नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर जारी आंदोलन के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में गीत गाते हुए देखा और सुना जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के जाटों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में उनका गुणगान किया।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान करते हुए बीजेपी नेताओं का यह वीडियो पिछले साल जनवरी महीने का है, जिसे हाल का बताकर वायरल किया जा रहा है।
सोशल मीडिया यूजर ‘Adv Anup Singh’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”दिल्ली के जाटों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का गुणगान- मोदी चालीसा…।”
वीडियो को शेयर किए जाने की तारीख (5 फरवरी) से इसके हाल के होने का आभास होता है।
वीडियो में भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी को अन्य नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसलों का गुणगान करते हुए देखा जा सकता है। बीजेपी नेता आर्टिकल 370 को हटाए जाने समेत अन्य फैसलों का गुणगान कर रहे हैं।
सोशल मीडिया सर्च में हमें यह वीडियो कई जगह मिला, जिसे अलग-अलग यूजर्स ने जनवरी 2020 के दौरान साझा किया था। फेसबुक यूजर ‘शिवभक्त पुष्पक भाऊ’ ने इस वीडियो को अपनी प्रोफाइल से 10 जनवरी 2020 को समान दावे के साथ शेयर किया था।
बीजेपी नेता कुसुम खत्री ने इस वीडियो को हैशटैग #IndiaSupportsCAA के साथ चार जनवरी 2020 को शेयर किया है।
हमें ऐसे कई प्रोफाइल पर यह वीडियो मिला, जिसमें इस वीडियो को पिछले साल जनवरी महीने में चार तारीख के आसपास शेयर किया गया है। वहीं, न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का आंदोलन पिछले 84 दिनों से जारी है।
हमने इस वीडियो को किसान आंदोलन को कवर करने वाले हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के रिपोर्टर शुजाउद्दीन और सोनू राणा को दिखाया। उन्होंने बताया, ‘यह वीडियो किसान आंदोलन से संबंधित नहीं है।’
गौरतलब है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन पिछले 84 दिनों से जारी है।
वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रहने वाला बताया है।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी का गुणगान करते हुए बीजेपी नेताओं का वीडियो पिछले साल जनवरी महीने का है, जिसे हाल के किसान आंदोलन से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
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