सोशल मीडिया पर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से फर्जी बयान वायरल हो रहा है। इस तरह का कोई भी बयान पूर्व राष्ट्रपति ने नहीं दिया था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर न्यूजपेपर की एक कटिंग वायरल हो रही है। इसमें पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की फोटो के साथ में लिखा है कि मुसलमान पैदाईशी आतंकवादी नहीं होते और उन्हें मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, जिसके अनुसार वे गैर-मुसलमानों को मारते हैं। आतंकवाद को काबू में करने के लिए भारत में चल रहे हजारों मदरसों पर प्रतिबंध लगाना बेहद जरूरी है। यूजर्स इसे पूर्व राष्ट्रपति का बयान समझकर शेयर कर रहे हैं। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि एपीजे अब्दुल कलाम ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। अब्दुल कलाम के नाम पर वायरल यह बयान मनगढ़ंत और फर्जी है।
फेसबुक यूजर Brajesh Chauhan (आर्काइव लिंक) ने 13 जून 2022 को न्यूजपेपर की कटिंग को शेयर करते हुए लिखा,
एक अनमोल पेपर कटिंग जिसे लोगों महत्व नहीं दिया।
कटिंग में लिखा है,
मुसलमान पैदाईशी आतंकवादी नहीं होते। उन्हें मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, जिसके अनुसार वे हिन्दू, बौद्ध, सिख, इसाई, यहूदी और अन्य गैर—मुसलमानों को चुन चुनकर मारते हैं। आतंकवाद पर नियंत्रण के लिये भारत में चल रहे हजारों मदरसों पर प्रतिबंध लगाना बेहद जरूरी है।’
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने इसे कीवर्ड से सर्च किया, लेकिन ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे इस बयान की पुष्टि हो सके। हां, सर्च करने पर हमें फेसबुक पर 10 नवंबर 2013 को पोस्ट किया गया ऐसा ही बयान मिला। फेसबुक यूजर জাগৃত চেতনায়-দর্পণে মুখমুখিঃ চিত্ত যেথা ভয়শূন্য উচ্চ যেথা শির ने इसे शेयर किया था। मतलब यह बयान करीब साढ़े आठ साल पहले भी वायरल हो चुका है।
हमने न्यूजपेपर की कटिंग को भी सर्च किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसकी अधिक पुष्टि के लिए हमने एपीजे अब्दुल कलाम के भतीजे एवं डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी शेख सलीम से बात की। उनका कहना है, ‘इस तरह का कोई भी बयान अब्दुल कलाम ने नहीं दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल दावा फेक है।‘
इससे पहले भी यह पोस्ट काफी वायरल हो चुकी है। विश्वास न्यूज की रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
अब्दुल कलाम के फर्जी बयान को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ‘ब्रजेश चौहान’ की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह आगरा में रहते हैं और मार्च 2015 से फेसबुक पर सक्रिय हैं।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से फर्जी बयान वायरल हो रहा है। इस तरह का कोई भी बयान पूर्व राष्ट्रपति ने नहीं दिया था।
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