विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि अखिलेश यादव का वायरल वीडियो पुराना है। असल वीडियो साल 2020 का है, जब अखिलेश यादव CAA हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करने कानपुर पहुंचे थे। वीडियो का हाल-फिलहाल से कोई संबंध नहीं है। पुराने वीडियो को गलत दावे से शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें बड़ी तादाद में भीड़ को देखा जा सकता है। वीडियो को हालिया बताकर शेयर कर किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि अखिलेश यादव किसानों से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो पुराना है। असल में यह वीडियो उत्तर प्रदेश के कानपुर का है, जब साल 2020 में अखिलेश यादव नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करने कानपुर पहुंचे थे। यह वीडियो उसी समय का है, जिसे अब दिल्ली का बताकर शेयर किया जा रहा है।
इंस्टाग्राम यूजर ‘sudheerkumar4492’ ने 24 फरवरी 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसानों से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचे अखिलेश यादव जिंदाबाद जय जवान जय किसान आंदोलन।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
सबसे पहले हमने वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया। इस दौरान हमें यह वीडियो ‘यूपी तक’ के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर वीडियो से जुड़ी रिपोर्ट मिली। 9 जनवरी 2020 को अपलोड वीडियो रिपोर्ट के अनुसार, वीडियो कानपुर का है, जब अखिलेश यादव ने CAA हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की और उन्होंने पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता भी की थी।
वीडियो हमें समाजवादी पार्टी के वेरिफाइड एक्स हैंडल पर भी मिला। 9 जनवरी 2020 को शेयर किए गए वीडियो के साथ दी गई जानकारी में इसे कानपुर का बताया गया है।
वायरल वीडियो से जुड़ी खबर हमें कई अन्य न्यूज वेबसाइट पर भी मिली।
इस बारे में जानकारी के लिए हमने कानपुर में दैनिक जागरण के रिपोर्टर गौरव दीक्षित से बात की। उनका कहना है, “ वायरल वीडियो पुराना है। जब सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करने अखिलेश यादव कानपुर पहुंचे थे।”
किसान आंदोलन से जुड़ी फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।
वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले इंस्टाग्राम यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। यूजर को 546 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि अखिलेश यादव का वायरल वीडियो पुराना है। असल वीडियो साल 2020 का है, जब अखिलेश यादव CAA हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करने कानपुर पहुंचे थे। वीडियो का हाल-फिलहाल से कोई संबंध नहीं है। पुराने वीडियो को गलत दावे से शेयर किया जा रहा है।
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