Fact Check: उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव का 3 साल पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर गलत संदर्भ में किया जा रहा वायरल

चुनाव को लेकर वायरल हो रहे वीडियो की विश्वास न्यूज ने जांच की और पाया कि वीडियो का हालिया उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। वीडियो साल 2019 लोकसभा चुनाव का है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का सातवां और आखिरी चरण 7 मार्च को हो रहा है। जहां 9 जिलों के 54 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाता अपना जनादेश देने के लिए तैयार हैं, वहीं वोट से छेड़छाड़ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में लोग कह रहे हैं, “बीजेपी कार्यकर्ता वोटरों की उंगलियों पर स्याही लगा रहे हैं। लोगों को पैसे देकर रिश्वत दी जाती है और वोट न डालने के लिए कहा जाता है।” इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश के हालिया विधानसभा चुनाव का है। विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की जांच की और पाया कि वीडियो का हालिया उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। वीडियो साल 2019 लोकसभा चुनाव का है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर हथुआ पूर्वांचल News दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र! उत्तरप्रदेश ये हॉल हैं जबरदस्ती #ऊँगली में इंक लगाया जा रहा हैं और पैसे दिए जा रहे हैं, कहा जा रहा हैं की वोट देने नहीं जाना हैं।कब तक चलेगी बीजेपी की काली करतूत।

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। पोस्‍ट के आर्काइव्‍ड वर्जन को यहां देखें। एक अन्य यूजर Rajeev Kumar ने भी ऐसे ही मिलते-जुलते दावे को अपने अकाउंट पर शेयर किया है।

पड़ताल –

वीडियो को गौर से देखने पर हमने पाया कि वीडियो पर न्यूज18 का लोगो लगा हुआ है। इसके बाद हमने न्यूज18 के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को खंगालना शुरू किया। इस दौरान हमें असली वीडियो 19 मई 2019 को अपलोड हुआ प्राप्त हुआ। रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, चंदौली के ताराजीवनपुर गांव में एक दलित बहुल झुग्गी के लोगों ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर उन्हें रिश्वत देने का आरोप लगाया था। लोगों के आरोप थे कि मतदान न करने के बदले में प्रत्येक निवासियों को 500 रुपये दिए जा रहे हैं। बिना वोट डाले ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने उंगलियों पर स्याही भी लगा दी है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट NDTV की वेबसाइट पर 19 मई, 2019 को प्रकाशित मिली। रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने इन सभी आरोपों का खंडन किया था। अधिकारियों ने लोगों से शांत होकर इस मुद्दे पर एफआईआर दर्ज करने को लिए कहा था, ताकि जल्द से जल्द जांच को शुरू किया जा सके।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक 19 मई 2019 को चंदौली के एसडीएम कुमार हर्ष ने कहा था, ”शिकायतकर्ता थाने में मौजूद हैं। उनके द्वारा दर्ज करवाई गई शिकायत पर हम कार्रवाई करेंगे.”

पड़ताल के दौरान हमें चंदौली पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर वायरल दावे से जुड़ा एक ट्वीट 5 मार्च 2022 को पोस्ट हुआ मिला। पुलिस ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “प्रकरण वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव के समय का है जिसमें तत्समय आवश्यक कार्यवाही की जा चुकी है इसे #विधानसभाचुनाव2022 से जोड़ कर कृपया बिना तथ्यों की सही जानकारी व पुष्टि के भ्रामकता न फैलाएं।”

पूरी तरह से पुष्टि करने के लिए हमने दैनिक जागरण के चंदौली के ब्यूरो चीफ विजय सिंह जूनियर से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। यह वीडियो साल 2019 का है। इसका हालिया चुनाव से कोई संबंध नहीं है। हाल-फिलहाल में यहां पर ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।

विश्वास न्यूज ने जांच के आखिरी चरण में उस प्रोफाइल की पृष्ठभूमि की जांच की, जिसने वायरल पोस्ट को साझा किया था। हमने पाया कि यूजर एक विचारधारा से प्रभावित है। फेसबुक पर हथुआ पूर्वांचल News नामक यह पेज 19 दिसंबर 2021 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: चुनाव को लेकर वायरल हो रहे वीडियो की विश्वास न्यूज ने जांच की और पाया कि वीडियो का हालिया उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। वीडियो साल 2019 लोकसभा चुनाव का है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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