Fact Check: बिहार सरकार के रद्द किए जा चुके विवादित फैसले की खबर को हाल का बताकर गलत दावे से किया जा रहा वायरल

बिहार में शिक्षकों से खुले में शौच करने वालों की निगरानी कराए जाने का विवादित फैसला वर्ष 2017 से संबंधित है, जिसे हाल का बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। राज्य के शिक्षा विभाग ने इस फैसले को उसी साल रद्द कर दिया था।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक हिंदी अखबार में छपी पुरानी खबर के स्क्रीनशॉट को वायरल किया जा रहा है, जिसके मुताबिक बिहार में शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों की निगरानी का आदेश जारी किया है।

हमारी जांच में यह दावा गलत और गुमराह करने वाला साबित हुआ। वायरल खबर में जिस आदेश का जिक्र किया गया है, वह 2017 से संबंधित है, जब बिहार में दो प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी करते हुए शिक्षकों को खुले में शौच की निगरानी का आदेश जारी किया था। विवाद होने के बाद राज्य शिक्षा विभाग ने इस आदेश को उसी साल वापस ले लिया था। फैसला वापस लेते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णानंदन वर्मा ने कहा था कि शिक्षा विभाग की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था और यह फैसला कुछ अधिकारियों के दिमाग की उपज थी।

क्या है वायरल पोस्ट में?

सोशल मीडिया यूजर ‘Divyaraj’ ने वायरल तस्वीर को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”खुले में शौच करने वालों की निगरानी करेगें शिक्षक….।”

सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल पोस्ट में हिंदी अखबार अमर उजाला में प्रकाशित खबर का स्क्रीनशॉट नजर आ रहा है। पटना डेटलाइन के साथ लिखी गई खबर को इस तरह से शेयर किया गया है, जिसमें उसकी तारीख के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल रही है। इस वजह से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह हाल की खबर है।

वायरल तस्वीर में नजर आ रही खबर की हेडलाइन ‘खुले में शौच करने वालों की निगरानी करेंगे शिक्षक’ की-वर्ड्स से सर्च करने पर हमें अमर उजाला की वेबसाइट पर 21 नवंबर 2017 को प्रकाशित यह खबर मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘शिक्षा विभाग के नए सर्कुलर के मुताबिक, अब सरकारी शिक्षकों को लोटे की निगरानी करनी है। सरकारी शिक्षक अब खुले में शौच करने वालों को रोकने के साथ-साथ उनकी निगरानी की जिम्मेवारी भी संभालेंगे।’

अमर उजाला की वेबसाइट पर 21 नवंबर 2017 को प्रकाशित रिपोर्ट, जिसे हाल का बताकर वायरल किया जा रहा है

अन्य न्यूज रिपोर्ट्स में भी इस विवादित फैसले का जिक्र है। सर्च में हमें अन्य न्यूज रिपोर्ट्स भी मिली, जिसमें इस अजीबोगरीब आदेश और इसके वापस लिए जाने का जिक्र है। ndtv.in की वेबसाइट पर 24 नवंबर 2017 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘शिक्षा विभाग ने खुले में शौच की निगरानी का आदेश वापस ले लिया है। इससे पूरे राज्य के दो प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने ये आदेश पारित किया था कि शिक्षक खुले में शौच की गिगरानी करेंगे और वैसे लोगों के साथ सेल्फी भी लेंगे।’

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘राज्य शिक्षा विभाग ने इस आदेश के बाद हुए विरोध के बाद इसे वापस ले लिया।’ रिपोर्ट में राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णानंदन वर्मा का बयान भी शामिल है। जिसके मुताबिक, ‘शिक्षा विभाग ने ऐसा आदेश पूरे राज्य के स्तर पर कभी नहीं दिया। यह कुछ अधिकारियों के दिमाग की उपज थी।’

न्यूज एजेंसी एएनआई के ट्वीट (21 नवंबर 2017) से इस दावे की पुष्टि होती है कि यह फैसला प्रखंड शिक्षा अधिकारी की तरफ से जारी किया गया, जिसे बाद में शिक्षा विभाग की तरफ से रद्द कर दिया गया।

हमारी अब तक की पड़ताल से यह स्पष्ट है, बिहार में शिक्षकों से खुले में शौच करने वालों की निगरानी कराए जाने का विवादित फैसला वर्ष 2017 से संबंधित है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

विवाद होने की वजह से राज्य के शिक्षा विभाग ने इस फैसले को तत्काल वापस ले लिया था।

वायरल पोस्ट को लेकर हमने दैनिक जागरण पटना के डिजिटल प्रभारी अमित आलोक से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि यह पुरानी घटना से संबंधित रिपोर्ट है। वायरल पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल को फेसबुक पर करीब 24 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: बिहार में शिक्षकों से खुले में शौच करने वालों की निगरानी कराए जाने का विवादित फैसला वर्ष 2017 से संबंधित है, जिसे हाल का बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। राज्य के शिक्षा विभाग ने इस फैसले को उसी साल रद्द कर दिया था।

False
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