विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर कोविड-19 संक्रमण और 5जी टेक्नोलॉजी को जोड़कर एक दावा वायरल हो रहा है। अलग-अलग रूप में वायरल हो रहे इन दावों में एक बात कॉमन है। इनमें दावा किया जा रहा है कि भारत में जो कोरोना वायरस की लहर आई है, लोगों की मौत हो रही है, उसकी वजह कोई बीमारी नहीं बल्कि 5जी टावर की टेस्टिंग से निकलने वाला रेडिएशन है। दावे के मुताबिक इसे ही कोरोना का नाम दिया गया है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा गलत साबित हुआ है। WHO 5जी टेक्नोलॉजी और कोरोना से जुड़े इस दावे को पहले ही खारिज कर चुका है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मेडिकल साइंस में यह साबित हो चुका है कि कोविड-19 एक वायरस है और इसका संक्रमण ही वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है।
विश्वास न्यूज को अपने फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर ये दावा अलग-अलग रूप में फैक्ट चेक के लिए मिला है। एक दावे में जहां कोरोना नहीं बल्कि 5जी टावर की टेस्टिंग से निकले रेडिएशऩ को लोगों की मौत की वजह बताया जा रहा है, वहीं दूसरे दावे में में किसी शशि लथूरा नाम की समाजसेविका के हवाले से यही दावा किया जा रहा है। चैटबॉट पर मिले इन दोनों दावों को यहां नीचे देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज को यह दावा सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर भी वायरल मिला। फेसबुक यूजर Satyam Rai ने 28 अप्रैल 2021 को इस वायरल दावे को ‘भूमिहार समाज एक राष्ट्र गौरव’ नाम के ग्रुप में शेयर किया है।
इस फेसबुक पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
हमें यह दावा ट्विटर पर भी वायरल मिला। ट्विटर यूजर BRÅÑDÊD ÇHËTÃÑ ने 4 मई 2021 को इस वायरल दावे को ट्वीट किया है।
इस ट्वीट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
कोविड-19 और 5जी टेक्नोलॉजी को लेकर ऐसा ही दावा पिछले साल भी वायरल हो चुका है। तब भी यह दावा किया जा रहा था कि 5जी नेटवर्क टावरों से निकलने वाले रेडिएशन की वजह से मौतें हो रही हैं, जिन्हें छिपाने के लिए कोरोना वायरस का नाम दिया जा रहा है। विश्वास न्यूज ने तब इस वायरल दावे के संबंध में यूनिवर्सिटी ऑफ वोलोन्गॉन्ग के प्रोफेसर और इंटरनेशनल कमिशन ऑन लॉन आयोनाइजिंग रेडिएशन प्रोटेक्शन (ICNIRP) के सदस्य रोडनी क्रॉफ्ट से संपर्क किया था। तब उन्होंने हमें बताया था कि 5जी डिवाइसों से काफी कम मात्रा में नॉन आयनाइजिंग रेडिएशन निकलता है, जिसे शरीर आसानी से पचा लेता है। ऐसी स्थिति में शरीर के टिशू गर्म होते हैं, लेकिन यह गर्माहट इतनी कम होती है कि इसका कोई नुकसान नहीं होता। उनके मुताबिक यह लगभग उतनी ही होती है, जितना हम सामान्य दिनों में महसूस करते हैं। विश्वास न्यूज की तब की गई फैक्ट चेक स्टोरी को यहां नीचे देखा जा सकता है।
वायरल दावे में यह भी कहा गया है कि 5जी से पहले 4जी रेडिएशन पक्षियों को मार चुका है। इससे पहले जनवरी 2021 में भारत में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने पर दावा किया गया था कि Jio की 5जी टेस्टिंग की वजह से पक्षी मर रहे हैं और इसे बर्ड फ्लू का नाम दिया जा रहा है। विश्वास न्यूज ने तब इस मामले की पड़ताल की थी। तब इंटरनेट पर सर्च के दौरान हमें यूनिसेफ मॉन्टेगरो की आधिकारिक साइट पर मौजूद एक ब्लॉग मिला था। यह ब्लॉग 5जी से जुड़ी गलत और भ्रामक सूचनाओं पर आधारित है। 7जुलाई 2020 को प्रकाशित इस ब्लॉग में एक्सपर्ट के हवाले से बताया गया है कि 5जी नेटवर्क सुरक्षित हैं और इनसे न तो किसी की मौत हो रही है और न ही वायरस का संक्रमण फैल रहा है। इस ब्लॉग में यह भी बताया गया है कि कॉन्सिपिरेसी थ्योरी वालों ने यह भी झूठी सूचनाएं फैलाईं कि 5जी नेटवर्क से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है। हालांकि, WHO ने इसे खारिज करते हुए कहा कि किसी टेलिकम्युनिकेशन डिवाइस की रेडियो वेब्स से वायरस का संक्रमण नहीं फैल सकता। इस ब्लॉग पोस्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज की इस फैक्ट चेक स्टोरी को यहां नीचे देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस संबंध में फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश बागड़ी से संपर्क किया। उन्होंने वायरल दावे को सिरे से खारिज करते हुए बताया कि इस बीमारी को वैश्विक महामारी घोषित हुए एक साल से अधिक हो गए। लैब टेस्ट में रोजाना साबित हो रहा है कि कोविड-19 नाम के वायरस से लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं, जबकि 5जी टेक्नोलॉजी और रेडिएशन की वजह से बीमारी फैलने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। दुनिया के कई देशों में पहले से 5जी टेक्नोलॉजी है। मेडिकल साइंस में साबित हो चुका है कि यह वायरस से फैलने वाला संक्रमण है। कोविड-19 वायरस की चपेट में आकर लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सिम्टम्स के हिसाब से इसका इलाज होता है। ऐसे में जब पूरी मानवता इस संक्रामक महामारी से जूझ रही है, तो ऐसे फर्जी दावे समस्या में और इजाफा करते हैं। ऐसी झूठी कहानियां फैलाने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल दावे को शेयर करने वाले ट्विटर यूजर BRÅÑDÊD ÇHËTÃÑ की प्रोफाइल को स्कैन किया। यह प्रोफाइल अगस्त 2020 में बनाई गई है और फैक्ट चेक किए जाने तक इसके 1591 फॉलोअर्स थे।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ है कि कोरोना वायरस की मौजूदा लहर के पीछे की वजह 5जी टावरों की टेस्टिंग से निकला रेडिएशन है। WHO 5जी टेक्नोलॉजी और कोरोना से जुड़े इस दावे को पहले ही खारिज कर चुका है। कोविड-19 का संक्रमण दुनिया के ऐसे देशों में भी दिखा है, जहां 5जी टेक्नोलॉजी है ही नहीं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मेडिकल साइंस में यह साबित हो चुका है कि कोविड-19 एक वायरस है और इसका संक्रमण ही वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है। इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि 5जी टेक्नोलॉजी लोगों के लिए खतरनाक है।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।