Fact Check: ट्रेनिंग में इस्तेमाल होने वाला EVM बनारस में चुनावी EVM के भ्रामक दावे से वायरल

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ईवीएम हेराफेरी दावा गलत और भ्रामक है। वायरल हो रहे वीडियो में नजर आ रहे ईवीएम चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम नहीं थे, बल्कि इन्हें मतगणना प्रशिक्षण के लिए ले जाया जा रहा था ।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के 10 मार्च को आने वाले नतीजों से पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ वीडियो के जरिए उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ईवीएम चोरी के जरिए मतों में हेरफेर का दावा किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक और गुमराह करने वाला निकला। मतगणना से पहले कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए ईवीएम को ले जाया जा रहा था और यह सभी ईवीएम अनयूज्ड यानी चुनाव में इस्तेमाल नहीं किए गए ईवीएम थे। प्रत्येक चुनाव के दौरान मतगणना से पहले ऐसे ईवीएम के साथ मतगणना कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन किया जाता है। जिन ईवीएम का इस्तेमाल चुनाव में होता है, वह स्ट्रॉन्ग रूम में बंद होती है और उसकी लगातार निगरानी की जाती है। वायरल वीडियो में नजर आ रहे ईवीएम प्रशिक्षण में इस्तेमाल होने वाला अनयूज्ड ईवीएम (चुनाव आयोग के वर्गीकरण के मुताबिक कैटेगरी डी के तहत वर्गीकृत) था, जिसे चुनाव में इस्तेमाल हुआ ईवीएम बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया गया।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Roli Tiwari Mishra’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”उत्तरप्रदेश में बड़े पैमाने पर EVM की चोरी की घटना की जानकारी मिल रही हैं
वाराणसी में 3 ट्रकों में असुरक्षित EVM पाए जाने की सूचना मिली है
इलेक्शन कमीशन संज्ञान लेकर निष्पक्ष कार्यवाही करें।”

सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक ट्विट हैंडल से ट्वीट करते हुए ईवीएम धांधली का आरोप लगाया था। उन्होंने लिखा, ‘वाराणसी में EVM पकड़े जाने का समाचार उप्र की हर विधानसभा को चौकन्ना रहने का संदेश दे रहा है।

मतगणना में धांधली की कोशिश को नाकाम करने के लिए सपा-गठबंधन के सभी प्रत्याशी और समर्थक अपने-अपने कैमरों के साथ तैयार रहें।

युवा लोकतंत्र व भविष्य की रक्षा के लिए मतगणना में सिपाही बने!’

चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो को शेयर करते हुए वाराणसी में ईवीएम हेराफेरी का आरोप लगाया है।

वीडियो के वायरल होने के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के पहाड़िया मंडी इलाके में ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया।

विवाद के सामने आने के बाद वाराणसी के जिलाधीश और जिला निर्वाचन अधिकारी कौशल राज शर्मा ने बयान देकर स्थिति को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, ‘ये ईवीएम प्रशिक्षण के लिए थे, जिन्हें मंडी स्थित खाद्य गोदाम से यूपी कॉलेज ले जाया जा रहा था। कुछ राजनीतिक दलों ने ऐसे ईवीएम को ले जा रहे वाहन को रोका और इन्हें चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम कहकर अफवाह फैलाई।’

आठ मार्च 2022 को प्रकाशित न्यूज एजेंसी एएनआई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ईवीएम में हेराफेरी का विवाद सामने आने के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी सह जिलाधीश कौशल राज शर्मा ने कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘करीब 20 ईवीएम को यूपी कॉलेज प्रशिक्षण के लिए ले जाया जा रहा था। कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने इस वाहन को रोका और यह अफवाह फैलाना शुरू कर दिया कि गाड़ी में ले जाया जा रहा ईवीएम चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम है, जबकि चुनाव में इस्तेमाल होने वाला ईवीएम अलग स्टॉन्ग रूम में रखा जाता है और प्रशिक्षण वाले ईवीएम को अलग स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। कल (9 मार्च) को मतगणना में शामिल कर्मचारियों के प्रशिक्षण का दूसरा दिन है और इन मशीनों का इस्तेमाल हमेशा ही प्रशिक्षण के लिए किया जाता है।’

आठ मार्च 2022 को प्रकाशित न्यूज एजेंसी एएनआई न्यूज की रिपोर्ट

उन्होंने कहा, ‘यहां पर स्ट्रॉन्ग रूम है। चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम को वहां रखा गया है और उसकी बैरिकेडिंग की गई है, जिसका कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। जिले में दूसरा स्ट्रॉन्ग रूम और गोदाम हैं, जहां प्रशिक्षण में इस्तेमाल होने वाले ईवीएम को रखा जाता है। दोनों ही जगह रखे जाने वाले ईवीएम का एक-दूसरे से संपर्क नहीं होता है। इस बात को स्पष्ट कर दिया गया है। मतदान के दौरान जिन ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था, उनके नंबर को सभी दलों को ईमेल कर दिया गया है। साथ ही उन्हें हार्ड कॉपी भी दी गई है। ये 20 ईवीएम अलग वाहन में रखे गए थे। नंबर का मिलान किया जा रहा है और इसे उम्मीदवारों को दिखाया जा रहा है कि ये ईवीएम चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम नहीं है।’

कई अन्य न्यूज रिपोर्ट्स में उनके इस स्पष्टीकरण का जिक्र है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश से भी इस मामले को लेकर स्पष्टीकरण दिया गया है। दी गई जानकारी में उन्हीं बातों का उल्लेख है, जिसका जिक्र ऊपर किया गया है।

उत्तर प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति

ईवीएम में हेराफेरी या ईवीएम धांधली को लेकर हर चुनाव के दौरान इस तरह के दावे सामने आते हैं। इससे पहले भी अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों और पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया यूजर्स ने समान दावे के साथ कई वीडियो को साझा किया था।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग समय-समय पर चुनाव बाद ईवीएम की सुरक्षा और उसके रख-रखाव को लेकर दिशा-निर्देश जारी करते रहता है। 22 मार्च 2019 को जारी निर्देशों के मुताबिक, कैटेगरी D के तहत अनयूज्ड ईवीएम और वीवीपैट्स मशीनें सेक्टर, जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट को दी जाती हैं। इन मशीनों का इस्तेमाल मतदान में नहीं होता है।

नीचे दिए गए आयोग के दिशानिर्देशों में इसे साफ-साफ पढ़ा जा सकता है।

निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक, ‘चुनाव के बाद सभी उपलब्ध ईवीएम और वीवीपैट्स को चार श्रेणियों में बांटा जाता है।’

कैटेगरी A: पोल्ड EVMs और VVPATs

पहली श्रेणी में वह ईवीएम और वीवीपैट शामिल होते हैं, जिससे मतदान हुआ होता है और जिन्हें मतदान खत्म होने के बाद बंद कर दिया जाता है।

कैटेगरी B: डिफेक्टिव पोल्ड EVMs और VVPATs

इसमें वैसे ईवीएम शामिल होती हैं, जो कुछ मतों के डाले जाने के बाद खराब हो जाती है।

कैटेगरी C: डिफेक्टिव अनपोल्ड EVMs और VVPATs

इस श्रेणी में उन मशीनों को रखा जाता है, जो चुनाव के पहले ही खराब हो जाती हैं और जिन्हें बदल दिया जाता है।

कैटेगरी D: अनयूज्ड EVMs और VVPATs

इस श्रेणी में आने वाली ईवीएम और वीवीपैट्स मशीनें सेक्टर या जोनल या एरिया मजिस्ट्रेट के पास होती हैं, जो सुरक्षित होती हैं और जिसका इस्तेमाल मतदान में नहीं हुआ होता है।

इस मामले में अतिरिक्त पुष्टि के लिए हमने वाराणसी के जिला निर्वाचन अधिकारी से संपर्क किया। मतगणना को लेकर होने वाली तैयारी बैठकों में शामिल होने की व्यस्तता के कारण हमारा उनसे संपर्क नहीं हो सका। इसके बाद हमने उप जिला निर्वाचन अधिकारी रणविजय सिंह से संपर्क किया। उन्होंने ईवीएम हेराफेरी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘सभी ईवीएम को मतगणना प्रशिक्षण में लगे कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए उदय प्रताप डिग्री कॉलेज ले जाया जा रहा था। ये सभी ईवीएम प्रशिक्षण के लिए थी और इनका इस्तेमाल चुनाव में नहीं किया गया था।’


उन्होंने कहा, ‘सभी ईवीएम चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक वर्गीकृत कैटेगरी डी (अनयूज्ड ईवीएम और वीवीपैट्स) की थी, जिनका इस्तेमाल चुनाव में नहीं होता है और न ही इसे चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम के साथ एक स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है।’

ईवीएम में हेराफेरी के दावे के साथ वायरल वीडियो को शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 61 हजार लोग फॉलो करते हैं। अपनी प्रोफाइल में इन्होंने स्वयं को आगरा का निवासी बताया है।

निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ईवीएम हेराफेरी दावा गलत है। वायरल हो रहे वीडियो में नजर आ रहे ईवीएम चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम नहीं थे, बल्कि इन्हें मतगणना प्रशिक्षण के लिए ले जाया जा रहा था। कुछ राजनीतिक दलों ने ऐसे ईवीएम को ले जा रहे वाहन को रोका और इन्हें चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम कहकर अफवाह फैलाई।

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