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Fact Check: उत्तर प्रदेश सरकार के जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए लाए गए अध्यादेश को लेकर वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत

वायरल पोस्ट फर्जी है, उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन विरोधी बिल, 2020 अध्यादेश केवल जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ है। मर्जी से धर्म परिवर्तन करने के लिए संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को दो महीने पहले नोटिस देना होगा।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य में शादी के लिए जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए बनाए गए अध्यादेश को मंजूरी देने के बाद से ही सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि अगर यूपी में कोई मुस्लिम लड़का किसी गैर मुस्लिम लड़की से प्रेम करता है तो उसे 5 साल के लिए जेल हो जाएगी।

विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल दावा फर्जी है। उत्तरप्रदेश राज्य विधि आयोग ने इस दावे को खारिज किया है और कहा है कि वायरल पोस्ट में अध्यादेश का गलत अर्थ निकाला गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

कई यूजर्स ने इस पोस्ट को ट्विटर पर शेयर किया है, जिसमें अंग्रेजी में लिखे गए टेक्स्ट का हिंदी अनुवाद है— यूपी कैबिनेट ने लव जिहाद अध्यादेश पारित कर दिया है। अब अगर कोई मुस्लिम लड़का गैर मुस्लिम लड़की से प्रेम करेगा तो उसे पांच साल की जेल होगी।

हमें यह पोस्ट फेसबुक पर भी मिली, जिसका आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल शुरू की तो पाया कि उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 24 नवंबर को ही धर्म परिवर्तन विरोधी बिल, 2020 अध्यादेश को पारित किया था, जिसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के लिए 10 साल की जेल होगी। हमें जागरण जोश में एक आर्टिकल मिला। इसके अनुसार, प्रदेश में शादी का झांसा देकर जबरन धर्म परिवर्तन के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है।

अध्यादेश के अनुसार, जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर एक से पांच साल की सजा और 15000 रुपए जुर्माना, जबकि किसी नाबालिग या एससी/एसटी महिला का जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर तीन से 10 साल की जेल और 25000 रुपए जुर्माना भरना होगा। वहीं, बड़े पैमाने पर कई लोगों का एक साथ धर्म परिवर्तन करवाने पर तीन से 10 साल की सजा और 50000 रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही ऐसा करने वाली संस्थान का लाइसेंस भी कैंसिल किया जाएगा।

आर्टिकल में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को दो महीने पहले नोटिस देना होगा। नोटिस न देने पर 10000 रुपए का जुर्माना और छह माह से तीन साल तक के लिए जेल जाना पड़ सकता है।

हालांकि, हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे वायरल पोस्ट में किए गए दावे की पुष्टि होती हो।

विश्वास न्यूज ने उत्तर प्रदेश के लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट में संपर्क किया। उत्तरप्रदेश राज्य विधि आयोग के चेयरमैन इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आदित्य नाथ मित्तल ने वायरल दावे का खंडन किया। उन्होंने कहा — यह अध्यादेश जबरन, धोखे से या फिर गलत तथ्य सामने रख कर धर्म परिवर्तन करवाने जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए लाया गया है। अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करने की आजादी यह अध्यादेश देता है। जबरन धर्म परिवर्तन करवाने पर इस कानून के तहत तीन से दस साल तक की जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है।

उत्तरप्रदेश राज्य विधि आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने भी बताया कि वायरल दावे में कही जा रही बात गलत है, अध्यादेश में ऐसा कुछ नहीं है। यह केवल गैर कानूनी धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए है।

फेसबुक पर यह पोस्ट Shaz Dar नामक यूजर ने साझा की थी। यूजर का प्रोफाइल स्कैन करने पर हमने पाया कि वह देहरादून का रहने वाला है और खबर लिखे जाने तक उसके फेसबुक पर 301 फॉलोअर्स थे।

निष्कर्ष: वायरल पोस्ट फर्जी है, उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन विरोधी बिल, 2020 अध्यादेश केवल जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ है। मर्जी से धर्म परिवर्तन करने के लिए संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को दो महीने पहले नोटिस देना होगा।

  • Claim Review : यूपी कैबिनेट ने लव जिहाद अध्यादेश पारित कर दिया है। इसके हिसाब से अब अगर कोई मुस्लिम लड़का किसी गैर मुस्लिम लड़की से प्रेम करता है तो उसे 5 साल की जेल की सजा होगी।
  • Claimed By : Facebook User Shaz Dar
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