नई दिल्ली (विश्वास टीम)। अयोध्या जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले फेसबुक और वॉट्सऐप समेत सोशल मीडिया के दूसरे माध्यमों पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें सभी फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग और सोशल मीडिया हैंडल की निगरानी समेत अन्य दावे किए गए हैं।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। सोशल मीडिया पर फैल रहा यह संदेश मनगढ़ंत और गलत है।
फेसबुक यूजर वालम मेघवाल (Valam Meghwal) ने लिखा है, ‘अयोध्य फैसला के संबंध में कल से नए Communication के नए नियम लागू होने वाले हैं।’
यूजर्स ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है, ”1. सभी कॉल की recording होगी।
2. सभी call recording saved होंगे
3. Whatsapp, Facebook, Twitter और सभी Social media सभी monitored होंगे
4. जो ये नहीं जानते उन सभी को सूचित कर दीजिये।
5. आपकी Devices को मन्त्रालय systems से जोड़ दिया जायेगा।
6. ध्यान दीजिये कोई भी गलत message किसी को भी मत भेजिये
7. अपने बच्चों, भाइयों, रिश्तेदारों, दोस्तों,परिचितों आदि सभी को सूचित कर दें कि इन सबका ध्यान रखें और social sites को संयम से चलायें।
8. कोई आपत्तिजनक post या video..आदि जो आप recieve करते हैं राजनीति या वर्तमान स्थिति पर सरकार या प्रधानमंत्री के खिलाफ, उसे Send नहीं करें।
9. इस समय किसी राजनीतिक या धार्मिक मुद्दे पर कोई आपत्तिजनक मैसेज लिखना या भेजना अपराध है …..ऐसा करने पर बिना वारंट के गिरफ़्तारी हो सकती है |
10. पुलिस एक नोटिफ़िकेशन निकालेगी ….फ़िर Cyber अपराध… फ़िर action लिया जायेगा ।
11. यह बहुत ही गम्भीर है।
आप सभी group members, admins ,…इस विषय पर गहराई से सोचिये
12. कोई गलत Message मत भेजिये। सभी को सूचित करें तथा इस विषय पर ध्यान रखें।Groups ज्यादा सतर्क व सावधान रहें। सतर्क रहें, सावधान रहें.”
व्हाट्सएप पर भी यह मैसेज समान दावे के साथ लगातार शेयर किया जा रहा है।
न्यूज सर्च में हमें ऐसी कई खबरें मिली, जिसके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने का जिक्र है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कई समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की कतरनें मिली, जिसके अयोध्या और पूरे राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों और पुलिस बलों की मुस्तैदी के बारे में जानकारी दी गई है।
सर्च में हमें न्यूज एजेंसी ANI UP के ट्विटर हैंडल पर अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा का बयान मिला। ट्वीट के मुताबिक, ‘अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने अयोध्या जमीन विवाद में वैसे किसी भी सोशल मीडिया मैसेज और पोस्टर पर पाबंदी लगा रखी है, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है। यह फैसला आगामी त्योहार और अयोध्या जमीन विवाद में आने वाले फैसले को देखकर लिया गया है। यह निषेध 28 दिसंबर 2019 तक जारी रहेगा।’
हमें अयोध्या पुलिस का वह ट्वीट भी मिला, जिसमें वायरल हो रहे मैसेज का खंडन करते हुए उसे शेयर नहीं करने की अपील की गई है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज का स्क्रीन शॉट लगाते हुए अयोध्या पुलिस ने कहा, कतिपय वॉट्सऐप ग्रुपों में इस प्रकार के भ्रामक मैसेज का प्रसार किया जा रहा है, जिसका #ayodhyapolice पूर्णतया खंडन करती है। कृपया इस भ्रामक पोस्ट को शेयर न करें। @dgpup @IpsAshish @adgzonelucknow @igrangeayodhya #UPPAgainstFakeNews ‘’
न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, ”उत्तर प्रदेश में सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए टीम बना दी गई है। डीजीपी मुख्यालय पर सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टीम बनाई गई है, जिसकी अगुआई साइबर क्राइम के आईजी अशोक कुमार सिंह कर रहे हैं। इस टीम की जिम्मेदारी सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वालों को चिह्नित करना है।”
अशोक कुमार सिंह से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि वह यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने अपने जूनियर अधिकारी रोहन कनाई से संपर्क करने के लिए कहा।
साइबर क्राइम विभाग के एसपी रोहन कनाई ने विश्वास न्यूज को बताया, ‘सोशल मीडिया की निगरानी पिछले दो सालों से चल रही है। इसमें कुछ नया नहीं है, बल्कि अयोध्या मामले में आदेश की वजह से इसे और बढ़ा दिया गया है।’ उन्होंने वायरल मैसेज का खंडन करते हुए कहा कि पुलिस की कार्यविधि में कोई बदलाव नहीं आया है। सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के मामले में पहले भी सोशल मीडिया की निगरानी होती रही है और आज भी की जा रही है। उन्होंने बताया, ‘यह कहना गलत है कि कोई नया नियम आ गया है और हम सभी कॉल्स और मैसेज की रिकॉर्डिंग और मॉनिटरिंग कर रहे हैं।’
विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के गृह सचिव अवनीश अवस्थी से भी बात की। वायरल मैसेज को खारिज करते हुए अवस्थी ने कहा, ‘इसमें कोई सच्चाई नहीं है। हम इसका खंडन करते हैं। ऐसा कोई नियम नहीं लागू होने जा रहा है।’
दूरसंचार मंत्रालय के भी एक अधिकारी ने ऐसे किसी नियम या प्रस्तावित नियम का खंडन किया। अधिकारी ने कहा, ‘हमारी तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है, और नहीं दूरसंचार नियमों में कोई बदलाव प्रस्तावित है, जो सभी कॉल्स, मैसेजेज और सोशल मीडिया की निगरानी की मंजूरी देते हैं।’
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी करते हुए उन्हें सतर्क रहने की सलाह दी है।
निष्कर्ष: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले नए संचार नियम लागू होने के दावे के साथ वायरल हो रहा मैसेज फर्जी और मनगढ़ंत है।
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