Fact Check : वारंगल में तीन साल पहले हुई एक घटना को अब किया जा रहा है सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वारंगल की पुरानी घटना को अब कुछ लोग भ्रामक दावे के साथ वायरल कर रहे हैं। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि तीन साल पहले वारंगल में ऐसी घटना हुई थी। हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना वहां नहीं हुई।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म पर एक खबर वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि तेलंगाना में एक मौलवी ने पुजारी को मार डाला, क्योंकि लाउडस्पीकर पसंद न था। साथ में यह भी दावा किया जा रहा है कि इस पूरी घटना पर मीडिया खामोश है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल हो रही पोस्‍ट की विस्‍तार से जांच की। हमें पता चला कि करीब तीन साल पुरानी घटना को अब सोशल मीडिया में सांप्रदायिक जहर घोलने के लिए वायरल किया जा रहा है। जांच में यह पोस्‍ट भ्रामक साबित होती है, क्‍योंकि यह घटना हाल-फिलहाल की नहीं है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर महंत श्री श्री भावेशानंद जी ने 26 नवंबर को एक वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया : ‘ये न्यूज़ क्यों #वायरल नहीं हुई…? क्यूं खामोश रह जाते हैं #न्यूज चैनल??? *तेलंगना में एक #मौलवी ने “#पुजारी को मार डाला क्योंकि लाउड #स्पीकर पसंद न था।’

फेसबुक पोस्‍ट के आर्काइव्‍ड वर्जन को यहां देखा जा सकता है। पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का सहारा लिया। वायरल वीडियो में पुजारी का नाम सत्‍यनारायण तिवारी और आरोपी का नाम इमाम सादिक हुसैन बताया गया था। घटना वारंगल की थी। इसी आधार पर गूगल सर्च करने पर हमें न्‍यूज 18 और आजतक की वेबसाइट पर खबरें मिलीं। न्‍यूज 18 की वेबसाइट पर 3 नवंबर 2018 को पब्लिश खबर में बताया गया, ‘वारंगल में सादिक हुसैन नाम के शख्स ने पुजारी सत्यनारायण शर्मा से लाउडस्पीकर की आवाज़ कुछ कम करने को कहा था, क्योंकि इससे उसकी मां को परेशानी हो रही थी. पुजारी के इनकार के बाद सादिक ने उन पर हमला कर दिया था.’ पूरी खबर यहां पढ़ें।

2 नवंबर 2018 को आजतक की वेबसाइट पर पब्लिश खबर में बताया गया, ‘आंध्र प्रदेश के वारंगल में लाउडस्पीकर बजाने को लेकर हुए विवाद में एक इमाम द्वारा किए गए हमले में घायल पुजारी की मौत हो गई.’

आजतक की खबर में उसी पुजारी की तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया गया था, जो वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की जा रही है। यहां गौर करने लायक बात है कि न्‍यूज 18 और आजतक की खबरें 2018 की हैं। मतलब साफ है कि घटना तीन साल पुरानी है। पूरी खबर यहां पढ़ें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने वारंगल के स्‍थानीय पत्रकार रवि चंद्रा से बात की। उन्‍होंने बताया कि वायरल पोस्‍ट में जैसा दावा किया जा रहा है, वैसे कोई भी घटना हाल-फिलहाल में नहीं हुई है। 2018 में जरूर एक घटना हुई थी। वायरल पोस्‍ट उसी घटना से जुड़ी हुई है।

जांच के अंत में हमने उस यूजर की जांच की, जिसने पुरानी घटना की खबर को गलत मंशा के साथ वायरल किया। फेसबुक यूजर महंत श्री श्री भावेशानंदजी के 17 हजार फॉलोअर हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वारंगल की पुरानी घटना को अब कुछ लोग भ्रामक दावे के साथ वायरल कर रहे हैं। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि तीन साल पहले वारंगल में ऐसी घटना हुई थी। हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना वहां नहीं हुई।

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