उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में पिछले साल एक ही समुदाय के दो पक्षों के बीच हुई घटना के वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में कुछ लोगों को एक व्यक्ति को बेरहमी से पीटते हुए देखा जा सकता है। सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किए जा रहे इस वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि धार्मिक पहचान की वजह से बुर्का पहनी महिला और उसके पति की निर्ममतापूर्वक पिटाई की गई।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। वास्तव में वायरल वीडियो में नजर आ रहे आरोपी और पीड़ित पक्ष एक ही समुदाय से संबंधित थे और यह आपसी झगड़े का मामला था, जिसे सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को पाकिस्तानी यूजर्स भारत में सांप्रदायिक वैमनस्यता फैलाने के मकसद से साझा कर रहे हैं।
पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूजर ‘Dr Fatima K – PTI’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ” Visual discretion advised!! A burqa clad woman and her husband undergoing baton beating just because she was wearing a burqa!! Shining India”
फेसबुक पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो (आर्काइव लिंक) को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
सोशल मीडिया सर्च में हमें यह वीडियो मिला, जिसे पिछले साल कई यूजर्स ने अपनी प्रोफाइल से शेयर किया है। ट्विटर यूजर प्रशांत शुक्ला की प्रोफाइल पर यही वीडियो मिला, जिसमें उन्होंने इसे सिद्धार्थनगर का बताया है।
छह जुलाई 2020 को उन्होंने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ‘#सिद्धार्थनगर…#जंगलराज….असहाय परिवार को कैसी बेरहमी से मारा जा रहा है, लोग मूक बने हैं, सरकार कोमा में है और अपराधी अताताई हो चुके हैं ! बाकी तस्वीरें इटवा ते पिपरी बुजुर्ग की हैं जो विचलित करने वाली हैं!’
उन्होंने इस वीडियो में उत्तर प्रदेश पुलिस को भी टैग किया है। चूंकि इस वीडियो को अन्य यूजर्स ने हिंदू बनाम मुस्लिम का रंग देते हुए शेयर किया है, जिसकी वजह से सिद्धार्थनगर पुलिस को इस मामले में खंडन जारी करना पड़ा।
सिद्धार्थनगर पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘थाना इटवा क्षेत्र के पिपरी बुजुर्ग में रहने वाले एजाज ने पुलिस को बताया कि उनके ही गांव के इस्तेखार, अनवर, मोहम्मद कलीम और हलीम सई के बीच बच्चों की बात को लेकर झगड़ा हुआ, जिसके बाद यह सभी उसे गाली देते हुए लाठी-डंडा से मारने लगे। इस दौरान एजाज, उनकी पत्नी आलिया और लड़के गुलाम मोहम्मद रजा को चोटें आई।’
पुलिस की तरफ से कहा गया है कि दोनों पक्ष एक ही धर्म के हैं और यह आपसी झगड़ा बच्चों की बात को लेकर मारपीट में तब्दील हो गया। पुलिस ने इस वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर साझा नहीं किए जाने की चेतावनी दी भी है। पुलिस की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘इस प्रकरण में थाना इटवा पर सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर तीन लोगों को हिरासत में लेकर कानूनी कार्रवाई की गई।’
विश्वास न्यूज ने इस घटना को लेकर सिद्धार्थनगर पुलिस के सोशल मीडिया सेल से संपर्क किया। सोशल मीडिया सेल के प्रभारी मनीष कुमार जायसवाल ने इस मामले में सिद्धार्थनगर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) विजय धुल का वीडियो बयान भेजा, जिसके मुताबिक, ‘आज (6 जुलाई) इटवा थाना क्षेत्र के पिपरी बुजुर्ग गांव में पड़ोस के रहने वाले एक ही समुदाय के दो परिवारों के बीच बच्चे की बात को लेकर झगड़ा हुआ था, जिसमें बाद में बड़े लोग भी शामिल हो गए। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया, जो वीडियो में भी नजर आ रहे हैं।’
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को गलत और सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर करने वाली यूजर पाकिस्तान की रहने वाली है।
निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में पिछले साल एक ही समुदाय के दो पक्षों के बीच हुई घटना के वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है।
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