Fact Check : विधायक मंसूर मोहम्मद का बताकर वायरल किया गया यूपी का 2018 का वीडियो

विश्‍वास न्‍यूज ने इसकी विस्‍तार से जांच की। पता चला कि वीडियो का न तो तमिलनाडु से कोई संबंध है और ना ही पश्चिम बंगाल से। दरअसल यह वीडियो यूपी के मेरठ का है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। विधायक मंसूर मोहम्‍मद के नाम पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि किस प्रकार एक शख्‍स एक पुलिसवाले की बेरहमी से पिटाई कर रहा है। 29 सेकंड के इस वीडियो को कुछ यूजर्स तमिलनाडु तो कुछ यूजर्स पश्चिम बंगाल का बताकर शेयर कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने इसकी विस्‍तार से जांच की। पता चला कि वीडियो का न तो तमिलनाडु से कोई संबंध है और ना ही पश्चिम बंगाल से। दरअसल यह वीडियो यूपी के मेरठ का है। 2018 में मेरठ के एक होटल में भाजपा पार्षद ने एक पुलिसवाले की पिटाई कर दी थी। उसी घटना के वीडियो को अब गलत दावे के साथ वायरल करके झूठ फैलाया जा रहा है। हमारी जांच में वायरल पोस्‍ट में किया गया दावा फर्जी साबित हुआ।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Kumaresh Raja ने 21 फरवरी को 29 सेकंड का एक वीडियो पोस्‍ट करते हुए दावा किया कि डीएमके विधायक मंसूर मोहम्‍मद ने ड्यूटी पर कार्यरत पुलिसवाले की पिटाई की।

अंग्रेजी में दावा किया गया : TN DMK MLA Mansoor Muhammad beating the on duty police inspector. This Is the law and order situation in the TN and helpless condition of the police. Then what about the common man

कुछ यूजर्स इस वीडियो को पश्चिम बंगाल का बताकर झूठ फैला रहे हैं।

फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। फेसबुक पोस्‍ट का आकाईव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी वायरल वीडियो की जांच की थी। वीडियो की सच्‍चाई जानने के लिए पड़ताल की शुरुआत ऑनलाइन टूल इनविड की मदद से की गई। इस टूल के माध्‍यम से वीडियो के कई गैब्‍स निकाले गए। फिर इन्‍हें गूगल लेंस के जरिए सर्च किया गया। हमें 18 यूपी-उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल पर एक खबर मिली। इसमें बताया गया कि मेरठ में एक भाजपा पार्षद ने दारोगा की जमकर पिटाई की थी। जिसके बाद भाजपा पार्षद को अरेस्‍ट कर लिया गया था।

कीवर्ड सर्च में हमें कई न्‍यूज वेबसाइट पर संबंधित घटना से जुड़ी मीडिया रिपोर्टस्‍ मिली। जागरण डॉट कॉम ने अपनी वेबसाइट पर 20 अक्‍टूबर 2018 को एक खबर पब्लिश की। इसमें बताया गया कि 19 अक्‍टूबर 2018 को मेरठ के परतापुर थाने की मोहिउद्दीनपुर चौकी इंचार्ज सुखपाल सिंह महिला अधिवक्ता के साथ नशे में ब्लैक पेपर रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे। वहां मारपीट के बाद रेस्‍टोरेंट संचालक भाजपा पार्षद मुनीष चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके अलावा दारोगा को भी लाइन हाजिर किया गया था। पूरी खबर यहां पढ़ें।

जांच के दौरान यूपी पुलिस के फेसबुक पेज पर हमें एक पोस्‍ट मिली। इसमें इस वीडियो के संबंध में जानकारी देते हुए 10 सितंबर 2021 को बताया गया कि वीडियो वर्ष 2018 का है। जिसमें तत्समय अभियोग पंजीकृत कर तत्कालीन सभासद सहित 04 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र प्रेषित किया जा चुका है। कृपया बिना सत्यापन के भ्रामक पोस्ट कर अफवाह न फैलाएं।

2021 में यही वीडियो भाजपा विधायक अनिल उपाध्‍याय का बताकर वायरल किया गया था। उस वक्‍त की पड़ताल को यहां पढ़ा जा सकता है।

विश्‍वास न्‍यूज ने पिछली पड़ताल के दौरान मेरठ के स्थानीय पत्रकार केपी त्रिपाठी से संपर्क किया था। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया था कि वायरल वीडियो 2018 का है। भाजपा सभासद मनीष चौधरी रेस्त्रां के मालिक थे। उन्होंने दारोगा से मारपीट की थी।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल वीडियो को लेकर उस वक्‍त के एसपी सिटी विनीत भटनागर से भी संपर्क किया था। उन्‍होंने बताया था कि वायरल वीडियो का मामला पुराना है। जिस पार्षद का वीडियो वायरल हुआ था, उनकी मौत हो चुकी है।

पड़ताल के अंत में यूपी के 2018 के वीडियो को अब गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर कुमारेश राजा (Kumaresh Raja) की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर बेंगलुरु का रहने वाला है। यह अकाउंट अप्रैल 2013 में बनाया गया था।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट का दावा फर्जी साबित हुआ। 2018 में मेरठ के एक होटल में भाजपा पार्षद ने एक पुलिसवाले की पिटाई की थी। उसी वक्‍त के वीडियो को कुछ यूजर्स अब बंगाल और तमिलनाडु का बताकर झूठ फैला रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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