सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट भ्रामक है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए भाजपा समेत अन्य दलों को मिले चंदे को करीब दोगुना बढ़ाकर शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित डेटा जारी करने के बाद सोशल मीडिया पर इसको लेकर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए 11500 करोड़, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 3214 करोड़, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को 2278 करोड़, बीजू जनता दल (बीजद) को 1550 करोड़, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) को 1230 करोड़ और वाईएसआर को 662 करोड़ का चंदा मिला है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में वायरल दावे को भ्रामक पाया। दरअसल, भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी डेटा के अनुसार, भाजपा को 6,060 करोड़, टीएमसी को 1609 करोड़, बीआरएस को 1214 करोड़, बीजद को 775 करोड़, डीएमके को 639 करोड़ और वाईएसआर को 337 करोड़ रुपये मिले हैं। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में विभिन्न दलों को मिले चुनावी चंदे को करीब दोगुना बताकर शेयर किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 95992 99372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का आग्रह किया है। इसमें लिखा है,
Political parties, Number of States they rule, Total Donation via Electoral Bonds.
BJP : Centre and 18 States : 11500 Cr
TMC : 1 State : 3214 Cr
BRS : 1 State : 2278 Cr
BJD : 1 State : 1550 Cr
DMK : 1 State : 1230 Cr
YSR : 1 State : 662 Cr
Divide 11,500 by 18. 638.888…….. The LEAST donation by average
Electoral Bonds per Lok Sabha MP and Party Wise in last 5 years
BJP : 20.03 crore/MP
Cong : 27.3 crore/MP
AITC : 73.68 crore/MP
BJD : 70.5 crore/MP
DMK : 79.69 crore/MP
BRS : 200.43 crore/MP
YSR : 20.13 crore/MP
TDP : 110.3 crore/MP
Hope this will give you better clarity…
And, yes, Adani or Ambani donated nothing, absolutely nothing!!
Don’t you think bringing these figures in the public domain, a typical Modi’s master stroke.
(अनुवाद: राजनीतिक दल, उनके शासन वाले राज्यों की संख्या, चुनावी बांड के माध्यम से कुल दान।
बीजेपी: केंद्र और 18 राज्य: 11500 करोड़
टीएमसी: 1 राज्य: 3214 करोड़
बीआरएस: 1 राज्य: 2278 करोड़
बीजेडी: 1 राज्य: 1550 करोड़
डीएमके: 1 राज्य: 1230 करोड़
वाईएसआर: 1 राज्य: 662 करोड़
11,500 को 18 से विभाजित करें। 638.888… औसतन सबसे कम दान
पिछले 5 वर्षों में प्रति लोकसभा सांसद और पार्टी के अनुसार चुनावी बांड
बीजेपी: 20.03 करोड़/सांसद
कांग्रेस: 27.3 करोड़/सांसद
एआईटीसी: 73.68 करोड़/एमपी
बीजेडी: 70.5 करोड़/सांसद
डीएमके: 79.69 करोड़/एमपी
बीआरएस: 200.43 करोड़/एमपी
वाईएसआर: 20.13 करोड़/एमपी
टीडीपी: 110.3 करोड़/एमपी
आशा है कि इससे आपको बेहतर स्पष्टता मिलेगी…
और, हां, अडानी या अम्बानी ने कुछ भी दान नहीं किया, बिल्कुल भी नहीं!!
क्या आपको नहीं लगता कि इन आंकड़ों को सार्वजनिक डोमेन में लाना मोदी का एक विशिष्ट मास्टर स्ट्रोक है।)
फेसबुक यूजर Yashwant Pagnis (आर्काइव लिंक) ने भी 16 मार्च को इस दावे को पोस्ट किया है।
वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर सर्च किया। दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर छपे लेख (आर्काइव लिंक) के अनुसार, चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इेलक्टोरल बॉन्ड का ब्यौरा जारी कर दिया है। इसके मुताबिक, भाजपा को 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, टीएमसी को 1,609 करोड़, कांग्रेस को 1,421 करोड़, बीआरएस को 1214 करोड़, बीजेडी को 775 करोड़, डीएमके को 639 करोड़ और वाईएसआर को 337 करोड़ रुपये मिले हैं।
द हिंदू (आर्काइव लिंक) में छपी खबर के अनुसार, भाजपा ने 6060.5 करोड़ के चुनावी बॉन्ड्स भुनाए हैं। पार्टियों द्वारा भुनाए गए कुल बॉन्ड्स में भाजपा की हिस्सेदारी 47.5% से अधिक थी, जबकि टीएमसी 1609.50 करोड़ (12.6%), कांग्रेस 1421.9 करोड़ (11.1%), बीआरएस 9.5%, बीजद 6.1% और डीमएके 5% ने बॉन्ड्स भुनाए हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट में भी राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले चंदे को देखा जा सकता है।
चुनावी बॉन्ड्स भुनाने वाले दलों की सूची को भारतीय चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है।
इससे पता चलता है कि वायरल पोस्ट में दलों को मिले चंदे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। इस हिसाब से सांसदों के अनुसार दिया गया ब्यौरा भी गलत है।
इस बारे में दैनिक जागरण नेशनल ब्यूरो के प्रमुख आशुतोष झा का कहना है कि भाजपा को करीब 6 हजार करोड़ का चंदा मिला है। सोशल मीडिया पर भ्रामक दावा वायरल हो रहा है।
स्क्रॉल की वेबसाइट में छपी रिपोर्ट (आर्काइव लिंक) के अनुसार, “रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कोई इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं खरीदा है। हालांकि, कॉमन डायरेक्टर, एड्रेसेज और एसोसिएट्स के जरिए रिलायंस ग्रुप से जुड़ी फर्म इस लिस्ट में हैं। क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटडे ने 410 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं। कंपनी के तीन डायरेक्टरों में से एक तपस मित्रा रिलायंस ऑयल एंड पेट्रोलियम, रिलायंस इरोज प्रोडक्शन, रिलायंस फोटो फिल्म्स, रिलायंस फायर बिग्रेड्स और रिलायंस पॉलिएस्टर में भी डायरेक्टर हैं। पीटीआई से बातचीत में रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा है कि क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड रिलायंस ग्रुप का हिस्सा नहीं है। रिपोर्ट में भी यह भी लिखा है कि शुरुआती जांच में ऐसा कुछ सामने नहीं आया है, जिससे कहा जा सके कि अडानी और टाटा ग्रुप ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं।”
रायटर्स में छपी रिपोर्ट (आर्काइव लिंक) में भी क्विक सप्लाई चेन द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जाने की जानकारी दी गई है। साथ ही इसमें रिलायंस का बयान भी दिया गया है, जिसमें कंपनी ने क्विक सप्लाई चेन को रिलायंस से संबंधित नहीं बताया है।
इस बारे में हमने रिलायंस से मेल के जरिए भी संपर्क किया है। रिलायंस के प्रवक्ता ने कहा कि क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड किसी भी रिलायंस इकाई की सहायक कंपनी नहीं है।
31 जनवरी 2024 को हिन्दुस्तान टाइम्स (आर्काइव लिंक) में छपी रिपोर्ट के अनुसार, बिहार को शामिल करने के बाद भाजपा देश के 28 राज्यों में से 17 पर या तो पूर्ण रूप से या गठबंधन सदस्य के रूप में सरकार चला रही है। भाजपा ने 2019 के आम चुनावों में 303 सीटें जीती थीं।
भ्रामक दावा करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। मुंबई के रहने वाले यूजर के करीब 5600 फॉलोअर्स हैं।
चुनाव से संबंधित अन्य फैक्ट चेक रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट भ्रामक है। इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए भाजपा समेत अन्य दलों को मिले चंदे को करीब दोगुना बढ़ाकर शेयर किया जा रहा है।
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