मोहम्मद अजमल कसाब की फांसी रुकवाने के लिए 203 के लगभग लोगों के सिग्नेचर वाली याचिका तत्कालीन राष्ट्रपति के पास भेजी गई थी, 320 लोगों की नहीं। इनमें अखिलेश यादव का नाम नहीं था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर सभी राजनीतिक दल एक—दूसरे पर आरोप—प्रत्यारोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी जमकर हमले हो रहे हैं। एक पोस्ट काफी वायरल हो रही है। इसमें दावा किया गया है कि आतंकी अजमल कसाब की फांसी रुकवाने के लिए 302 लोगों ने साइन किए थे। उनमें से एक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी थे।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में दावे को गलत पाया। अजमल कसाब को फांसी से बचाने वाली याचिका पर अखिलेश यादव ने साइन नहीं किए थे।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक पेज ‘योगी आदित्यनाथ की सेना’ पर 3 दिसंबर को एक पोस्ट की गई। इसमें लिखा है, कसाब को फांसी की सजा रुकवाने के लिए जिन 302 लोगों ने याचिका पर साइन किए थे उनमें से एक ये अखिलेश यादव भी थे, सोचा आप भूल गए होंगे याद दिला दूं।
इसके अलावा फेसबुक पर अन्य यूजर्स ने भी इस तरह के दावे के साथ यह पोस्ट की है।
ट्विटर यूजर जनार्दन मिश्रा ने भी इस दावे को ट्वीट किया है।
पड़ताल
हमने कीवर्ड से न्यूज सर्च की। इसमें हमें 18 सितंबर 2012 एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट मिली। इसमें कहा गया है कि मुंबई में 26 नवंबर 2011 को हुए आतंकी हमले के दोषी मो. अजमल कसाब ने राष्ट्रपति के पास एक दया याचिका भेजी है। उसको सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। वह आर्थर रोड जेल में बंद है।
इस बारे में और सर्च करने पर हमें इंडियन एक्सप्रेस का एक लिंक मिला। 21 नवंबर 2012 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी कसाब की फांसी की सजा माफ कराने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक याचिका भेजी गई थी। इस पर 203 लोगों ने साइन किए थे। इस दया याचिका को खारिज कर दिया गया था। मुंबई बेस्ड वकील युग चौधरी ने अक्टूबर में तत्कालीन राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। इसके लिए उन्होंने जनता से समर्थन भी मांगा था। पहल बार में 203 लोगों ने याचिका पर साइन किया था, जबकि दूसरी बार में 15—20 सिग्नेचर बढ़ गए थे।
इनमें यूनाइटेड नेशंस के गौतम बब्बर, सीनियर वकील कॉैलीन गोंजालवेज, कसाब के वकील अमीन सोलकर व अब्बास काजमी, लेखक महाश्वेता देवी व नरेश फर्नांडिज, अभिनेत्री नंदिता दास व आमिर बशीर, नेशनल पुलिस एकेडमी के रिटायर्ड डायरेक्टर शंकर सेन, फिल्म मेकर अनुशा रिजवी समेत कई वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल थे। इनके अलावा लंदन स्कूल एंड इकोनॉमिक्स, द टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, स्कूल ऑफ अफ्रीकन एंड एशियन स्टडीज, दिल्ली यूनिवर्सिटी और जादवपुर यूनिवसिर्टी के प्रोफेसरों ने भी इस पर साइन किए थे। कुछ ग्रुप्स जैसे सिटिजन फोरम फॉर सिविल लिबर्टीज, फोरम अगेंस्ट ऑपरेशन ऑफ वुमेन भी कसाब को फांसी की सजा माफ कराने के पक्ष में थे।
advocatetanmoy पर उन लोगों की लिस्ट भी मिल गई, जिन्होंने याचिका पर साइन किए थे।
इस बारे में सपा की प्रवक्ता वंदना सिंह का कहना है कि यह पूरी तरह से फेक पोस्ट है।
इस पोस्ट को वायरल करने वाले फेसबुक पेज ‘योगी आदित्यनाथ की सेना’ की हमने पड़ताल की। यह एक राजनीतिक दल से प्रेरित पेज है। इसके 7 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: मोहम्मद अजमल कसाब की फांसी रुकवाने के लिए 203 लोगों के सिग्नेचर वाली याचिका तत्कालीन राष्ट्रपति के पास भेजी गई थी, 320 लोगों की नहीं। इनमें अखिलेश यादव का नाम नहीं था।
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