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Fact Check: यूपी में आरक्षण समाप्त करने का दावा निकला फर्जी

हमारी पड़ताल में ये पोस्ट फर्जी निकली है। यूपी में आरक्षण को समाप्त नहीं किया गया है। प्रदेश में आरक्षण का लाभ पहले ही की तरह लोगों को मिलता रहेगा। इसी के साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा सामान्य वर्ग में आरक्षित वर्ग को लाभ नहीं मिलने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।

  • By: Gaurav Tiwari
  • Published: Sep 2, 2020 at 11:04 AM
  • Updated: Dec 18, 2020 at 04:23 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। यूपी में कथित रूप से आरक्षण को समाप्त करने की पोस्ट वायरल हो रही है। इसके साथ ही कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि जनरल कैटेगरी में आरक्षित कैटेगरी का अभ्यर्थी लाभ नहीं ले सकता है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यूपी में कथित रूप से आरक्षण को समाप्त करने की बात पूरी तरह से फर्जी है। इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने जनरल कैटेगरी में आरक्षित कैटेगरी के अभ्यर्थी को लाभ देने पर कोई फैसला नहीं दिया है।

क्या है वायरल पोस्ट में

विश्वास न्यूज के चैटबॉट (वॉट्सऐप नंबर- 95992 99372) पर एक यूजर ने यूपी में कथित रूप से आरक्षण खत्म होने वाले दावे की सच्चाई के बारे में हमसे पूछा। इस मैसेज में लिखा था- बधाई हो OBC/SC/ST को उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना जहाँ पर आरक्षण को पूर्ण रूप से हटा दिया गया…
उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना जहाँ पर आरक्षण को पूर्ण रूप से हटा दिया गया सरकारी नोकरी हो या पढाई सभी में आरक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त घोषित कर दिया गया है।
और ये सब संभव हुआ हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी के द्वारा।
जिनकी दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण आरक्षण को समाप्त किया जा सका ।
अब उत्तर प्रदेश में अगले 25 सालो तक

  1. रेलवे में सफ़र
  2. बसो में सफ़र
  3. फ़िल्म
  4. होटल बुकिंग
  5. पढाई में
  6. सरकारी नौकरी में
  7. पदोनत्ति में
    आदि आदि में अगले 25 सालो तक आरक्षण लागू नहीं होगा।
    यदि आप आरक्षण बचाना चाहते हो तो इसको हर मोबाइल में भेज दो ताकि और OBC/SC/ST को वोट का मतलब समझ आ जाये ।

दिल्ली हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला:
अब जनरल (GEN) केटेगरी मे कोई भी अन्य वर्ग का (OBC-SC-ST) अब नौकरी या कॉलेज मे Apply नही कर सकता…
मतलब वो लॉग अपनी ही कैटेगिरी मे apply करेंगे अर्थात आरक्षण के नाम पर OBC को 27%, SC को 15% और ST को 7.5% यानि 85% जनसँख्या को केवल 49.5% आरक्षण और बाकि बचा 50.5% अघोषित आरक्षण मात्र 15% सवर्णो के हिस्से में बच गया है । और यही फार्मूला पूरे देश में लागू होने वाला है ।

From:- ETV उत्तर प्रदेश
आज सवर्ण जाती की पहली जीत हासिल हुई है। आज दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आया है और फैसला दिया है कि आरक्षित वर्ग के व्यक्तियों को सिर्फ आरक्षण उनके वर्ग में ही मिलेगा चाहे उसका मेरिट मे कितना ही ऊँचा स्थान हो। अगर कोई जाति प्रमाण पत्र देता है तो उसे आरक्षित क्षेत्र में ही जगह मिलेगी और वह अनारक्षित कोटा में जगह नहीं बना सकता। रोस्टर प्रणाली के तहत मुकदमा किया था और वे लोग विजयी हुए ।
नॉट- जो जागरूक लोग हैं वो इस मैसेज को फारवर्ड करके समाज को जगाने की कृपा करें ।

ऐसा ही मैसेज फेसबुक पर भी चल रहा है।

इस पोस्ट का अर्काइव वर्जन यहां देख सकते हैं।

पड़ताल

यूपी में कथित रूप से आरक्षण के खत्म करने के दावे की सच्चाई जानने का हमने फैसला किया। सबसे पहले हमने यूपी में इसको गूगल में सर्च किया। हमें ऐसी कोई भी खबर नहीं मिली, जिसमें आरक्षण के समाप्त होने की पुष्टि होती हो। हमें जनसत्ता डॉट कॉम की एक खबर मिली। इस खबर के अनुसार, आरक्षण कोटे को जातियों के बीच बांटने की खबर दी गई है। ये खबर 18 अगस्त, 2019 की है।

इस खबर से ये साफ होता है कि यूपी में आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। इसके साथ ही कई और विश्वसनीय मीडिया हाउसों की खबरें देखने के बाद पता चलता है कि यूपी में आरक्षण जारी है। इसके साथ हमें पता चला कि देश के किसी भी दूसरे राज्य से भी आरक्षण को नहीं हटाया गया है।

इसके बाद हमने दैनिक जागरण के यूपी ब्यूरो चीफ अजय जयसवाल से बात की। उन्होंने बताया कि यूपी में आरक्षण खत्म नहीं किया गया है। समाज के कमजोर वर्गों को पहले ही की तरह आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। यूपी में आरक्षण खत्म होने की बात पूरी तरह फर्जी है।

दूसरे दावे में कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि सामान्य कैटेगरी में आरक्षित कैटेगरी का अभ्यर्थी लाभ नहीं ले सकता है। इस फैसले को भी हमने गूगल पर सर्च किया, लेकिन हमें दिल्ली हाईकोर्ट का ऐसा कोई फैसला नहीं मिला।

इसके बाद हमें ऐसा ही फैसला मिला, जो कि सुप्रीम कोर्ट ने लिया था। जागरण डॉट कॉम की एक खबर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है कि अब आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को आरक्षित वर्ग में ही नौकरी मिलेगी, चाहे उसने सामान्य वर्ग के कैंडिडेट से ज्यादा अंक क्यों न हासिल किए हों। यानी कि वो सामान्य कैटेगरी में समायोजित नहीं हो सकेगा।

जस्टिस आर. भानुमति और जस्टिस एएम खानविलकर की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि एक बार आरक्षित वर्ग में आवेदन कर उसमें छूट और अन्य रियायतें लेने के बाद कैंडिडेट आरक्षित वर्ग के लिए ही जॉब का हकदार होगा। उसे समान्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जा सकता। ये खबर 23 अप्रैल, 2017 को पब्लिश की गई थी।

सोशल स्कैनिंग करने पर पता चला कि फेसबुक पर ‘पिछड़ा अतिपिछड़ा वर्ग एकता समूह’ को 86 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में ये पोस्ट फर्जी निकली है। यूपी में आरक्षण को समाप्त नहीं किया गया है। प्रदेश में आरक्षण का लाभ पहले ही की तरह लोगों को मिलता रहेगा। इसी के साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के द्वारा सामान्य वर्ग में आरक्षित वर्ग को लाभ नहीं मिलने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।

  • Claim Review : दावा किया है कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना गया है जहां से आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है।
  • Claimed By : पिछड़ा अतिपिछड़ा वर्ग एकता समूह
  • Fact Check : झूठ
झूठ
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