नई दिल्ली (विश्वास टीम)। फेसबुक पर एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ सांकेतिक अर्थियां दिख रही हैं। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि ये रांची के एक ही परिवार के 7 ब्राह्मणों की लाशें हैं, जो भुखमरी के कारण मर गए। विश्वास टीम की पड़ताल में यह दावा फर्जी साबित हुआ। तस्वीर झारखंड की राजधानी रांची की नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में आरक्षण के खिलाफ एक प्रदर्शन की है। 31 जुलाई 2018 को जबलपुर में आरक्षण के खिलाफ सांकेतिक शवयात्रा निकाली गई थी। उसी की एक तस्वीर को अब रांची के नाम पर फैलाया जा रहा है।
फेसबुक यूजर रंजन कुमार सिंह ने 16 सितंबर को शाम 5:48 बजे एक तस्वीर को अपलोड करते हुए दावा किया : ”रांची के एक ही परिवार के 7 ब्राह्मणों की लाशें जो भुखमरी के कारण मर गए उन्हें कोई सरकारी सहायता सिर्फ इसलिए नहीं मिली कि वह ब्राम्हण थे…”
इस पोस्ट को अब तक पांच सौ से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है,जबकि 272 लोगों ने इस पोस्ट पर अपनी राय व्यक्त की है।
विश्वास टीम ने सबसे पहले वायरल हो रही पोस्ट को ध्यान से देखा। हमें कुल छह अर्थियां नजर आईं। हर एक अर्थी के बगल में हमें कागज के कुछ पोस्ट नजर आए। जिस पर कुछ लिखा हुआ था। इसके अलावा तस्वीरों से हमें लगा कि यह फोटो किसी प्रदर्शन की है।
इसके बाद हमने ‘रांची के एक ही परिवार के 7 ब्राह्मणों की लाशें जो भुखमरी के कारण मर गए’ लिखकर सर्च किया। हमें एक भी ऐसी खबर नहीं मिली, जो इस दावे की पुष्टि कर सके।
फिर हमने Google और Yandex में वायरल तस्वीर को अपलोड करके सर्च किया। आखिरकार हमें Yandex पर एक खबर का लिंक मिला, जहां वायरल तस्वीर से मिलती-जुलती फोटो का इस्तेमाल किया गया। समग्रभारत नाम की वेबसाइट पर 2 अगस्त 2018 को पब्लिश एक खबर में बताया गया कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में राष्ट्रीय आरक्षण पीडि़त वर्ग मोर्चा की ओर से आरक्षण के खिलाफ छह अर्थियों की शवयात्रा निकाली गई। इसमें मोर्चा के संयोजक पंडित खम्परिया का जिक्र हमें मिला।
विश्वास टीम ने वायरल तस्वीर और समग्रभारत की वेबसाइट पर मौजूद तस्वीर की तुलना की तो हमें दोनों तस्वीर में कई लोग कॉमन दिखे। ये आप नीचे देख सकते हैं।
शवयात्रा की खबर हमें जबलपुर से प्रकाशित नईदुनिया अखबार की वेबसाइट पर भी मिली। 1 अगस्त 2018 को प्रकाशित खबर में मोर्चा के संयोजक अमित खम्परिया का जिक्र हमें मिला।
खबर के अनुसार, यह सांकेतिक शव यात्रा मंगलवार को निकाली गई थी। जब हमने कैलेंडर में चेक किया कि 1 अगस्त 2018 को कौन-सा दिन था तो हमें पता चला कि उस दिन बुधवार था। मतलब यह रैली 31 जुलाई 2018 को निकाली गई थी।
इसके बाद जब हमने गूगल में अमित खम्परिया को सर्च किया तो हमें धमेंद्र गुप्ता नाम के एक ब्लॉग पर वही तस्वीर मिल गई, जो रांची के नाम पर वायरल हो रही है।
पड़ताल के दौरान हमें न्यूज18 की वेबसाइट पर जबलपुर की सांकेतिक शवयात्रा का एक वीडियो मिला। इसमें बताया गया कि यह अनूठी शवयात्रा आरक्षण के खिलाफ निकाली गई थी। वेबसाइट पर यह वीडियो 2 अगस्त 2018 को अपलोड किया गया था।
तहकीकात के अगले चरण में हमने अमित खम्परिया से संपर्क करने का फैसला किया। उन्होंने हमें बताया कि आरक्षण के खिलाफ उनका संगठन अक्सर इस प्रकार की रैली, धरना- प्नदर्शन करता रहता है। जिस तस्वीर को वायरल किया जा रहा है, वह हमारे ही प्रदर्शन की है। यह प्रदर्शन पिछले साल हुआ था।
अमित खम्परिया ने शव यात्रा से जुड़े कई वीडियो हमें भेजे। वीडियो में हमें सांकेतिक शव यात्रा में शामिल वही पंडित, महिलाएं और आदमी दिखें, जो वायरल फोटो में मौजूद थे। नीचे दी गई तस्वीर में आप उस पंडित को देख सकते हैं।
चूंकि, वायरल पोस्ट में जबलपुर की तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए रांची में भुखमरी की बात की जा रही तो हमने वहां के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अनीश गुप्ता से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि पुलिस को इस फर्जी पोस्ट की जानकारी मिल चुकी है। इसकी जांच शुरू कर दी गई है। इसकी ओरिजिन का पता लगाया जा रहा है। कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अंत में विश्वास टीम ने जबलपुर के प्रदर्शन की तस्वीर को गलत दावे के साथ रांची की बताकर वायरल करने वाले फेसबुक यूजर रंजन कुमार सिंह की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता लगा कि उन्होंने यह अकाउंट नवंबर 2018 में बनाया। भागलपुर के रहने वाले रंजन कुमार सिंह आरक्षण विरोधी मूवमेंट से जुड़े हुए हैं।
निष्कर्ष : हमारी पड़ताल में पता चला कि ‘रांची के एक ही परिवार के 7 ब्राह्मणों की लाशें’ का दावा करने वाली पोस्ट झूठी है। वायरल पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर मध्य प्रदेश के जबलपुर में 31 जुलाई 2018 को आरक्षण के खिलाफ निकाली गई एक सांकेतिक शव यात्रा की है।
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