Fact Check: राहुल गांधी के 2016 में मजार पहुंचने पर देश हित में हुई थी दुआ, वीडियो फर्जी दावे से वायरल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया वायरल किया जा रहा दावा फर्जी और सांप्रदायिक है। यह वीडियो साल 2016 का है जब अयोध्‍या के हनुमानगढ़ी मंदिर के बाद राहुल गांधी ने अंबेडकर नगर के किछौछा शरीफ मजार पहुंच कर जियारत (दर्शन) की थी। वीडियो में मौलाना अमन और चैन के हक़ में दुआ कर रहे थे, मुसलमानों की हुकूमत को लेकर दुआ किये जाने का वायरल दावा पूरी तरह गलत है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में उन्हें एक मजार में देखा जा सकता है, जिसमें उन्हें और बाकी लोगों को सफ़ेद टोपी लगाए हुए हुए देखा जा सकता है। वहीं एक मौलाना दुआ कराते हुए भी नजर आरहे हैं। अब इस वायरल वीडियो को सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर करते हुए यूजर दावा कर रहे हैं राहुल गांधी की मौजूदगी में मजार में मुसलामानों की भारत में हुकूमत को लेकर दुआ हुई है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया वायरल किया जा रहा दावा फर्जी और सांप्रदायिक है। यह वीडियो साल 2016 का है जब अयोध्‍या के हनुमानगढ़ी मंदिर के बाद राहुल गांधी ने अंबेडकर नगर के किछौछा शरीफ मजार पहुंच कर जियारत (दर्शन) की थी। वीडियो में मौलाना अमन और चैन के हक़ में दुआ कर रहे थे, मुसलमानों की हुकूमत को लेकर दुआ किये जाने का वायरल दावा पूरी तरह गलत है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पेज ने वायरल वीडियो (आर्काइव) को शेयर करते हुए लिखा, ”नमाज पढ़ते हुए मौलाना कह रहा है रात-दिन एक करो यही वक्त़ है इस देश पर मुस्लिमों की हुकूमत चाहिए…? मौलाना के बगल में खड़ा कांग्रेस का युवराज सुन रहा है वो भी ध्यान से देख लो। यही कांग्रेस की असलियत है। कांग्रेसी चमचों को ये विडियो दिखाओ, उन्हे बड़ी खुजली रहती है। ये चमचों को समझना होगा, देश के लिए कांग्रेस और विपक्ष कितना घातक है!”

इस वीडियो को एक्स पर भी सामान्य दावे के साथ फैलाया जा रहा है।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने वायरल वीडियो को गौर से सुना। वीडियो में नजर आरहे मौलाना पहले नात शरीफ (इस्लाम में प्रशंसा के लिए पढ़ी जाने वाली एक किस्म की कविता) पढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं नात के बाद मौलाना को दुआ पढ़ते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में वह देश में अमन और अखंडता के लिए दुआ करते हुए दिख रहे हैं वहीं बैकग्राउंड में लोगों को आमीन कहते हुए भी सुना जा सका है।

वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए हमने वीडियो के कीफ्रेम्स को गूगल लेंस के जरिये सर्च किया। सर्च किये जाने पर हमें इसी मौके की तस्वीरों कांग्रेस के वेरिफाइड एक्स हैंडल पर 9 सितम्बर 2016 को अपलोड हुए हुई मिली। यहां तस्वीर के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘किछौछा शरीफ़ दरगाह में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी।’

इसी दुनियाद पर हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया और हमें वायरल वीडियो ‘समय लाइव’ नाम के यूट्यूब चैनल पर 10 सितम्बर 2016 को अपलोड हुई एक खबर के साथ मिला। यहां वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी ने उत्तरप्रदेश के आंबेडकर नगर के किछौछा शरीफ मखदूम साहब की मजार पर चादर चढ़ाई और देश में अमन और चैन की दुआ में शामिल हुए।

टेलीग्राफ इंडिया की वेबसाइट पर 10 सितम्बर 2016 को पब्लिश हुए आर्टिकल में दी गई जानकारी के मुताबिक, राहुल गांधी अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। फिर किछौछा दरगाह शरीफ पहुंचे।

वहीं इसी मामले पर आजतक की 10 सितम्बर 2016 की खबर के मुताबिक, राहुल गांधी किछौछा दरगाह शरीफ पहुंचे जहां मौलाना सुहेल अशरफ ने अमन चैन और देश की अखंडता और सौहार्द के लिए दुआ पढ़ाई।

उत्तरप्रदेश कांग्रेस के वेरिफाइड एक्स हैंडल पर राहुल गांधी के इस दौरे से जुड़ी पोस्ट 10 सितम्बर 2016 को शेयर की गई है।

यह वीडियो इससे पहले भी फर्जी दावे के साथ वायरल हो चुका है और उस वक्त हमने कांग्रेस के सोशल मीडिया के नेशनल कोऑर्डिनेटर नितिन अग्रवाल से संपर्क किया था। उन्‍होंने पुष्टि करते हुए बताया था कि, यह वीडियो कई साल पुराना है। उस वक्‍त राहुल गांधी यूपी की एक दरगाह में गए थे। वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा पूरी तरह बेबुनियाद है।

अब बारी थी फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक पेज की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि इस पेज को साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया वायरल किया जा रहा दावा फर्जी और सांप्रदायिक है। यह वीडियो साल 2016 का है जब अयोध्‍या के हनुमानगढ़ी मंदिर के बाद राहुल गांधी ने अंबेडकर नगर के किछौछा शरीफ मजार पहुंच कर जियारत (दर्शन) की थी। वीडियो में मौलाना अमन और चैन के हक़ में दुआ कर रहे थे, मुसलमानों की हुकूमत को लेकर दुआ किये जाने का वायरल दावा पूरी तरह गलत है।

False
Symbols that define nature of fake news
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