Fact Check: 1919 के मार्शल लॉ की फोटो को भगत सिंह का बताकर फेक दावे से किया जा रहा शेयर

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की तस्वीर है। तस्वीर में एक पुलिस अधिकारी (औपनिवेशक कालीन वर्दी पहने हुए) को सिख नौजवान को पीटते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि पुलिस के हाथों पिट रहा सिख नौजवान कोई और नहीं, बल्कि भगत सिंह हैं।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल तस्वीर में नजर आ रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं, बल्कि कोई सामान्य सिख नौजवान है। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान औपनिवेशिक कालीन पुलिसिया अत्याचार को बयां करती इस तस्वीर को भगत सिंह का बताकर शेयर किया जा रहा है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Omkar Nalawade’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है। जिस पर लिखा है- “भगत सिंह जी की कोड़े से मार खाते हुए ये दुर्लभ फोटो कभी अखबार में छपी थी।”

सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल तस्वीर, जिसमें नजर आ रहे सिख नौजवान को भगत सिंह बताया गया है।

कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

रिवर्स इमेज सर्च में हमें यह तस्वीर ‘Kim A. Wagner’ के ट्विटर प्रोफाइल से किए गए एक पुराने ट्वीट में मिली। 22 मई 2018 को इस प्रोफाइल से किए गए ट्वीट में दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें से एक तस्वीर वायरल तस्वीर से हूबहू मेल खाती है।

दी गई जानकारी में बताया गया है, ‘पंजाब के कसूर में सार्वजनिक रूप से सजा देने (कोड़े मारने) की यह दो तस्वीरें हैं और इन्हें बेंजामिन हॉर्निमैन ने 1920 में भारत से बाहर ले जाकर प्रकाशित किया।’

कई अन्य रिपोर्ट से इस दावे की पुष्टि होती है। sabrangindia.in की वेबसाइट पर प्रकाशित आर्टिकल में इस तस्वीर का इस्तेमाल समान संदर्भ में किया गया है।

sabrangindia.in पर प्रकाशित आर्टिकल में इस्तेमाल की गई तस्वीर।

वायरल तस्वीर को लेकर हमने भगत सिंह पर काम करने वाले प्रोफेसर चमन सिंह से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि यह तस्वीर भगत सिंह की नहीं है।

प्रोफेसर लाल ने बताया कि 15 अप्रैल 1919 को पूरे पंजाब में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया था। अमृतसर में जहां लेडी शेरवुड पर हमला हुआ और उन्हें बचाया गया, वहां पर लोगों को घुटनों के बल रेंगकर चलने का जनरल डायर ने आदेश दिया। इस दौरान ऐसी कई तस्वीरें सामने आई, जिसमें लोगों को सरेआम मारा और पीटा गया।

इससे पहले भी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर समान दावे के साथ वायरल हो चुकी है, जिसकी जांच विश्वास न्यूज कर चुका है। विश्वास न्यूज की इस फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब दो सौ लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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