महाराष्ट्र के नागपुर में चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम के साथ बीजेपी कार्यकर्ताओं के पकड़े जाने का दावा गलत है। ईवीएम के साथ जिस वाहन को निशाना बनाया गया, वह जोनल ऑफिसर की गाड़ी थी, जिसमें बिना इस्तेमाल यानी अनयूज्ड ईवीएम रखा हुआ था। इस श्रेणी में आने वाली ईवीएम और वीवीपैट्स मशीनें सेक्टर या जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट के पास होती हैं, जो रिजर्व होती हैं और जिसका इस्तेमाल मतदान में नहीं हुआ होता है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और इसी संदर्भ में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो क्लिप को लेकर दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र के नागपुर में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ले जा रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं को पकड़ा है, जिसकी मदद से चुनाव के नतीजों में हेराफेरी किया जाना था।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो महाराष्ट्र के नागपुर का है, लेकिन इसके साथ किया जा रहा दावा गलत है। ईवीएम के साथ जिस वाहन को निशाना बनाया गया है, वह जोनल ऑफिसर की गाड़ी थी, जिसमें बिना इस्तेमाल यानी अनयूज्ड ईवीएम रखा हुआ था।
चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक, चुनाव के बाद सभी ईवीएम और वीपीपैट को चार श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जिसमें कैटेगरी डी के तहत अनयूज्ड ईवीएम और वीवीपैट को रखा जाता है, जो सेक्टर या जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट के पास रिजर्व होती है और इसका इस्तेमाल मतदान में नहीं हुआ होता है।
सोशल मीडिया यूजर ‘vandanaa_bharat_ki_beti’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “BIG BREAKING* खेल शुरु झंडा चौक नागपुर में ईवीएम लेजा रहे बीजेपी वालों को कांग्रेस वालो ने पकड़ा। अब भी @ECISVEEP यही कहेगा कि EVM सुरक्षित है ये देखकर यही कह सकते हैं कि कल महाराष्ट्र और झारखंड का रिजल्ट तैयार है । गिनने की प्रक्रिया अभी बाकी है । अमित का मन गुप्ता ने आपको बता दिया है । राजीव उसे अंजाम दे भी चुके है । ईवीएम है तो मोदी है । मोदी है तो EVM है…अब भी वक़्त है EVM पर तगड़ी निगरानी रखे नहीं तो हरियाणा का ही परिणाम देखेंगे।”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल वीडियो में जिस वाहन में ईवीएम रखा हुआ नजर आ रहा है, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर ‘MH19BU6027’ है। इस आधार पर सर्च की गई जानकारी के मुताबिक, यह महाराष्ट्र के जलगांव में रजिस्टर्ड नंबर है।
वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यह वीडियो कई न्यूज रिपोर्ट्स में लगा मिला, जिसके मुताबिक यह नागपुर में पोलिंग पार्टी पर हुए हमले का मामला है, जब कुछ लोगों ने ईवीएम ले जा रहे चुनाव अधिकारी की गाड़ी पर हमला कर दिया।
एबीपी लाइव के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो बुलेटिन में इस मामले को लेकर नागपुर के संयुक्त पुलिस आयुक्त, निसार तम्बोली का बयान भी शामिल है। तम्बोली ने कहा, “…उनकी गाड़ी में जो ईवीएम था, वह स्पेयर(बिना इस्तेमाल के रिजर्व में रखा गया) ईवीएम था।”
एक अन्य वीडियो रिपोर्ट में भी इस घटना का समान संदर्भ में जिक्र है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में तम्बोली के बयान का जिक्र है, जिसमें उन्होंने कहा, “किसी भी ऑरिजिनल (मतदान में इस्तेमाल हुए) ईवीएम को नुकसान नहीं हुआ है।”
इसे लेकर हमने नागपुर के डिप्टी कलेक्टर (निर्वाचन अधिकारी) प्रवीण माहिरे से संपर्क किया और उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया, “जिस वाहन पर हमला किया गया, उसमें रखा गया ईवीएम रिजर्व ईवीएम था, न कि मतदान में इस्तेमाल हुआ ईवीएम।”
इसके बाद हमने नागपुर कोतवाली पुलिस स्टेशन से संपर्क किया। पुलिस अधिकारी अतुल मोहनकर ने हमें बताया, “पुलिस ने इस चुनाव अधिकारी की गाड़ी पर हमले के मामले में अब तक कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।”
निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक, चुनाव के बाद सभी उपलब्ध ईवीएम और वीवीपैट्स को चार श्रेणियों में बांटा जाता है।
कैटेगरी A: पोल्ड EVMs और VVPATs
पहली श्रेणी में वह ईवीएम और वीवीपैट शामिल होते हैं, जिससे मतदान हुआ होता है और जिन्हें मतदान खत्म होने के बाद बंद कर दिया जाता है।
कैटेगरी B: डिफेक्टिव पोल्ड EVMs और VVPATs
इसमें वैसे ईवीएम शामिल होती हैं, जो कुछ मतों के डाले जाने के बाद खराब हो जाती है।
कैटेगरी C: डिफेक्टिव अनपोल्ड EVMs और VVPATs
इस श्रेणी में उन मशीनों को रखा जाता है, जो चुनाव के पहले ही खराब हो जाती हैं और जिन्हें बदल दिया जाता है।
कैटेगरी D: अनयूज्ड EVMs और VVPATs
इस श्रेणी में आने वाली ईवीएम और वीवीपैट्स मशीनें सेक्टर या जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट के पास होती हैं, जो सुरक्षित होती हैं और जिसका इस्तेमाल मतदान में नहीं हुआ होता है।
इस तरह का दावा पहले भी अन्य चुनावों में वायरल होता रहा है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान वाराणसी में ईवीएम की हेराफेरी का समान दावा वायरल हुआ था और हमने अपनी जांच में पाया था कि संबंधित ईवीएम मतगणना प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल वाले ईवीएम थे। इस दौरान हमने वाराणसी के उप जिला निर्वाचन अधिकारी रणविजय सिंह से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया, “सभी ईवीएम चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक वर्गीकृत कैटेगरी डी (अनयूज्ड ईवीएम और वीवीपैट्स) की थी, जिनका इस्तेमाल चुनाव में नहीं होता है और न ही इसे चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम के साथ एक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है।”
संबंधित फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
वायरल पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब पांच सौ से अधिक लोग फॉलो करते हैं। चुनाव से संबंधित अन्य वायरल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज के चुनाव सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को, वहीं झारखंड में 13 और 20 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसके नतीजे आज आए हैं। भारत निर्वाचन आयोग के मुताबिक, महाराष्ट्र की कुल 288 सीटों में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति (गठबंधन) को दो तिहाई से अधिक बहुमत मिलने का अनुमान है। वहीं, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन सरकार में वापसी कर रही है।
निष्कर्ष: महाराष्ट्र के नागपुर में चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम के साथ बीजेपी कार्यकर्ताओं के पकड़े जाने का दावा गलत है। ईवीएम के साथ जिस वाहन को निशाना बनाया गया, वह जोनल ऑफिसर की गाड़ी थी, जिसमें बिना इस्तेमाल यानी अनयूज्ड ईवीएम रखा हुआ था। इस श्रेणी में आने वाली ईवीएम और वीवीपैट्स मशीनें सेक्टर या जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट के पास होती हैं, जो रिजर्व होती हैं और जिसका इस्तेमाल मतदान में नहीं हुआ होता है।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।