अखिलेश यादव की हिंदू संतों और मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ तस्वीर को चुनावी संदर्भ में भ्रामक दावे से वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के लिए विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा होने के बाद सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी भ्रामक जानकारियों में तेजी आई है। इसी संदर्भ में यूजर्स दो तस्वीरों को साझा कर रहे हैं, जिसमें अखिलेश यादव को संतों और मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिलते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने से पहले अखिलेश यादव केवल मुस्लिम धर्म गुरुओं और मौलानाओं से मिलते थे और अब चुनाव आने के साथ ही वह हिंदू पुजारियों से मुलाकात कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। यह सच है कि विपक्ष में रहने के दौरान अखिलेश यादव लगातार हिंदू धर्म गुरुओं और संतों से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी हिंदू संतों से मुलाकात करते रहे हैं। इसलिए यह कहना भ्रामक है कि अखिलेश यादव योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद से हिंदू संतों से मुलाकात करने लगे हैं।
फेसबुक यूजर ‘प्रधानमंत्री मोदी फैंस’ ने वायरल तस्वीर को #फर्कसाफहै के हैशटैग के साथ शेयर किया है। कोलाज में पहली तस्वीर में जहां अखिलेश यादव को मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ देखा जा सकता है, वहीं दूसरी तस्वीर में वह हिंदू संतों के साथ नजर आ रहे हैं।
ट्विटर पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है। पहली तस्वीर में अखिलेश यादव मुस्लिम धर्म गुरुओं के साथ नजर आ रहे हैं। गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यह तस्वीर अमर उजाला की वेबसाइट पर 12 फरवरी 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट में लगी मिली।
दी गई जानकारी के मुताबिक, मुस्लिम धर्मगुरुओं के प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की। इस मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने किया। प्रतिनिधिमंडल में नदवा के प्रधानाचार्य मौलाना सईदुर्रहमान आजमी नदवी, किछौछा शरीफ के मौलाना शाह फखरुद्दीन अशरफ, देवबंद से मौलाना अब्दुल्लाह इब्नुल कमर, शाहमीना शाह दरगाह के सज्जादानशीन पीरजादा शेख राशिद अली मीनाई, मौलाना इकबाल कादरी, मौलाना इदरीस बस्तवी, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी, शाह अनवर रहमान जीलानी सफवी, खैराबाद केसज्जादानशीन शाह नजमुल हसन उर्फ शब्बू मियां, ज्ञानवापी मस्जिद के इमाम मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी शामिल रहे।
दूसरी तस्वीर में अखिलेश यादव हिंदू संतों के साथ बैठे हुए नजर आ रहे हैं। रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यह तस्वीर अखिलेश यादव के ट्विटर प्रोफाइल पर लगी मिली।
चार नवंबर 2021 को इस तस्वीर को साझा करते हुए उन्होंने लोगों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं दी है। हमारी अब तक की पड़ताल से स्पष्ट कि मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ मुलाकात की तस्वीर जहां अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहने के दौरान की है, वहीं हिंदू संतों से मुलाकात की तस्वीर विपक्ष में रहने के दौरान की है।
वायरल पोस्ट में किए गए दावे से यह ज्ञात होता है कि अखिलेश यादव ने सत्ता में रहते हुए केवल मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की। सर्च करने पर हमें uttarpradesh.org की वेबसाइट पर 29 नवंबर 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री को हिंदू साधु-संतों के साथ मुलाकात करते हुए देखा जा सकता है।
फरवरी 2013 की एक अन्य रिपोर्ट में भी उन्हें हिंदू संतों के साथ देखा जा सकता है। यह तस्वीर तब की है, जब वह कुंभ मेले का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
वायरल तस्वीर को लेकर हमने समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘चुनाव करीब आने के साथ ही बीजेपी बौखलाहट में अपने आईटी सेल के जरिए यह सब करवा रही है। बीजेपी दुष्प्रचार के जरिए विपक्षी नेताओं की छवि को खराब करने का काम करती है।’
वायरल तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब एक लाख लोग फॉलो करते हैं। विश्वास न्यूज ने इससे पहले भी ऐसे कई पोस्ट्स की पड़ताल की है, जिसे अखिलेश यादव के खिलाफ दुष्प्रचार की मंशा से वायरल किया गया था। हाल ही में उनके नाम से एक फेक ट्वीट और उनका एक पुराना वीडियो वायरल हुआ था, जिसकी पड़ताल को यहां और यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।
अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से जुड़े अन्य चुनावी फैक्ट चेक की रिपोर्ट को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट है कि मुस्लिम संतों से अखिलेश यादव के मुलाकात की तस्वीर उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान की है, जबकि हिंदू संतों से मुलाकात की तस्वीर विपक्ष में रहने के दौरान की है। लेकिन अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान कई मौकों पर हिंदू संतों और साधुओं से मुलाकात की थी। इसलिए वायरल पोस्ट में किया गया यह दावा भ्रामक है कि अखिलेश यादव ने विपक्ष में आने के बाद हिंदू संतों से मुलाकात करना शुरू किया है।
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