विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी निकला। जिस वीडियो को हालिया संघर्ष के नाम पर वायरल किया जा रहा है, वह असल में 2016 का है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर किसान संघर्ष को लेकर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ लोगों के समूह को हाथ में तलवार पकड़े और नारेबाजी करते देखा जा सकता है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि किसान अपने प्रदर्शन में देश विरोधी नारे लगा रहे हैं। विश्वास टीम ने वायरल पोस्ट की पड़ताल की और पाया कि यह वीडियो हालिया नहीं 4 साल पुराना है। इस वीडियो का किसान संघर्ष से कोई संबंध नहीं है।
बता दें कि यह वीडियो ठीक पिछले साल दिसंबर 2019 में नागरिकता कानून के नाम पर भी वायरल हुआ था, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज़ ने की थी।
फेसबुक पेज हिन्दू युवा वाहिनी ने 9 दिसंबर को एक वीडियो अपलोड करते हुए कैप्शन लिखा: “नाम किसान आंदोलन,और हाथों में हत्यार और खालिसतान के नारे 🤯”
वहीं, ट्विटर यूज़र Ach. Ankur Arya (@AchAnkurArya) ने वायरल वीडियो के ज़्यादा अवधि के वीडियो को अपलोड करते हुए कैप्शन लिखा: यह हिंदुस्तान का गरीब किसान है इनकी मांगें पूरी करो सरकार… Confused face अब कुछ लोग कहेंगे यह दिल्ली का नही, कुछ कहेंगे ये किसान नही। और कुछ कहेंगे अंकुर आर्य नफरत फैला रहा है। Face with rolling eyes ताकि मूल संकट से ध्यान भटका सकें।
फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड लिंक और ट्विटर पोस्ट का आर्काइव्ड लिंक यहां देखें।
पड़ताल की शुरुआत करते हुए हमने इस वीडियो को InVID टूल पर डाला और इसके कीफ्रेम्स निकाले। इन कीफ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज टूल के जरिए सर्च करने पर हमें यह हूबहू वीडियो Youtube पर 25 मई 2016 का अपलोड मिला। खालसा गतका ग्रुप नाम के एक यूट्यूब चैनल द्वारा इस वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा गया: “Live From Beas (Shiv Sena not Come to Amritsar)”
हमने खालसा गतका ग्रुप चैनल के एक एडमिन भूपेंद्र सिंह छतवाल से सम्पर्क किया। छतवाल ने हमें बताया कि यह वीडियो उन्होंने ही फिल्माया था और यह वीडियो 2016 का है, जब शिवसेना द्वारा प्रस्तावित ललकार रैली के खिलाफ सिख आउटफिट ने अमृतसर में अपनी एक रैली निकाली थी।
इस रैली को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स पर प्रकाशित खबर यहां क्लिक कर पढ़ी जा सकती है।
पड़ताल के अगले चरण में हमने इस मामले को लेकर आधिकारिक पुष्टि के लिए हमारे पंजाबी जागरण के सहयोगी अमृतसर जिला इंचार्ज रिपोर्टर अमृतपाल सिंह से संपर्क किया। अमृतपाल सिंह ने हमें बताया कि शिवसेना ने मई 2016 में ललकार रैली का प्रस्ताव दिया था। इसको रोकने के लिए ब्यास पुल पर शिरोमणि अकाली दल के लोग इकट्ठे हुए थे और वो रैली नहीं होने दी गई थी। इस रैली का हालिया किसान संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं है।
किसान संघर्ष को लेकर विश्वास न्यूज़ की हालिया पड़ताल यहां क्लिक कर पढ़ी जा सकती हैं।
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को किसान संघर्ष से जोड़कर कई यूज़र और पेज वायरल कर रहे हैं और इन्हीं में से एक है, “हिन्दू युवा वाहिनी” नाम का फेसबुक पेज।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी निकला। जिस वीडियो को हालिया संघर्ष के नाम पर वायरल किया जा रहा है, वह असल में 2016 का है।
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