Fact Check: वियतनाम में मिले शिवलिंग की तस्वीर ज्ञानवापी मस्जिद के नाम पर गलत दावे से वायरल

वियतनाम के माई सन मंदिर परिसर में जारी संरक्षण परियोजना की खोज के दौरान मिले 9वीं सदी के शिवलिंग की तस्वीर को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कमीशन के दौरान मिली शिवलिंग की तस्वीर बताकर गलत दावे से वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का कमीशन पूरा होने के बाद सोशल मीडिया पर शिवलिंग की एक तस्वीर को साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में खुदाई के दौरान सामने आए शिवलिंग की तस्वीर है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। वायरल हो रही तस्वीर में नजर आ रहा शिवलिंग कहीं से भी वाराणसी से संबंधित नहीं है। यह तस्वीर वियतनाम में एक मंदिर की खुदाई के दौरान मिले 1100 वर्ष पुराने शिवलिंग की है, जिसे वाराणसी के नाम पर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल ?

सोशल मीडिया यूजर ‘Parul Choudhary’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”#ज्ञानवापी_मंदिर
तालाब का वीडीओ हुआ लीक तालाब से शिवलिंग मिला मान लें कि हम सनातनी का ही है ये बाबा विश्वनाथ का मन्दिर जहां खोदोगे वहां मिलेगा…om om om.”

कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलत-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल हो रही तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर यह तस्वीर कई पुरानी न्यूज रिपोर्ट्स में लगी मिली, जो ज्ञानवापी मस्जिद के कमीशन से करीब दो वर्ष से अधिक पुरानी है। NBT की वेबसाइट पर 27 मई 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, यह तस्वीर दक्षिण पूर्व एशियाई देश वियतनाम में एक मंदिर की खुदाई के दौरान मिले 1100 वर्ष पुराने शिवलिंग की है।

NBT की वेबसाइट पर 27 मई 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘साउथ ईस्ट एशिया का छोटा-सा खूबसूरत और शांत देश है-वियतनाम। वियतनाम और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध काफी पुराने हैं। यहां चौथी से लेकर 13वीं शताब्दी तक की बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के जुड़ी कलाकृतियां पहले भी मिलती रही हैं। हाल में वियतनाम में बलुआ पत्थर का विशाल शिवलिंग खुदाई में मिला है। इस शिवलिंग के मिलने की जानकारी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर तस्वीरों के साथ शेयर की हैं।’

सर्च में हमें विदेश मंत्री एस जयशंकर के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किया गया वह ट्वीट भी मिला, जिसमें उन्होंने इस बारे में जानकारी देते हुए प्राप्त शिवलिंग की तस्वीर को साझा किया था।

27 मई 2020 को किए गए ट्वीट के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, शिवलिंग की यह तस्वीरें वियतनाम के एक मंदिर से मिली हैं, जो 9वीं सदी का है।

स्पष्ट है कि जिस तस्वीर को वाराणसी का बताकर वायरल किया जा रहा है, वह वियतनाम के माई सन मंदिर परिसर में जारी संरक्षण परियोजना की खोज के दौरान मिला 9वीं सदी का शिवलिंग है।

वायरल तस्वीर को लेकर हमने दैनिक जागरण के वाराणसी के रिपोर्टर प्रमोद यादव से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘कमीशन (सरल शब्दों में सर्वे) के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कोई खुदाई नहीं की गई, इसलिए यह दावा गलत है कि खुदाई के दौरान मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिला है और जो तस्वीर इस दावे के साथ वायरल है, वह ज्ञानवापी या काशी विश्वनाथ से संबंधित नहीं है।’

इससे पहले भी कई तस्वीरों को ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के साथ वायरल किया गया था, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

गौरतलब है कि 16 मई को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में तीसरे दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य पूरा हो गया। पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे के लिए गठित आयोग को संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी कर अपनी रिपोर्ट 17 मई तक पेश करने के निर्देश दिए गए थे। यह काम पूरा होने के बाद सोशल मीडिया पर कई तस्वीरों को इस दावे के साथ शेयर किया जाने लगा कि ये सर्वे के दौरान परिसर में मिले शिवलिंग की तस्वीर है।

कोर्ट की तरफ से गोपनीयता को लेकर सख्त हिदायत की वजह से सर्वे में क्या सामने आया, इसके बारे में कोई आधिकारिक या पुष्ट जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया गया है। इसलिए विश्वास न्यूज सर्वे को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के किए गए दावों की न तो पुष्टि करता है और न ही खंडन। हालांकि, हम इस बात की पुष्टि करते हैं वायरल हो रहे उपरोक्त दोनों तस्वीरें वाराणसी से संबंधित नहीं हैं।

निष्कर्ष: वियतनाम के माई सन मंदिर परिसर में जारी संरक्षण परियोजना की खोज के दौरान मिले 9वीं सदी के शिवलिंग की तस्वीर को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कमीशन के दौरान मिली शिवलिंग की तस्वीर बताकर गलत दावे से वायरल किया जा रहा है।

False
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