Fact Check: इस जूते के रंग की पहचान करने से नहीं पता चलता कि दिमाग का कौन-सा भाग है ज़्यादा एक्टिव, वायरल दावा है भ्रामक

विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और इसे फर्जी पाया।

Fact Check: इस जूते के रंग की पहचान करने से नहीं पता चलता कि दिमाग का कौन-सा भाग है ज़्यादा एक्टिव, वायरल दावा है भ्रामक

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): सोशल मीडिया पर जूते के रंग को लेकर एक बहस चल रही है, जिसमें लोगों को जूते पर गुलाबी और सफेद रंग या ग्रे और हरे रंग का संयोजन दिखाई दे रहा है। फोटो के साथ कैप्शन के अनुसार, आप जूते पर जो रंग देखते हैं, उससे पता चलता है कि आपके दिमाग का कौन-सा हिस्सा अधिक प्रभावी है। विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और इसे फर्जी पाया।

क्या है वायरल पोस्ट में?

सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट में एक जूते की तस्वीर दिखाई दे रही है। तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है: “अगर आपका दायां दिमाग हावी है, तो आपको गुलाबी और सफेद रंग का संयोजन दिखाई देगा, और अगर आपका बायां मस्तिष्क प्रमुख है, तो आप इसे ग्रे और हरे रंग में देखेंगे। अपने प्रियजनों के साथ प्रयास करें, बहुत दिलचस्प।”

पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने फोटो की जांच शुरू की और पाया कि यह पोस्ट 2017 से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उस समय कई प्रसिद्ध हस्तियों ने अपने सोशल प्रोफाइल पर इसे साझा किया था।

क्या यह जूता गुलाबी या ग्रे है- और क्या आपका उत्तर वास्तव में आपको आपके मस्तिष्क के बारे में कुछ बता सकता है?

Health.com के अनुसार, “यह स्पष्ट नहीं है कि यह सिद्धांत कहाँ से उत्पन्न हुआ है, लेकिन यह सच नहीं है। इवान श्वाब, एमडी, अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थलमोलॉजी के नैदानिक प्रवक्ता बताते हैं, “मुझे नहीं लगता कि मैं किसी सबूत, किसी भी अध्ययन की ओर इशारा कर सकता हूं, जो इसका समर्थन करेगा।”

असली कारण जान्ने के लिए कि लोगों को जूते का अलग रंग क्यों दिखता है, डॉ श्वाब कहते हैं, “यह पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन सबसे अच्छा विचार प्रासंगिक है, जिसका अर्थ है कि जिस संदर्भ में आप इसे देखते हैं-प्रकाश, पृष्ठभूमि, इसके साथ क्या जुड़ा हुआ है। यह वैसा ही दिखता है।”

“पीएचडी और यूसीएलए में एक न्यूरोसाइंटिस्ट डॉन वॉन के अनुसार, “मुझे लगता है कि लोग जो महसूस नहीं करते हैं, वह कुछ ऐसा है जिसे आप सीखते हैं, यह कुछ ऐसा नहीं है, जो आपको दिया जाता है। बहुत सारे अध्ययनों से पता चला है कि सबका एक्सपोजर दुनिया के लिए अलग है और आप वास्तव में चीजों को किसी और की तुलना में अलग तरह से देख सकते हैं।”

जर्नल ऑफ विजन में एक अध्ययन के अनुसार, “कथित रंग रोशनी के बारे में धारणाओं पर निर्भर करते हैं।”

डिस्कवर मैगज़ीन के एक लेख के अनुसार, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मस्तिष्क कितना पार्श्वीकृत हो सकता है, दोनों पक्ष हमेशा एक साथ काम करते हैं।”

ब्रिटानिका डॉट कॉम के अनुसार, यह विचार कि दाएं-दिमाग वाले और बाएं-दिमाग वाले लोग हैं, एक मिथक है।

विश्वास न्यूज ने वायरल दावे के संबंध में डॉ. प्रवीण गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर – न्यूरोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से संपर्क किया। उन्होंने कहा: “यह एक गलत धारणा है, जिसे प्रचारित किया जाता है और जूते की कल्पना का दाएं या बाएं मस्तिष्क के प्रभुत्व से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपका अवचेतन मस्तिष्क प्रकाश की अलग हिसाब से करता है। ऐसे में रंग में भिन्नता हो सकती है, लेकिन न तो कोई स्पष्ट रंग भिन्नता दिखाई देती है और न ही इसका मस्तिष्क के प्रभुत्व पर प्रभाव पड़ता है”।

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले पेज ‘की डिटॉक्स लाइफ’ की प्रोफाइल को स्कैन किया और पाया कि इस पेज पर पहले भी कई भ्रामक पोस्ट किए गए हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और इसे फर्जी पाया।

False
Symbols that define nature of fake news
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