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Fact Check: महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार में इशरत जहां के नाम से एंबुलेंस सेवा शुरू करने का दावा फर्जी

  • By: Abhishek Parashar
  • Published: Jan 10, 2020 at 07:06 PM
  • Updated: Aug 30, 2020 at 08:05 PM

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक एंबुलेंस की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने इशरत जहां के नाम से एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। जिस एंबुलेंस सेवा के इशरत जहां के नाम पर शुरू होने का दावा किया जा रहा है, वह अब बंद हो चुकी है और इसका किसी सरकार से कोई लेना-देना नहीं था।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर राकेश कुमार साहू (Rakesh Kr Sahu) ने एंबुलेंस की तस्वीर वाली इन्फोग्राफिक्स को शेयर किया है। जिस पर लिखा है, ”आज महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने आतंकी इशरत जहां के नाम से एंबुलेंस चलाई है। कल ये याकूब मेमन और अफजल गुरु जैसे आतंकी के नाम से भी चलाए तो आश्चर्य मत करना। हमें क्या हमें तो प्याज सस्ते चाहिए बस।”

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फर्जी पोस्ट

पड़ताल

न्यूज सर्च में हमें 14 मार्च 2016 को ‘मिड डे’ की वेबसाइट पर प्रकाशित लिंक मिला, जिसमें इशरत जहां के नाम से चलाई गई एंबुलेंस सेवा का जिक्र है और उसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, जिसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

खबर के मुताबिक, इस एंबुलेंस सेवा की शुरुआत ‘माय मुंब्रा फाउंडेशन’ ने की थी, जिसके संस्थापक रऊफ लाला हैं। खबर के मुताबिक, ‘2011 में गुजरात हाई कोर्ट के इशरत जहां को निर्दोष करार दिए जाने के बाद मुंब्रा के लोगों ने माय मुंब्रा फाउंडेशन के साथ मिलकर इस एंबुलेंस सेवा के लिए चंदा दिया था। हालांकि, रख-रखाव में आने वाले खर्च की समस्याओं की वजह से इस सेवा को रोक दिया गया।’

खबर में रऊफ लाला के हवाले से बताया गया है, ‘पिछले दो महीनों से एंबुलेंस सेवा रोक दी गई है, क्योंकि लोगों से इसका रख-रखाव नहीं हो पा रहा है। एंबुलेंस का रख-रखाव बेहद महंगा है और ड्राइवर को महीने का वेतन देना संभव नहीं है। हम इसे राजनीतिक मसला नहीं बनाना चाहते हैं।’

अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में 28 मई 2015 को छपी खबर के मुताबिक, कुछ अज्ञात लोगों ने इस एंबुलेंस सेवा को बंद किए जाने की धमकी दी थी।

खबर के मुताबिक, ‘पूर्व कॉरपोरेटर रऊफ लाला अफजल के माय मुंब्रा फाउंडेशन ने इस एंबुलेंस का नाम इशरत जहां के नाम पर रखा था, जिसकी शुरुआत 2011 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की नेता वृंदा करात के हाथों हुई थी।’

2016 में इस एंबुलेंस सेवा को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ था, जब पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे बंद किए जाने की मांग की थी। अंग्रेजी अखबार ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ में 11 मार्च 2016 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, ‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (तत्कालीन) देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करने वाली इशरत जहां के नाम पर एंबुलेंस सेवा चलाना गलत है और इसे बंद किया जाना चाहिए।’

खबर के मुताबिक, ठाणे जिले के मुंब्रा की रहने वाली इशरत जहां को 15 जून 2004 को अहमदाबाद में ”फर्जी” मुठभेड़ में मार दिया गया था।

विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर रऊफ लाला से संपर्क किया। लाला फिलहाल AIMIM से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘एंबुलेंस सेवा और फाउंडेशन दोनों ही अतीत की बात हैं। एंबुलेंस सेवा को कुछ ही समय बाद बंद कर दिया गया था।’ उन्होंने कहा कि यह फाउंडेशन की पहल थी, न कि किसी सरकार की।

‘द हिंदू’ की खबर के मुताबिक, ’15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहर पुलिस ने इशरत जहां के साथ तीन लोगों को मुठभेड़ में मार डाला था। पुलिस का दावा था कि मारे गए तीनों व्यक्ति लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे, जो नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए आए थे। सितंबर 2009 में अहमदाबाद के जज एस पी तमांग ने इसे फर्जी मुठभेड़ करार दिया था।’

खबर के मुताबिक, ‘सितंबर 2010 में हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया था। 28 जून 2011 को एसआईटी सदस्य सतीश वर्मा ने हलफनाम देकर इस एनकाउंटर को फर्जी बताया। 2011 के नवंबर में एसआईटी ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताया। इसके बाद दिसंबर 2011 में हाई कोर्ट ने इस मामले में CBI जांच के आदेश दिए थे।’

निष्कर्ष: मुंबई में कांग्रेस सरकार के इशरत जहां के नाम से एंबुलेंस सेवा को चलाए जाने का दावा गलत और फर्जी है। माय मुंब्रा फाउंडेशन ने इस एंबुलेंस की सेवा की शुरआत 2011 में की थी, जिसे 2016 में बंद किया जा चुका है।

  • Claim Review : मुंबई में कांग्रेस सरकार ने शुरू की इशरत जहां के नाम से एंबुलेंस सेवा
  • Claimed By : FB User-Rakesh Kr Sahu
  • Fact Check : झूठ
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