Fact Check : चीन की 2016 की तस्वीर को सीताराम येचुरी के पार्थिव शरीर की बताकर किया गया वायरल, फर्जी है वायरल पोस्ट
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। पता चला कि चीन में एक डॉक्टर के निधन से जुड़ी 2016 की तस्वीर को सीताराम येचुरी के नाम पर वायरल करके झूठ फैलाया जा रहा है। येचुरी के परिवार ने उनके पूरे शरीर को दान दिया है, ना कि सिर्फ अंगों को।
- By: Ashish Maharishi
- Published: Sep 18, 2024 at 12:49 PM
नई दिल्ली (Vishvas News)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी का लंबी बीमारी के बाद 12 सितंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया है। उनके पार्थिव शरीर को एम्स को दान दे दिया गया है। अब सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स एक तस्वीर वायरल कर रहे हैं। इसमें एक डेड बॉडी के सामने अस्तपाल के कुछ कर्मियों को झुककर सम्मान प्रकट करते हुए देखा जा सकता है। वायरल तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि सीताराम येचुरी के शव को दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने अंतिम सम्मान दिया।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। पता चला कि चीन में एक डॉक्टर के निधन से जुड़ी 2016 की तस्वीर को सीताराम येचुरी के नाम पर वायरल करके झूठ फैलाया जा रहा है। येचुरी के परिवार ने उनके पूरे शरीर को दान दिया है, ना कि सिर्फ अंगों को।
क्या हो रहा है वायरल
फेसबुक यूजर Sajjan Jakhar ने 17 सितंबर को एक तस्वीर को पोस्ट करते हुए दावा किया, “दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने एक अंग दाता को अंतिम सम्मान दिया। अंग दाता का नाम सीताराम येचुरी है। कॉमरेड सिताराम येचुरी के देहदान का बलिदान कभी नहीं भूलेगा हिंदुस्तान लाल सलाम।”
वायरल पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों ही लिखा गया है। तस्वीर को सीताराम येचुरी के पार्थिव शरीर की समझकर दूसरे कई यूजर्स वायरल कर रहे हैं। वायरल पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले सीताराम येचुरी के निधन से जुड़ी खबरों को स्कैन किया। जागरण डॉट कॉम पर 13 सितंबर को पब्लिश खबर में बताया गया कि सीताराम येचुरी के निधन के बाद उनके परिवार ने पार्थिव शरीर को एम्स को दान करने का निर्णय लिया। येचुरी का 12 सितंबर को लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स में निधन हो गया था।
सर्च के दौरान 14 सितंबर को एएनआई के एक्स हैंडल पर हमें एम्स की मीडिया प्रभारी और एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर रीमा दादा का एक इंटरव्यू मिला। इसमें उन्हें देहदान के बाद की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से बताते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सीताराम येचुरी के निधन के बाद उनके परिवार ने उनके शरीर को एम्स को दान देने का फैसला किया।
इसके बाद सीताराम येचुरी के नाम से वायरल तस्वीर की सच्चाई पता लगाने के लिए सबसे पहले अलग-अलग रिवर्स इमेज टूल्स का इस्तेमाल किया। हमें यान्डेक्स से सर्च करने पर बीजिंग स्थित न्यूज वेबसाइट चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क (CGTN) की वेबसाइट पर वायरल तस्वीर मिली।
30 सितंबर 2016 को पब्लिश एक खबर में जानकारी देते हुए बताया गया कि पूर्वी चीन के अनहुई प्रांत के 41 वर्षीय डॉक्टर झाओ जू ने डॉक्टरों के एक समूह के साथ तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के शन्नान में स्वेच्छा से काम किया था। कुछ समय बाद जब उनका बीमारी से निधन हो गया तो परिवार ने उनके अंगदान का फैसला लिया। तस्वीर उस वक्त की है, जब अनहुई प्रांत की राजधानी हेफ़ेई शहर में साथी डॉक्टर्स ने झाओ जू की बॉडी को सम्मान दिया।
खबर में दूसरी भी कई तस्वीरों का इस्तेमाल करते हुए डॉक्टर झाओ जू के पिता का भी बयान छापा गया। पूरी खबर को विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए एम्स दिल्ली में मीडिया प्रभारी और एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर रीमा दादा से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्ट को शेयर किया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सीताराम येचुरी के निधन के बाद परिवार ने उनका शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए एम्स को दान कर दिया है। वायरल तस्वीर एम्स की नहीं है।
पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की गई। पता चला कि Sajjan Jakhar नाम के इस यूजर के फेसबुक पर एक हजार से ज्यादा फ्रेंड हैं। यूजर हिसार का रहने वाला है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि चीन के एक डॉक्टर के शव की पुरानी तस्वीर को कुछ लोग सीताराम येचुरी का पार्थिव शरीर समझकर एम्स के नाम पर वायरल करके झूठ फैला रहे हैं।
- Claim Review : दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने सिताराम येचुरी के शव को किया अंतिम सलाम
- Claimed By : FB User Sajjan Jakhar
- Fact Check : झूठ
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