पूरा सच : कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह को क्‍लीन चिट मिलने की खबर डेढ़ साल पुरानी

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। फेसबुक पर एक पोस्‍ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है – ‘कोयला घोटाले में बाइज्‍जत बरी हुए मनमोहन सिंह, भाजपाइयों ने लगाया था झूठा आरोप।’ इतना ही नहीं, पोस्‍ट के रूप में जिस खबर को शेयर किया गया है, उसे ऐसे लिखा गया है कि जैसे मनमोहन सिंह को आजकल में ही बरी किया गया है।

मनमोहन सिंह को मई 2017 में ही कोर्ट से क्‍लीन चिट मिल चुकी है। जबकि वायरल खबर में भाजपा को निशाने पर लेते हुए फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ से लिंक करते हुए मनमोहन सिंह को बरी होने की खबर बताई जा रही है। इतना ही नहीं, दावा किया जा रहा है कि बीजेपी की साज़िश धरी-की-धरी रह गई है।

ये सर्वविदित है कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में कोयला घोटाला का जिक्र किया था। जिसके बाद पूरा मामले की जांच बैठी। इससे भाजपा का सीधे कोई लेना-देना नहीं है। विश्‍वास टीम की जांच में वायरल पोस्‍ट पूरी तरह भ्रमित करने वाली है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में?

Prasoon Vajpaaye Fans नामक फेसबुक पेज पर 31 दिसंबर 2018 को रात 9 बजकर 58 मिनट पर वायरल इन इंडिया की एक खबर शेयर करते हुए दावा किया गया है कि कोयला घोटाले में बाइज्‍जत बरी हुए मनमोहन, भाजपाइयों ने लगाया था झूठा आरोप। इस पोस्‍ट को अब तक 2284 लोगों ने शेयर किया है। वायरल इन इंडिया में खबर को इस तरह से लिखा गया है कि पढ़ने वाले को लगेगा कि फिल्‍म की घोषणा के बाद कोर्ट का निर्णय आया है।

वायरल इन इंडिया की खबर का प्रिंटशॉट

खबर में लिखा है – सोशल मीडिया पर डॉ. मनमोहन सिंह के यूपीए कार्यकाल पर आधारित इस फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर के जरिये कांग्रेस के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है। ताकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बदनाम किया जा सके। लेकिन बीजेपी की साज़िश धरी-की-धरी रह गई है।

वायरल इन इंडिया की खबर का प्रिंटशॉट

पड़ताल

पाठकों की सुविधा के लिए हमने एक बार फिर टूल्‍स का उपयोग करते हुए वायरल खबर को जांचने का फैसला किया। ‘कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह को मिली क्लीन चिट’ टाइप करके सबसे पहले हमने गूगल में सर्च किया। मनमोहन सिंह को क्‍लीन चिट देती हुई कई खबरों का हमें लिंक दिखा। किसी में सीबीआई ने क्‍लीन चिट दिया तो किसी में कोर्ट ने। चूंकि वायरल पोस्‍ट में कोर्ट का हवाला दिया गया तो हमने कोर्ट से क्‍लीन चिट वाली सबसे पुरानी खबर सर्च की। आखिरकार हमें NDTV का एक लिंक मिला। इसमें पूरी खबर को विस्‍तार से बताया गया था। यानि मूल खबर मई 2017 की ही है।

एनडीटीवी की खबर का प्रिंट शॉट

अब विश्‍वास टीम को ये जांचना था कि क्‍या मनमोहन सिंह पर भाजपाइयों ने आरोप लगाया था? हमारी रिसर्च के अनुसार, जब कोयला घोटाला सामने आया था, तब देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार थी। इस घोटाले का आरोप किसी पार्टी विशेष की तरफ से प्रायोजित नहीं था, बल्कि कैग की रिपोर्ट में यह बताया गया था कि तत्कालीन सरकार की ‘पहले आओ-पहले पाओ’ की नीति की वजह से देश के खजाने को करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि अगर खदानों की बीडिंग कर उसका आवंटन किया जाता तो देश के खजाने को ज्यादा लाभ होता।

सीएजी एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी रिपोर्ट राष्ट्रपति संसद के समक्ष रखवाते हैं और यह पूरी तरह से राजनीतिक दबाव से मुक्त संस्था है। कैग की रिपोर्ट के आधार पर ही गैर सरकारी संगठन कामन काज के वकील प्रशांत भूषण कोर्ट पहुंचे थे। बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई।

जब हमने मनमोहन सिंह की पुरानी खबर को वायरल करने वाले फेसबुक पेज का http://stalkscan.com/ की मदद से सोशल स्‍कैन किया तो हमें पता चला कि ये पेज एक खास विचारधारा से प्रभावित हैं। इनकी अधिकांश पोस्ट सरकार और एक पार्टी विशेष के खिलाफ ही होती है।

निष्‍कर्ष

विश्‍वास टीम की पड़ताल में ”कोयला घोटाले में बाइज्‍जत बरी हुए मनमोहन सिंह, भाजपाइयों ने लगाया था झूठा आरोप।” वाली पोस्‍ट भ्रमित करने वाली है। विशेष अदालत ने मई 2017 में मनमोहन सिंह को क्‍लीन चिट दी थी, ना कि आज। ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ फिल्‍म से कोई लेना-देना नहीं है।

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False
Symbols that define nature of fake news
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