विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। गुजरात की एक पुरानी तस्वीर को अब गलत संदर्भ के साथ जोड़कर यूपी के नाम से वायरल की जा रही है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म मसलन फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर एक तस्वीर धड़ल्ले से वायरल हो रही है। पुलिसिया अत्याचार की इस तस्वीर में एक पुलिसकर्मी को एक लंबे बाल वाले साधु को सड़क पर घसीटते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह तस्वीर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के शासनकाल की है। विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर की जांच की। पता चला कि तस्वीर का मुलायम सिंह यादव या फिर यूपी से कोई संबंध नहीं है। यह पुरानी तस्वीर गुजरात के आसाराम बापू के आश्रम पर हुई पुलिसिया कार्रवाई की है।
फेसबुक यूजर स्वप्निल कुमार शुक्ला ने छह दिसंबर को एक तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा कि हमारे संतो का बाल पकड़ कर खिंचवाने वाला कोई जेहादी नही था,,,वो अखिलेश यादव का बाप था…याद है ना??
पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों लिखा गया है। इसके आकाईव्ड वर्जन को यहां देखें। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर का सच जानने के लिए ऑनलाइन टूल्स का इस्तेमाल करते हुए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज का इस्तेमाल किया। वायरल तस्वीर को इसमें अपलोड करके सर्च करने पर हमें पुरानी तारीखों से पब्लिश लेखों में वायरल तस्वीर दिखीं। 25 सितंबर 2010 को एक ब्लॉग पर पुलिसिया अत्याचार पर पब्लिश एक लेख में भी इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। इसे आप यहां पढ़ सकते हैं।
इसी तरह हमें कुछ ट्वीट भी मिले। जहां वायरल तस्वीर को वर्ष 2008 के आसाराम आश्रम का बताया गया। इसके आधार पर हमने आश्रम की प्रवक्ता नीलम दुबे से संपर्क किया और उनके साथ फोटो शेयर की। उन्होंने बताया कि वायरल तस्वीर आश्रमवासी एक भाई की है।
विश्वास न्यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण गुजरात के वरिष्ठ संवाददाता शत्रुघ्न शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि गुजरात के साबरमती में स्थित आसाराम आश्रम द्वारा संचालित गुरुकुल से दो बच्चों के लापता होने तथा बाद में उनके क्षत-विक्षत शव नदी की पेटी से मिलने के बाद आश्रम के खिलाफ आंदोलन हुआ था। आश्रमवासियों ने इस दौरान आम नागरिकों एवं पत्रकारों पर हमला किया, जिसके बाद पुलिस कार्रवाई के दौरान आश्रम में मौजूद कई असामाजिक तत्वों को निकाला गया था। यह फोटो उसी दौरान का है।
जांच के अंत में विश्वास न्यूज ने फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर स्वप्निल शुक्ला की सोशल स्कैनिंग में पता चला कि इसके तीन हजार मित्र हैं। यूजर यूपी के कानपुर का रहने वाला है। यह यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। गुजरात की एक पुरानी तस्वीर को अब गलत संदर्भ के साथ जोड़कर यूपी के नाम से वायरल की जा रही है।
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