Fact Check: बांग्लादेश में फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रॉ के खिलाफ हुई रैली का पुराना वीडियो त्रिपुरा के नाम से भ्रामक दावे से वायरल

बांग्लादेश में वर्ष 2020 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रॉ के खिलाफ हुई रैली के वीडियो को त्रिपुरा में हुई मुस्लिमों की रैली बताकर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद मुस्लिम समुदाय की तरफ से निकाली गई एकजुटता रैली है। इससे पहले भी ऐसे कई वीडियो समान दावे के साथ वायरल हो चुका है, जिसे हमने अपनी पड़ताल में गलत और भ्रामक पाया था।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह पोस्ट भी गलत साबित हुआ। वायरल हो रहा वीडियो बांग्लादेश से संबंधित है, जिसे त्रिपुरा के संदर्भ में गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Freelancer Md Nur’ ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए #tripuraattrack StandwithTripuraMuslims #TripuraMuslimsUnderAttack #SaveTripuraMuslims जैसे हैशटैग का इस्तेमाल किया है, जिससे यह वीडियो त्रिपुरा में हुई मुस्लिमों की रैली प्रतीत होती है।

पड़ताल

वायरल वीडियो में बड़ी संख्या में लोगों के हुजूम को मार्च करते हुए देखा जा सकता है। इनविड टूल की मदद से मिले की-फ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ‘VOA News’ के वेरिफाइड यू-ट्यूब चैनल पर दो नवंबर 2020 को अपलोड किया हुआ वीडियो बुलेटिन मिला। 31 सेकेंड के इस बुलेटिन में नजर आ रहा दृश्य, वायरल वीडियो से मेल खाता है।

दी गई जानकारी के मुताबिक, यह वीडियो दो नवंबर 2020 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रॉ के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन का है।

सर्च में हमें ऐसी कई न्यूज रिपोर्ट्स भी मिली, जिससे इसकी पुष्टि होती है। न्यूज एजेंसी ‘AP Archive’ के वेरिफाइड यूट्यूब चैनल पर सात नवंबर 2020 को अपलोड किया गया वीडियो बुलेटिन इसी प्रदर्शन पर आधारित रिपोर्ट है। वायरल वीडियो के दृश्य को इस लंबे वीडियो में देखा जा सकता है।

दो मिनट 10 सेकेंड के इस बुलेटिन में नजर आ रहा दृश्य वायरल वीडियो से मेल खाता है। दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा पैगंबर मोहम्मद के कैरिकेचर की अनुमति देने वाले धर्मनिरपेक्ष कानूनों के समर्थन के खिलाफ देश (बांग्लादेश) के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन के दौरान (दो नवंबर 2020) सोमवार को हजारों मुसलमानों ने बांग्लादेश की राजधानी (ढ़ाका) की सड़कों पर जुलूस निकाला।’

नीचे दिए गए कोलाज में दोनों वीडियो के बीच के समान दृश्यों को देखा जा सकता है।

इस वीडियो को लेकर हमने बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति और रोहिंग्या मसलों जैसे कई मुद्दों पर ग्राउंड रिपोर्ट करने वाले पत्रकार अभिषेक रंजन सिंह से संपर्क किया। बांग्लादेश की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले सिंह ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति के अभिव्यक्ति की आजादी से संबंधित एक फैसले को लेकर ढाका में यह विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था।

गौरतलब है कि त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद त्रिपुरा पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी वीडियो अपील में लोगों से फेसबुक और ट्विटर पर किसी तरह की अफवाह नहीं फैलाने की अपील की गई है। हालांकि, इसके बावजूद सोशल मीडिया पर भ्रामक या गलत दावे के साथ वीडियो और तस्वीरों को साझा किए जाने की प्रवृत्ति में कमी नहीं आई है।

त्रिपुरा हिंसा से संबंधित विश्वास न्यूज की अन्य फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है। वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने स्वयं को कोलकाता का रहने वाला बताया है। उनकी प्रोफाइल को करीब 100 से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: बांग्लादेश में वर्ष 2020 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ हुई रैली के वीडियो को त्रिपुरा में हुई मुस्लिमों की रैली बताकर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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