विश्वास न्यूज की जांच में सामने आया कि नितिन गडकरी के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह वीडियो साल 2011 का है। उस दौरान नितिन गडकरी ने यह बयान तत्कालीन यूपीए सरकार और उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर दिया था। अब वीडियो को एडिट कर दुष्प्रचार की मंशा से इस तरह से शेयर किया जा रहा है, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वो प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना कर रहे हैं।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि नितिन गडकरी ने बीजेपी के खिलाफ जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है। गडकरी ने उन्हें लोकतंत्र का विरोधी बताया है।
विश्वास न्यूज की जांच में सामने आया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह वीडियो साल 2011 का है। उस दौरान नितिन गडकरी ने यह बयान तत्कालीन यूपीए सरकार और उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर दिया था। अब वीडियो को एडिट कर दुष्प्रचार की मंशा से इस तरह से शेयर किया जा रहा है, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वो प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना कर रहे हैं।
फेसबुक यूजर ‘इन्द्रबली यादव’ ने 16 अक्टूबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “भाजपा के नेता नितिन गडकरी जी का पहली बार लोकतंत्र के समर्थन में मोदी जी के खिलाफ ब्यान। हमारे देश को ऐसे नेताओं की सख्त जरूरत है। समाजवादी विचारधारा के नेता किसी भी पार्टी में हो..ऐसे लोगों का समर्थन करना चाहिए..!”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च किया। हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली कि नितिन गडकरी ने पीएम मोदी की आलोचना की है।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें पूरा वीडियो भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिला। वीडियो को 16 अगस्त 2011 को शेयर किया गया था। पूरा वीडियो 4.25 मिनट का है, 6 सेकेंड से वायरल वीडियो वाले हिस्से को सुना जा सकता है। मौजूद जानकारी के मुताबिक, नितिन गडकरी ने यह बयान अन्ना हजारे के अनशन को लेकर दिया था।
जांच के दौरान हमें दावे से जुड़ी एक न्यूज रिपोर्ट टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 16 अगस्त 2011 को प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, “अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहे थे। इस अनशन पर सरकार ने शर्तें लागू कर दी थी। सरकार के इसी कदम के खिलाफ नितिन गडकरी ने बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपने रुख पर ‘आत्मनिरीक्षण’ करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने पीएम मनमोहन के इस कदम को लोकतंत्र के खिलाफ बताया था।”
अधिक जानकारी के लिए हमने यूपी के बीजेपी प्रवक्ता अवनीश त्यागी से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “वायरल दावा गलत है। यह वीडियो एडिटेड और पुराना है। विपक्षी दल हमारी पार्टी की छवि को खराब करने के लिए इस तरह के एडिटेड वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।”
पहले भी यह दावा वायरल हो चुका है। पूरी पड़ताल को यहां पर पढ़ा जा सकता है।
अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को करीब पांच सौ लोग फॉलो करते हैं। यूजर के 2.7 हजार फॉलोअर्स हैं। प्रोफाइल पर यूजर ने खुद को उत्तर प्रदेश का रहने वाला बताया है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की जांच में सामने आया कि नितिन गडकरी के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। असल में यह वीडियो साल 2011 का है। उस दौरान नितिन गडकरी ने यह बयान तत्कालीन यूपीए सरकार और उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर दिया था। अब वीडियो को एडिट कर दुष्प्रचार की मंशा से इस तरह से शेयर किया जा रहा है, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वो प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना कर रहे हैं।
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