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Fact Check: कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की रिहाई की मांग के साथ प्रदर्शन करते युवक की तस्वीर का मौजूदा किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं

जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की रिहाई की मांग के साथ प्रदर्शन करते सिख युवक की तस्वीर 2019 में हुए प्रदर्शन की है, जिसे मौजूदा किसान आंदोलन के नाम से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Jan 6, 2021 at 07:28 PM
  • Updated: Jan 10, 2021 at 07:33 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर में सिख युवक को जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की रिहाई की मांग के पोस्टर के साथ देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि कृषि कानूनों की वापसी की मांग के साथ पिछले एक महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों के आंदोलन के बीच इस तरह का प्रदर्शन हुआ।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। वायरल हो रही तस्वीर का मौजूदा किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है। यह तस्वीर 2019 में दल खालसा नाम के संगठन की तरफ से किए गए प्रदर्शन की तस्वीर है, जिसे मौजूदा किसान आंदोलन के नाम पर वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘I Support Arnab Goswami’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”पिछले 3 दशक मे आतंकवादियों ने हज़ारों माँ की कोक उजाड़ दी… और जब उन आतंकी के समर्थन मे हुर्रियत के नेता खड़े होते थे मन बेहद रोता था। अब जब मोदी सरकार ने उनको जेल मे बंद कर दिया तो किसान आंदोलन में ये युवक उन्हीं को आज़ाद कराना चाहता है… ये देख इसके पूर्वज की आत्मा भी रोती होगी।”

सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

तस्वीर के साथ किए गए दावे की सत्यता परखने के लिए हमने इसे गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। सर्च में हमें यह तस्वीर babushahi.com नामक वेबसाइट पर 11 मार्च 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट में मिली।

Babushahi.com की वेबसाइट पर 11 मार्च 2020 को लगी रिपोर्ट में इस्तेमाल हुई तस्वीर, जिसे हालिया किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है

रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर दल खालसा नाम के संगठन की तरफ से किए गए प्रदर्शन से संबंधित है, जिसमें उन्होंने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को राजनीतिक कैदी करार देते हुए उनकी रिहाई की मांग की थी।

पड़ताल के इस चरण से यह साबित होता है कि वायरल हो रही तस्वीर सोशल मीडिया पर किसानों के आंदोलन के शुरू होने से कई महीने पहले की है। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग के साथ आंदोलन कर रहे किसानों का प्रदर्शन पिछले 41 दिनों से जारी है।

वायरल हो रही तस्वीर में प्रदर्शनकारी युवक के हाथ में मौजूद पोस्टर में दल खालसा का नाम लिखा हुआ है।

विश्वास न्यूज ने दल खालसा के पूर्व प्रेसिडेंट हरचरणजीत सिंह धानी से संपर्क किया। उन्होंने इस तस्वीर के 2019 में हुए प्रदर्शन की पुष्टि करते हुए बताया, ‘यह तस्वीर 10 दिसंबर 2019 की है, जब दल खालसा ने आर्टिकल 370 और कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया था। हमारे संगठन ने अमृतसर से श्रीनगर तक का मार्च निकाला गया था, लेकिन हमें कश्मीर की सीमा पर लखनपुर के पास रोक दिया गया। यह तस्वीर वहीं की है।’

यानी वायरल हो रही तस्वीर 2019 के दिसंबर महीने में हुए पुराने विरोध प्रदर्शन से संबंधित है, जिसे मौजूदा किसान आंदोलन के नाम से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

वायरल हो रही तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के पेज को फेसबुक पर करीब 44 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं। यह पेज विचारधारा विशेष से प्रेरित नजर आता है।

निष्कर्ष: जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की रिहाई की मांग के साथ प्रदर्शन करते सिख युवक की तस्वीर 2019 में हुए प्रदर्शन की है, जिसे मौजूदा किसान आंदोलन के नाम से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

निष्कर्ष: जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की रिहाई की मांग के साथ प्रदर्शन करते सिख युवक की तस्वीर 2019 में हुए प्रदर्शन की है, जिसे मौजूदा किसान आंदोलन के नाम से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

  • Claim Review : किसान आंदोलन में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की रिहाई की मांग
  • Claimed By : FB Page-I Support Arnab Goswami
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