Fact Check: इस वीडियो का जामिया विरोध प्रदर्शन से नहीं है कोई लेना-देना, वीडियो 2014 के लाल किला का है

नई दिल्ली विश्वास टीम। सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। जहाँ एक ओर इन विरोध प्रदर्शनों को लेकर सोशल मीडिया अफवाहों से भरा पड़ा है। वहीं, दूसरी ओर कुछ असामाजिक तत्व इस स्थिति का फ़ायदा उठा कर माहौल बिगाड़ने के लिए असंबंधित फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर गलत दावों के साथ शेयर कर रहे हैं। ऐसा ही एक पुलिस की क्रूरता का वीडियो आज कल वायरल हो रहा है।

वीडियो में 2 पुलिसवालों को एक व्यक्ति को बुरी तरह लाठियों से पीटते देखा जा सकता है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो जामिया यूनिवर्सिटी में हाल में हुए पुलिस अत्याचार का है। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये दावा सही नहीं है। ये वीडियो असल में दिल्ली के लाल किले का है, जिसे 2014 में शूट किया गया था। इस वीडियो का जामिया विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।

CLAIM

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में 2 पुलिसवालों को एक आदमी पर बुरी तरह लाठियां बरसाते देखा जा सकता है। वीडियो के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “जामिया में पुलिस का आतंक देखिये।”

FACT CHECK

इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले इस वीडियो को Invid टूल पर डाला और इस वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले। फिर हमने इन कीफ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमें इंडिया टुडे की 24 जनवरी, 2014 को पब्लिश्ड एक खबर मिली, जिसमें इस वीडियो के स्क्रीनग्रैब्स थे।

खबर के अनुसार ये घटना 2014 की है, जब 3 पुलिसवालों को इस व्यक्ति को पीटने के जुर्म में सस्पेंड कर दिया गया था। खबर के अनुसार, अरविन्द केजरीवाल ने सबसे पहले इस वीडियो को लोगों को दिखाया था और इन पुलिसवालों के खिलाफ एक्शन की मांग की थी।

हमें ये खबर द हिन्दू और इकोनॉमिक टाइम्स समेत कई वेबसाइटों पर मिली।

हमने पुष्टि के लिए आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और अरविन्द केजरीवाल के लम्बे समय से सहयोगी राघव चड्ढा से बात की। राघव ने हमें बताया कि ये वीडियो बेशक 2014 का है, जिसे अरविन्द केजरीवाल ने लोगों को अपने धरने के दौरान दिखाया था और इन पुलिसवालों के खिलाफ एक्शन की मांग की थी। इसी के फलस्वरुप तीन पुलिसवालों को सस्पेंड भी किया गया था।

इसके बाद हमने अनिल मित्तल, अतिरिक्त पीआरओ, दिल्ली पुलिस से बात की। उन्होंने कन्फर्म किया कि ये वीडियो जामिया टकराव का नहीं है।

इस वीडियो को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है Saif Jafri नाम का फेसबुक यूजर। इसके प्रोफाइल के अनुसार, ये उत्तर प्रदेश के लखनऊ का रहने वाला है और इसके फेसबुक पर 8,797 फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये दावा गलत है। पुलिस अत्याचार का ये वीडियो असल में दिल्ली के लाल किले का है, जिसे 2014 में शूट किया गया था। इस वीडियो का जामिया विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।

सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल से जुड़े बाकी फैक्ट चेक आप नीचे पढ़ सकते हैं।


False
Symbols that define nature of fake news
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