाह में मुंबई पुलिस की ओर से बरसों से सलामी दी जा रही है। इसका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर विशाल ठक्‍कर ने 13 जनवरी को एक वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया है कि मुंबई पुलिस ने पहली बार पीर हजरत मकदूम शाह को सलामी दी। इतना ही नहीं, यूजर ने इसे महाराष्‍ट्र की सत्‍ता में काबिज शिवसेना से भी जोड़ दिया।

यूजर ने लिखा : ‘मुंबई पोलीस द्वारा पहली बार पीर हजरत मकदूम शाह को सलामी. शिवसेना अब अपने अंतिम पड़ाव पे है..’

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल वीडियो के बारे में जानकारी जुटाना शुरू की। 30 सेकंड के वायरल वीडियो में हमें कई पुलिसकर्मी मास्‍क लगाए हुए नजर आए। मतलब साफ था कि यह वीडियो हाल-फिलहाल का ही है। यूट्यूब पर सर्च के दौरान हमें एक वीडियो 29 दिसंबर 2020 को अपलोड मिला। वीडियो में बताया गया कि माहिम के बाबा मखदूम अली शाह के की दरगाह में मुंबई पुलिस ने हाजरी लगाई। इस वीडियो को लोकमित्र न्‍यूज नाम के एक यूट्यूब चैनल ने अपलोड किया था। वीडियो में हमें वे पुलिसवाले भी नजर आए, जो वायरल वीडियो में मौजूद थे।

सर्च के दौरान हमें एक वीडियो 29 दिसंबर 2020 को अपलोड मिला। इसमें बताया गया कि उर्स 2020 के आरंभ में मुंबई पुलिस ने दरगाह में सलामी दी।

पड़ताल के दौरान हमें एक और पुराना वीडियो मिला। 2017 के इस वीडियो में भी मुंबई पुलिस के द्वारा दी गई सलामी को देखा जा सकता है। इस वीडियो को 8 दिसंबर 2017 को अपलोड किया गया था।

पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि माहिम दरगाह के सलाना उर्स के मौके पर मुंबई पुलिस की ओर से बाबा को सलामी दी जाती है। यह कई साल पुरानी परंपरा है। इसका किसी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है।

scroll के एक लेख के अनुसार, मखदूम अली माहिमी 14वें सदी के एक एक सूफी संत थे। उनकी दरगाह पर हर साल उर्स के मौके पर मुंबई पुलिस के अधिकारी और जवान की ओर से बाबा को पहली चादर चढ़ाई जाती है। इसके अलावा सलामी भी दी जाती है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने माहिम दरगाह कमेटी के मैनेजिंग ट्रस्टी मोहम्‍मद सुहैल याकूब खानदानी से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि दरगाह में मुंबई पुलिस की सलामी का शिवसेना से कोई संबंध नहीं है। यह कोई नई परंपरा नहीं है। ब्रिटिश काल से यह परंपरा चली आ रही है।

अब बारी थी उस यूजर के अकाउंट को खंगालने की, जिसने झूठ फैलाया। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर विशाल ठक्‍कर नाम के इस पेज को 11 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। पेज को 25 फरवरी 2019 को बनाया गया।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट झूठी साबित हुई। मुंबई पुलिस हर साल माहिम दरगाह पर सलामी देती है। इसका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है।

  • Claim Review : मुंबई पोलीस द्वारा पहली बार पीर हजरत मकदूम शाह को सलामी. शिवसेना अब अपने अंतिम पड़ाव पे है..
  • Claimed By : विशाल ठक्‍कर
  • Fact Check : झूठ
झूठ
फेक न्यूज की प्रकृति को बताने वाला सिंबल
  • सच
  • भ्रामक
  • झूठ

पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...

टैग्स

अपनी प्रतिक्रिया दें

No more pages to load

संबंधित लेख

Next pageNext pageNext page

Post saved! You can read it later