Fact Check:  8 महीने पुराना गोरखपुर पंचायत चुनाव का वीडियो गलत दावे के साथ हुआ वायरल

विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और पाया कि यह दावा फर्जी है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं बल्कि जून 2021 का है। वीडियो का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। पिछले साल गोरखपुर में पंचायत चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी। वायरल वीडियो उसी झड़प के दौरान का है।

Fact Check:  8 महीने पुराना गोरखपुर पंचायत चुनाव का वीडियो गलत दावे के साथ हुआ वायरल

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार को लेकर प्रत्याशियों ने गतिविधियां बढ़ा दी हैं। कोरोना गाइडलाइन के मद्देनजर कोई वर्चुअल संवाद कर तो कोई डोर-टू-डोर संपर्क कर प्रचार में जुटे हैं। प्रचार के दौरान जनता के बीच वोट मांगने गए कई बीजेपी नेताओं को जनता का गुस्सा भी झेलना पड़ रहा है। इसी से जोड़कर एक वीडियो इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में गुस्साई भीड़ एक शख्स को पीटती हुई नजर आ रही है। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि वोट मांगने जा रहे बीजेपी नेताओं की पिटाई का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और पाया कि यह दावा फर्जी है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि जून 2021 का है। वीडियो का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। पिछले साल गोरखपुर में पंचायत चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी। वायरल वीडियो उसी झड़प के दौरान का है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Chetan Zinzuwadia ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि लगता है, भाजपा की धुलाई बंद होने का नाम ही नहीं ले रही।

फेसबुक यूजर Janta ki awaz ने भी ऐसी ही पोस्ट के साथ इस दावे को अपने फेसबुक पर शेयर किया है। सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स इस पोस्ट से मिलते-जुलते दावे को शेयर कर रहे हैं। फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसके आकाईव्ड वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल –

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए InVID टूल का इस्‍तेमाल किया। वायरल वीडियो के कई ग्रैब्‍स इसके माध्‍यम से निकाले गए। इसके बाद इनकी मदद से गूगल रिवर्स सर्च टूल का इस्‍तेमाल करते हुए ओरिजनल सोर्स तक पहुंचने की कोशिश की गई। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी एक वीडियो रिपोर्ट एबीपी  के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 26 जून 2021 को अपलोड मिला। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, वायरल वीडियो गोरखपुर का है। गोरखपुर में जिला पंचायत चुनाव के दौरान सपा और बीजेपी कार्यकर्ताओं में भिड़ंत हो गई थी। जिसे लोग अब गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 27 जून 2021 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए प्रत्याशी अपना नामंकन भरने के लिए पंचायत ऑफिस पहुंचे थे। बीजेपी ने साधना सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था। तो वहीं सामजवादी पार्टी की तरफ से आलोक गुप्ता नाम का एक शख्स प्रत्याशी था। मगर नामांकन के समय सपा नेता वहां नहीं पहुंचे। फिर सपा ने एक दूसरे व्यक्ति जितेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाकर नामंकन भरने की कोशिश की। इसी को लेकर बीजेपी समर्थकों और सपा समर्थकों के बीच झड़प हो गई और जितेंद्र यादव अपना नामंकन नहीं भर पाए।

सर्च के दौरान हमें वायरल वीडियो एएनआई के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर 26 जून 2021 को अपलोड मिला। कैप्शन में यही जानकारी दी गई है कि यह वीडियो गोरखपुर में पंचायत चुनाव के दौरान सपा और बीजेपी समर्थकों के बीच हुई झड़प का है।

अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण के गोरखपुर के पत्रकार सचिन पांडे से संपर्क किया। हमने वॉट्सऐप के जरिए वायरल दावे को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो पिछले साल पंचायत चुनाव के समय बीजेपी समर्थकों और सपा समर्थकों के बीच हुई झड़प का है। यह घटना गोरखपुर कलेक्ट्रेट कचहरी परिसर में हुई थी।

पड़ताल के अंत में हमने दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Chetan Zinzuwadia के अकाउंट की स्कैनिंग की। स्कैनिंग से हमें पता चला कि यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है। फेसबुक पर पांच हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। फेसबुक पर यूजर के 4.9K फ्रेंड्स मौजूद है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और पाया कि यह दावा फर्जी है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं बल्कि जून 2021 का है। वीडियो का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। पिछले साल गोरखपुर में पंचायत चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी। वायरल वीडियो उसी झड़प के दौरान का है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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