नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि लखनऊ एयरपोर्ट को 50 साल के लिए गिरवी रख दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि इस एयरपोर्ट की सालाना कमाई 120 करोड़ रुपये है, जबकि इसे महज 46 करोड़ रुपये में 50 साल के लिए गिरवी रख दिया गया है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में लखनऊ एयरपोर्ट को 46 करोड़ रुपये में 50 साल के लिए गिरवी रखे जाने का दावा गलत साबित हुआ।
सोशल मीडिया यूजर ‘Shyam Indwar Mahli’ ने ’जय जवान जय किसान’ ग्रुप में वायरल ग्राफिक्स (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिसमें लिखा हुआ है, ’46 करोड़ में 50 साल के लिए लखनऊ एयरपोर्ट गिरवी। 120 करोड़ रुपये की सालाना कमाई है। फकीरा देश बेच देगा…मगर झुकने नहीं देगा।’
पड़ताल किए जाने तक इस वायरल ग्राफिक्स को करीब 300 से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य लोगों ने इस वायरल ग्राफिक्स को सच मानते हुए शेयर किया है।
वायरल ग्राफिक्स में दो अलग-अलग दावे किए गए हैं, इसलिए हमने दोनों की अलग-अलग पड़ताल की। पहला दावा 46 करोड़ रुपये में 50 साल के लिए लखनऊ एयरपोर्ट को गिरवी रखे जाने का है।
25 फरवरी 2019 को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, पीपीपी मॉडल के तहत छह एयरपोर्ट के संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए मंगाई गई बोली को सार्वजनिक किया गया था। इसमें लखनऊ एयरपोर्ट के लिए जीएमआर एयरपोर्ट लिमिटेड ने प्रति यात्री 85 रुपये, अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने प्रति यात्री 171 रुपये, ऑटोस्ट्रेड इंडियन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने प्रति यात्री 55 रुपये, पीएनसी इन्फ्राटेक लिमिटेड ने 27 रुपये प्रति यात्री, एएमपी कैपिटल 5एलपी ने 139 रुपये प्रति यात्री और आई इन्वेस्टमेंट लिमिटेड ने 39 रुपये प्रति यात्री सालाना की दर से बोली लगाई थी।
जाहिर तौर पर प्रति यात्री 171 रुपये की बोली लगाने वाले अडानी एंटरप्राइजेज को लखनऊ एयरपोर्ट के संचालन, प्रबंधन और विकास की जिम्मेदारी अडानी ग्रुप को मिला।
दो नवंबर 2020 को ब्लूमबर्ग क्विंट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने रविवार आधी रात को लखनऊ एयरपोर्ट को पचास सालों की लीज पर अडानी ग्रुप को सौंप दिया। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मंगलुरू, लखनऊ और अहमदाबाद एयरपोर्ट के संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए अडानी ग्रुप के साथ 14 फरवरी को कनसेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया था।’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘अडानी ग्रुप ने क्रमश: 31 अक्टूबर, दो नवंबर और 11 नवंबर को मंगलुरू, लखनऊ और अहमदाबाद एयरपोर्ट के संचालन, प्रबंधन और विकास की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली।’
लखनऊ में बिजनेस स्टैंडर्ड के प्रधान संवाददात सिद्धार्थ कलहंस ने बताया, ‘एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कुछ अन्य एयरपोर्ट की तरह ही लखनऊ एयरपोर्ट को 50 सालों के लिए पीपीपी मॉडल के तहत लीज पर दिया गया है। यह कहना गलत है कि इसे 46 करोड़ रुपये में 50 सालों के लिए गिरवी रखा गया है। अडानी ग्रुप ने प्रति यात्री के लिहाज से सर्वाधिक बोली लगाई थी। इसके लिए कोई निश्चित रकम तय नहीं की गई है, बल्कि यह सालाना पैसेंजर्स ट्रैफिक के आधार पर है।’
सरल शब्दों में समझा जाए तो अडानी ग्रुप एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को इस एयरपोर्ट के सालाना पैसेंजर्स ट्रैफिक के आधार पर भुगतान करेगा।
पड़ताल के पहले चरण में यह दावा गलत साबित हुआ कि लखनऊ एयरपोर्ट को 46 करोड़ रुपये में 50 सालों के लिए गिरवी रख दिया गया है।
दूसरा दावा लखनऊ एयरपोर्ट से सरकार को होने वाली सालाना 120 करोड़ रुपये की कमाई का है। हमारी पड़ताल में यह दावा भी गलत निकला।
लोकसभा में एयरपोर्ट्स के पिछले तीन साल के दौरान कमाए गए मुनाफे के बारे में पूछे गए अतारांकित सवाल संख्या 670 का जवाब देते हुए नागर विमानन मंत्री ने चार फरवरी 2021 को वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान लखनऊ समेत कुल 137 एयरपोर्ट्स की कमाई का विवरण दिया था।
दस्तावेज के मुताबिक, लखनऊ एयरपोर्ट्स को वित्त वर्ष 2017-18 में जहां 79.3 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था, वहीं 2018-19 में उसे 29.78 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। वित्त वर्ष 2019-20 में एयरपोर्ट ने 20.85 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। इन आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो पिछले तीन वर्षों के दौरान लखनऊ एयरपोर्ट के मुनाफे का आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से ऊपर गया ही नहीं, बल्कि पिछले दो वित्त वर्ष में एक में उसे घाटा हुआ तो दूसरे वित्त वर्ष में करीब 21 करोड़ रुपये का मुनाफा।
पड़ताल के इस चरण में लखनऊ एयरपोर्ट की सालाना कमाई 120 करोड़ रुपये होने का दावा भी गलत साबित हुआ।
वायरल ग्राफिक्स को शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता बताया है। उनकी प्रोफाइल को 30 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ कि लखनऊ एयरपोर्ट को 50 सालों के लिए मात्र 46 करोड़ रुपये में गिरवी रखा गया है। साथ ही यह दावा भी फर्जी निकला कि लखनऊ एयरपोर्ट की सालाना कमाई 120 करोड़ रुपये है।
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