Fact Check : बांग्‍लादेश का 2017 का वीडियो अब पश्चिम बंगाल के नाम पर फर्जी दावे के साथ वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि 2017 के बांग्‍लादेश के एक प्रदर्शन के वीडियो को अब कुछ लोग पश्चिम बंगाल का बताकर वायरल कर रहे हैं। पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई।

Fact Check : बांग्‍लादेश का 2017 का वीडियो अब पश्चिम बंगाल के नाम पर फर्जी दावे के साथ वायरल

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में हजारों लोगों को सड़क पर प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ दावा किया जा रहा है कि यह पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की एक रैली का वीडियो है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। बांग्‍लादेश के 2017 के प्रदर्शन के वीडियो को अब कुछ लोग भारत के पश्चिम बंगाल के मुसलमानों से जोड़कर वायरल कर रहे हैं। वीडियो में वॉइस अलग से डाली गई है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर सूरज धनारिया ने 26 अगस्‍त को एक वीडियो को अपलोड किया। वीडियो में सड़कों पर बड़ी तादाद में लोग दिख रहे हैं। इसे लेकर दावा किया गया : ‘👆यह बंगाल हैं, कल up, बिहार, दिल्ली, फिर राजस्थान, mp, गुजरात मे भी हो तो आश्चर्य नहीं होगा, देशद्रोही औऱ सेक्युलर इस पोस्ट पर लाइक न करें दूर रहे। This is Bengal. Muslims says we will take over everything. Thanks to Secularism.’

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल वीडियो को InVID टूल में अपलोड किया। इसके बाद इसके कई वीडियो ग्रैब्‍स निकालकर गूगल रिवर्स इमेज में सर्च किया। सर्च के दौरान वायरल वीडियो हमें कई जगह मिला।

वायरल वीडियो का ओरिजनल वर्जन हमें स्‍पाइस इन्‍फो ट्यूब नाम के एक यूट्यूब चैनल पर मिला। इसमें बताया गया कि बांग्‍लादेश के इस्‍लामी आंदोलन के लोग म्‍यांमार एंबेसी के पास प्रदर्शन करते हुए हुए। वीडियो को 13 सितंबर 2017 को अपलोड किया गया था। ओरिजनल वीडियो में नारों की आवाज सुनाई दी, जबकि वायरल वीडियो में अलग से वॉइस डाली गई है। पूरा वीडियो आप यहां देख सकते हैं।

पड़ताल के अगले चरण में हमने गूगल सर्च की मदद ली। गूगल में इस्‍लामी आंदोलन बांग्‍लादेश, म्‍यांमार, जैसी कीवर्ड टाइप करके सर्च करना शुरू किया। हमें कई मीडिया वेबसाइट पर आंदोलन से जुड़ी खबरें मिलीं। आउटलुक की वेबसाइट पर 8 सितंबर 2017 को पब्लिश एक रिपोर्ट में बताया गया कि पड़ोसी देश म्‍यांमार में रोहिंग्‍याओं की हत्‍या के विरोध स्‍वरूप ढाका की सड़कों पर प्रदर्शनकारी उतरे। इस आंदोलन के पीछे इस्‍लामी आंदोलन पार्टी थी। 15 हजार से ज्‍यादा लोगों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

पड़ताल के अगले चरण में हमने दैनिक जागरण के वेस्‍ट बंगाल के ब्‍यूरो चीफ जेके वाजपेयी से संपर्क किया। उन्‍हें हमने वायरल वीडियो भेजा। वीडियो देखकर उन्‍होंने हमें बताया कि इसमें यदि पुलिस की वर्दी को देखा जाए तो साफ पता करता है कि ये पश्चिम बंगाल की पुलिस नहीं है। पूरे पश्चिम बंगाल में पुलिस ऐसी वर्दी नहीं पहनती है। यह पश्चिम बंगाल का वीडियो नहीं है।

पड़ताल के अंतिम चरण में पहुंचने के बाद हमने उस यूजर की जांच की, जिसने बांग्‍लादेश के वीडियो को पश्चिमी बंगाल का बताकर वायरल किया। हमें पता चला कि यूजर सूरज धानारिया इंदौर का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि 2017 के बांग्‍लादेश के एक प्रदर्शन के वीडियो को अब कुछ लोग पश्चिम बंगाल का बताकर वायरल कर रहे हैं। पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई।

False
Symbols that define nature of fake news
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