Fact Check: यह तस्वीर बेंगलुरू में हिंसा करने वाली भीड़ की नहीं, बांग्लादेश में हुए पुराने विरोध प्रदर्शन की है

Fact Check: यह तस्वीर बेंगलुरू में हिंसा करने वाली भीड़ की नहीं, बांग्लादेश में हुए पुराने विरोध प्रदर्शन की है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कर्नाटक के बेंगलुरू में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर हिंसक भीड़ की एक तस्वीर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर बेंगलुरु में हिंसा करने वाले हिंसक भीड़ की है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। बेंगलुरू में हिंसा करने वाली भीड़ के नाम पर वायरल हो रही यह तस्वीर बांग्लादेश की है, जिसे गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Bala Krishnan’ ने तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”For a Facebook post, two police stations, buses, cars and houses were burnt peacefully. Around 60 policemen including a ACP were injured in a peacefull riot. The dare huye musalman of bangalore burnt the MLA House as their life is in danger in India. Police said they fired 200 bullets in air. And this irked the muslims a lot, as they thought the police try to shoot their Allah instead of shooting the person who made the Facebook post. Yes if we ban hindus to write in social media then only the muslims can live here peacefully. The government should take necessary steps for it. The government should give one crore rupees and a government job to those Muslims who are all participated in the peacefull riot and get victimised by some criminal terrorist hindus. And Sources says there is a person named muddasir ahamed, who organised this agitation. And government of India should give him Bharat Ratna award for his work of uniting dare huye musalman.”

बेंगलुरू हिंसा के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

यह पहली बार नहीं है जब इस तस्वीर को गलत संदर्भ में वायरल किया गया हो। इससे पहले यह तस्वीर केरल में हिंसक भीड़ के दावे के साथ वायरल हो चुकी है।

हिंसक भीड़ की यह तस्वीर बेंगलुरू हिंसा के पहले केरल के नाम पर वायरल हो चुकी है

वायरल पोस्ट में की गई तस्वीर के साथ किए गए दावे की सत्यता को जांचने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद ली। सर्च में हमें यह तस्वीर बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के ट्विटर हैंडल पर मिली।

26 अक्टूबर 2019 को शेयर किए गए पोस्ट में इन तस्वीरों को बांग्लादेश का बताया गया है। यहां से मिली जानकारी के बाद हमने न्यूज सर्च का सहारा लिया। सर्च में हमें इसी प्रदर्शन से जुड़ी हुई एक अन्य तस्वीर गेट्टी इमेजेज की वेबसाइट पर मिली।

Source-Getty Images

तस्वीर के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘पांच मई 2013 को इस्लामी कट्टरपंथियों ने नए ईशनिंदा कानून की मांग को लेकर ढ़ाका में भारी विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन में एक व्यक्ति की मौत हुई, जबकि 35 लोग घायल हुए।’ ‘अल जजीरा’ की वेबसाइट पर छह मई 2013 को प्रकाशित रिपोर्ट से इसकी पुष्टि होती है।

इसके बाद हमने बेंगलुरू में न्यूज चैनल NDTV के रिपोर्टर निहाल किदवई से संपर्क किया। इस तस्वीर के बेंगलुरु हिंसा से जुड़े होने के दावे का खंडन करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह तस्वीर बेंगलुरु में हुई हिंसा से संबंधित नहीं है।’

वायरल पोस्ट में सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है कि मुदस्सिर अहमद नाम के व्यक्ति ने बेंगलुरू विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।

NBT की वेबसाइट पर प्रकाशित न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, एक विवादित फेसबुक पोस्ट की वजह से बेंगलुरु में भड़की हिंसा के बाद अब तक इस मामले में 206 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘नागवारा वार्ड की बीबीएमपी पार्षद इरशाद बेगम के पति कलीम पाशा को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। कलीम पाशा एक कांग्रेस मंत्री के सहयोगी भी बताए जा रहे हैं। हिंसा भड़काने के पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) की भूमिका की भी जांच चल रही है। कर्नाटक के डेप्युटी सीएम अश्वत नारायण के अनुसार, हिंसा में एसडीपीआई के चार सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद सरकार इसे बैन करने पर विचार कर रही है।’

‘आज तक’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बवाल की शुरुआत एक फेसबुक पोस्ट से हुई। आरोप है कि कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे ने फेसबुक पर एक भड़काऊ पोस्ट किया था। इस पोस्ट के बाद मंगलवार रात 9.30 बजे भीड़ विधायक श्रीनिवास मूर्ति के घर और पूर्वी बेंगलुरु के डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन पर हमला किया।’ रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में विधायक के भतीजे पी नवीन की भी गिरफ्तारी हो चुकी है।

आज तक की वेबसाइट पर 12 अगस्त को प्रकाशित रिपोर्ट

न्यूज सर्च में हमें indiatvnews.com की वेबसाइट पर प्रकाशित एक ओपिनियन आर्टिकल मिला, जिसमें दावा किया गया है, ‘बेंगलुरू पुलिस मुदस्सिर अहमद की तलाश कर रही है, जिसने आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट के स्क्रीनशॉट को समर्थकों के बीच फैलाया। अहमद ने अपने मैसेज में मुस्लिमों से डी जे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर तत्काल जमा होने की अपील की।’

indiatvnews.com की वेबसाइट पर प्रकाशित ओपिनियन आर्टिकल

विश्वास न्यूज हालांकि इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है। उपरोक्त आर्टिकल में मुदस्सिर अहमद को लेकर किए गए दावे की पुष्टि के लिए हमने बेंगलुरू के डीसीपी (ईस्ट) और डी जे हल्ली पुलिस स्टेशन के प्रभारी से संपर्क किया लेकिन दोनों ही अधिकारियों ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार करते हुए फोन रख दिया।

वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को मदुरै का रहने वाला बताया है। उन्हें फेसबुक पर करीब एक हजार लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के कारण कर्नाटक के बेंगलुरु में हिंसा के नाम पर वायरल हो रही यह तस्वीर बांग्लादेश में 2013 में हुई विरोध प्रदर्शन की है।

Disclaimer-बेंगलुरू हिंसा के मामले में पुलिस की जांच और आरोपियों की धरपकड़ जारी है। नए तथ्य सामने आने के बाद इस स्टोरी को अपडेट किया जा सकता है।

False
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट