Fact Check: मास्को में रमजान के दौरान नमाज के वीडियो को फ्रांस का बताकर किया जा रहा है वायरल

रूस के मास्को में रमजान के दौरान कैथेड्रल मस्जिद के बाहर पढ़ी गई नमाज के वीडियो को गलत दावे के साथ फ्रांस का बताकर वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में बड़ी संख्या में लोगों को सड़कों पर नमाज पढ़ते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि दुनिया को उदारवादी मानवता का पाठ पढ़ाने वाले फ्रांस को अब उसका सबक मिल रहा है, क्योंकि फ्रांसीसी नागरिकों के पास अब चलने का रास्ता तक नहीं बचा है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल हो रहा वीडियो फ्रांस का नहीं है, बल्कि रूस के मास्को से संबंधित है, जहां रमजान के दौरान मुस्लिम कैथेड्रल मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ रहे हैं।

क्या है वायरल?

फेसबुक यूजर ‘अजय वर्मा’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”25 साल पहले फ्रांस ‘#लिबरल-#मानवता’ का #पाठ रट रहा था…अब उसे ‘#सबक’ मिल रहा है.. 👇
आम #फ्रांस के #नागरिकों के पास #चलने को #रास्ता नहीं है..।”

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल वीडियो में बड़ी संख्या में सड़क पर लोगों को नमाज पढ़ते हुए देखा जा सकता है। 30 सेकेंड के इस वीडियो में 20वें सेकेंड के फ्रेम में एक विशाल मस्जिद नजर आ रही है, जिसका गुंबद सुनहरे रंग का है।

वायरल वीडियो में नजर आ रही मस्जिद

वीडियो के इसी फ्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर कई वेबसाइट का लिंक मिला, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।dreamstime.com की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर मास्को स्थित कैथेड्रल मस्जिद की तस्वीर है। फोटो एजेंसी shutterstock.com की वेबसाइट पर भी इस मस्जिद की कई तस्वीरें मिली, जो मास्को स्थित कैथेड्रल मस्जिद की है।

अब तक की पड़ताल से यह स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो फ्रांस का नहीं, बल्कि रूस के मास्को का है। सोशल मीडिया सर्च में बीबीसी वर्ल्ड की संवाददाता ओल्गा इवशिना के ट्विटर हैंडल पर 15 अक्टूबर 2013 को साझा की गई एक तस्वीर भी मिली, जो वायरल वीडियो में नजर आ रहे दृश्यों में से एक की तस्वीर है।

ट्वीट के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर मास्को में ईद के दौरान की तस्वीर है। न्यूज सर्च में तुर्की भाषा की वेबसाइट yenisafak.com पर चार मई 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें इस्तेमाल किया गया वीडियो हूबहू वही है, जो वायरल पोस्ट में नजर आ रहा है।

yenisafak.com पर प्रकाशित रिपोर्ट

दी गई जानकारी के मुताबिक, यह वीडियो रूस की राजधानी मास्को की है, जहां हजारों की संख्या में मुस्लिमों ने रमजान के दौरान नमाज अदा की। जेएनयू के पूर्व छात्र और मास्को टूर पर गए छात्र शशिकांत ने बताया, ‘वीडियो में नजर आ रही मस्जिद मास्को स्थिति कैथेड्रल मस्जिद है।’

हमारी पड़ताल से स्पष्ट है कि मास्को में रमजान के दौरान नमाज के वीडियो को फ्रांस का बताते हुए गलत दावे से वायरल किया जा रहा है। वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब तीन सौ लोग फॉलो करते हैं और यह प्रोफाइल विचारधारा विशेष से प्रेरित है।

निष्कर्ष: रूस के मास्को में रमजान के दौरान कैथेड्रल मस्जिद के बाहर पढ़ी गई नमाज के वीडियो को गलत दावे के साथ फ्रांस का बताकर वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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