2022 में नैनीताल की आबादी में मुस्लिमों की बढ़ती संख्या के दावे के साथ साझा की जा रही तस्वीर 2018 में बांग्लादेश में हुए इज्तिमा की है, जिसे गलत और सांप्रदायिक दावे के साथ नैनीताल का बताकर वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दो तस्वीरों का कोलाज शेयर हो रहा है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि इसमें नजर आ रही पहली तस्वीर 2010 की नैनीताल की है, जबकि दूसरी तस्वीर 2022 की है, जो शहर में बढ़ती मुस्लिम आबादी की तरफ इशारा कर रही है।
हमारी जांच में यह दावा भ्रामक और सांप्रदायिक निकला। नैनीताल में मुस्लिमों की बढ़ती आबादी के दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर भारत की नहीं, बल्कि बांग्लादेश की है, जिसे नैनीताल का बताकर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ‘Rahul Tiwari’ ने वायरल कोलाज (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए इसमें शामिल दोनों तस्वीरों को नैनीताल का बताया है। कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल कोलाज में दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें से दूसरी तस्वीर को 2022 का नैनीताल का बताया गया है। इस तस्वीर में बड़ी संख्या में मुस्लिम किसी एक जगह एकत्रित होकर नमाज पढ़ते हुए देखे जा सकते हैं। रिवर्स इमेज सर्च में यह तस्वीर 24 जून 2018 को प्रकाशित अल जजीरा की रिपोर्ट में लगी मिली। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर बांग्लादेश की है।
गाजीपुर, बांग्लादेश डेटलाइन के साथ लिखी गई रिपोर्ट के मुताबिक, यह तस्वीर सालाना आयोजित होने वाले विश्व इज्तेमा की है, जब ढाका से करीब 35 किलोमीटर तुरग नदी के किनारे बसे शहर में बड़ी संख्या में मुस्लिमों ने नमाज अदा की।
रिपोर्ट में इस आयोजन से संबंधित अन्य तस्वीरों को भी साझा किया गया है, जो सभी बांग्लादेश की ही हैं। स्पष्ट है कि यह तस्वीर 2018 में प्रकाशित हुई रिपोर्ट में लगी है, जबकि वायरल कोलाज में इसे 2022 का बताया गया है।
साथ ही यह तस्वीर बांग्लादेश की है, न कि नैनीताल की।
कोलाज की पहली तस्वीर को नैनीताल का बताया गया है, जो सही है। रिवर्स इमेज सर्च में यह तस्वीर कई रिपोर्ट्स में लगी मिली, जिसमें इसे नैनीताल के ऊपरी माल रोड का बताया गया है। wikimedia.org पर भी यह तस्वीर नैनीताल के नाम से मौजूद है।
हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के नैनीताल के संवाददाता किशोर जोशी ने पुष्टि करते हुए बताया, ‘वायरल कोलाज की पहली तस्वीर नैनीताल के माल रोड की है।’
निष्कर्ष: 2022 में नैनीताल की आबादी में मुस्लिमों की बढ़ती संख्या के दावे के साथ साझा की जा रही तस्वीर 2018 में बांग्लादेश में हुए इज्तिमा की है, जिसे गलत और सांप्रदायिक दावे के साथ नैनीताल का बताकर वायरल किया जा रहा है।
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