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नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। चंद्रयान-3 मिशन के दौरान सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी पोस्ट भी शेयर की जा रही हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि कुछ लोगों नें अपने परिजनों को चंद्रमा पर जमीन खरीदकर गिफ्ट की है। कुछ मीडिया ने भी ऐसी खबरों को कवर किया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया जा चुका है कि कुछ बॉलीवुड स्टार्स भी चंद्रमा पर जमीन के मालिक बन चुके हैं। इससे लग रहा है कि जैसे चंद्रमा पर जमीन खरीदना संभव है।
विश्वास न्यूज ने जब इस दावे की जांच तो पता चला कि चंद्रमा पर जमीन खरीदा जाना वास्तविक नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक है। एक संधि के अनुसार, चंद्रमा किसी देश की निजी संपत्ति नहीं है। इस पर कोई अपना हक नहीं जमा नहीं सकता है। स्पेस एक्सपर्ट भी इस दावे को गलत बताते हैं। यह केवल प्रतीकात्मक चिह्न है। इसको कोई कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है।
विश्वास न्यूज के वॉट्सऐप टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर कुछ यूजर्स ने एक वीडियो को भेजकर इनकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि सूरत में एक मामा ने अपनी जुड़वां भंजियों को लिए चांद पर एक एकड़ जमीन खरीदी है। इसकी लिखा-पढ़ी भी हो गई है।
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले विश्वास न्यूज के वॉट्सऐप टिपलाइन नंबर पर भेजे गए यूट्यूब के वीडियो को ध्यान से देखा। इस वीडियो न्यूज को नवभारत टाइम्स के यूट्यूब चैनल पर 18 अगस्त 2023 (आर्काइव लिंक) को अपलोड किया गया है।
18 अगस्त को नवभारत टाइम्स (आर्काइव लिंक) की वेबसाइट पर इस खबर को भी देखा जा सकता है। इसमें लिखा है, “सूरत के सरथना इलाके में रहने वाले ब्रिजेशभाई वेकारिया ने अपनी बहन और उनके परिवार को सरप्राइज देने के लिए चांद पर जमीन खरीदने की योजना बनाई और अमेरिका की लूनर लैंडर्स नामक कंपनी में आवेदन किया। ब्रिजेश के पेमेंट देने के बाद कंपनी ने एक एकड़ जमीन की डीड कर दी है। इसमें उनकी दोनों भांजियों के नाम लिखे गए हैं।” खबर में यह भी लिखा है, “कई वेबसाइटें चंद्रमा पर जमीन बेचने का दावा करती हैं, लेकिन वास्तव में यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि जमीन का मालिक कौन है। ब्रिजेश ने रिसर्च के बाद पता लगाया कि अमेरिकी लूनर लैंडर्स कंपनी के जरिए चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है। उन्होंने जिस जमीन को खरीदा है, वह लूनर सोसायटी की जमीन मानी जाती है।”
इस बारे में हमने कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया तो डीएनए में 13 अप्रैल 2023 (आर्काइव लिंक) को छपी खबर का लिंक मिला। इसमें लिखा है, “कई अमीर व्यवसायियों और मशहूर हस्तियों ने चंद्रमा पर जमीन खरीदी है। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पास चंद्रमा पर जमीन का एक टुकड़ा है। उन्होंने चंद्रमा के जिस क्षेत्र को खरीदा था, उसे मारे मस्कोविएन्स या ‘मस्कोवी का सागर’ कहा जाता है। इसके अलावा बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान ने भी कुछ साल पहले खुलासा किया था कि उनके 52वें जन्मदिन पर ऑस्ट्रेलिया में एक प्रशंसक ने उन्हें चंद्रमा पर जमीन का एक टुकड़ा उपहार में दिया था। गौरतलब है कि चंद्रमा की सतह पर एक क्रेटर का नाम भी शाहरुख के नाम पर रखा गया था।”
खबर में चंद्रमा पर जमीन खरीदने का तरीका भी बताया गया है। इसमें लिखा है, “चंद्रमा पर जमीन खरीदने का एक तरीका द लूनर रजिस्ट्री नामक वेबसाइट है। कोई भी उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकता है और उस क्षेत्र का चयन कर सकता है, जहां वे जमीन खरीदना चाहते हैं। इसमें कई क्षेत्र शामिल हैं, जैसे शांति का सागर और सपनों की झील। एक बार जब आप अपनी पसंद का क्षेत्र चुन लेते हैं, तो आप सेट दस्तावेज प्रदान कर सकते हैं और खरीदारी कर सकते हैं। चंद्रमा पर एक एकड़ जमीन की कीमत लगभग 42.5 अमेरिकी डॉलर है, जो लगभग 3430 रुपये है। इसका मतलब है कि यदि आप 2-बेडरूम अपार्टमेंट जितनी बड़ी जमीन खरीदते हैं, तो कीमत लगभग 35 लाख रुपये हो सकती है।”
इस बारे में और जानकारी के लिए हमने चांद पर जमीन लेने का दावा करने वाले मेरठ के बागपत रोड निवासी प्रियांशु गर्ग से बात की। उनका कहना है, “मैंने चंद्रमा पर अपनी भंजियों के लिए दो एकड़ जमीन खरीदी है। इसके लिए मैंने 27-27 डॉलर दिए हैं। द रजिस्ट्री ने हमारी जमीन की रजिस्ट्री कराई है। उन्होंने हमें पहले बता दिया था कि एक ट्रीटी के अनुसार चांद पर किसी देश का हक नहीं है, लेकिन वह एक सोसायटी है। जब वहां लोग जाने लगेंगे तो हमें भी जमीन मिल जाएगी। जब फिल्म स्टार शाहरुख खान चांद पर जमीन खरीद सकते हैं तो हम क्यों नहीं।” उन्होंने हमें रजिस्ट्री के कागजात भी भेजे। यह डीड डॉ. प्राची और सार्थक गुप्ता के नाम से हैं। इस पर इंटरनेशनल ल्यूनर लैंड रजिस्ट्री के रजिस्ट्रार के साइन हैं। इसका कार्यालय न्यूयॉर्क में लिखा हुआ है। डीड में चांद पर खरीदी गई जमीन की लोकेशन भी दी हुई है। इन कागजातों में उनके लूनर रिपब्लिक की नागरिकता का प्रमाणपत्र भी दिया गया है।
‘द लूनर रजिस्ट्री‘ वेबसाइट पर दावा किया गया है, “चांद का केवल 2 फीसदी हिस्सा बेचने के लिए है। प्रमुख क्रेटर और अन्य प्रमुख भौगोलिक विशेषताएं, साथ ही ऐतिहासिक लैंडिंग स्थल, डेवलपमेंट से सुरक्षित हैं। साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि आपको भूभाग की ऊंचाई से पांच किलोमीटर नीचे की गहराई तक के सभी खनिज अधिकार शामिल हैं। इस गहराई को भविष्य में भूमि मालिकों के अनुरोध पर लूनर रिपब्लिक के नागरिकों और सरकार द्वारा बदला जा सकता है।”
इसमें यह भी कहा गया है, “वास्तव में संयुक्त राज्य अमेरिका ने चंद्रमा की सतह पर पहले इंसान को उतारा था। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र चंद्रमा संधि के प्रावधानों के तहत, संयुक्त राज्य अमेरिका ने लूना के स्वामित्व या संप्रभुता का दावा नहीं किया और न ही कर सकता है। लूनर सेटलमेंट इनिशिएटिव (एलएसआई) के अनुपालन में हम चंद्रमा पर सीमित भूमि के दावे की पेशकश करते हैं – लूना की पूरी सतह का केवल लगभग 2%। हम एलएसआई की शर्तों से संपत्ति को केवल आपके नाम (या आपकी कंपनी के नाम) में पंजीकृत करने और आपके दस्तावेज़ों को संसाधित करने, रिकॉर्ड करने और आपको भेजने के लिए एक मामूली शुल्क लेने के लिए बाध्य हैं।”
इसके अलावा एक अन्य वेबसाइट ‘द लूनर एम्बेसी‘ भी चंद्रमा पर जमीन बेच रही है। यह वेबसाइट मार्स और वीनस पर जमीन बेचने का दावा कर रही है। इसके ओनर डैनिस होप पृथ्वी को छोड़कर पूरे सोलर सिस्टम पर अपना दावा करते हैं।
क्या चांद पर जमीन खरीदना संभव है? इसके बाद हमने इस बारे में कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया। 29 जून 2018 को इंडियन एक्सप्रेस में पीटीआई के हवाले छपी खबर के अनुसार, “दावा किया जा रहा है कि बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने हाल ही में चंद्रमा पर संपत्ति खरीदी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तव में उसके पास कागज के एक महंगे टुकड़े से ज्यादा कुछ नहीं हो सकता है। इंटरनेट पर कई कंपनियों के नाम मिलेंगे, जो आपको चंद्रमा और यहां तक कि मंगल ग्रह पर संपत्ति बेचने के इच्छुक हैं। लेकिन ऐसा संभव नहीं है। भारत ने एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जो किसी के लिए भी जमीन के टुकड़े पर कानूनी रूप से दावा करना असंभव बना देता है। इसे आमतौर पर ‘आउटर स्पेस ट्रीटी’ के नाम से जाना जाता है। 10 अक्टूबर 1967 को यह लागू हुई। इसमें कहा गया है, ‘चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाहरी अंतरिक्ष’ ‘मानव जाति की साझी विरासत है और इसका स्वामित्व किसी भी राष्ट्र के पास नहीं हो सकता है। इसका मतलब है कि इसे जब्त नहीं किया जा सकता है, या निजी उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। यह सभी के लिए है। नई दिल्ली में साउथ एशियन यूनिवर्सिटी फैकल्टी ऑफ लीगल स्टडीज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्टेलिना जॉली ने कहा कि साझा विरासत के तहत निजी स्वामित्व लागू नहीं होता है। 104 देशों द्वारा हस्ताक्षरित यह संधि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून का आधार बन गई। भले ही कोई संधि न हो, किसी भी राष्ट्र को लावारिस भूमि के स्वामित्व का दावा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार दो आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। उनका कहना है कि एक- आपको कम से कम कुछ समय के लिए जमीन पर भौतिक कब्जा होना चाहिए। और दूसरा- आपके पास प्रभावी नियंत्रण होना चाहिए। हालांकि, चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों के लिए ये दो शर्तें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। कुछ वेबसाइटों का दावा है कि चूंकि संधि में स्पष्ट रूप से राष्ट्रों का उल्लेख है, न कि उसके नागरिकों का, कोई भी व्यक्ति कानूनी तौर पर चंद्रमा पर जमीन का मालिक हो सकता है।”
खबर में यह भी लिखा है, “हालांकि, संधि में कहा गया है कि सरकारें चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाहरी अंतरिक्ष में राष्ट्रीय गतिविधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी निभाएंगी। चाहे ऐसी गतिविधियां सरकारी एजेंसियों द्वारा या गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा की जाती हों। संधि के अनुसार सरकारों को यह भी आश्वस्त करना चाहिए कि राष्ट्रीय गतिविधियां वर्तमान संधि में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप की जाती हैं। एक उपहार देने वाली वेबसाइट के प्रवक्ता अजकिया आरिफ हुसैन का कहना है कि चंद्रमा पर जमीन खरीदना सबसे अधिक बिकने वाले विकल्पों में से एक है। ‘ओए हैप्पी’ के प्रोडक्ट डेवलपर हुसैन का कहना है कि ग्राहक बस एक फॉर्म भर सकते हैं और उन्हें चंद्रमा पर संपत्ति के अक्षांश और देशांतर का उल्लेख करने वाले दस्तावेज के साथ एक प्रमाण पत्र प्राप्त होता है। चंद्रमा पर एक एकड़ जमीन खरीदने पर लगभग 2,300 रुपये का खर्च आता है, लेकिन वे वास्तव में इसका दावा नहीं कर सकते। लोग ज्यादातर इसे कुछ अलग उपहार देने के प्रतीक के रूप में खरीदते हैं। उनका कहना है कि औसतन दैनिक आधार पर 30 ऐसी खरीदारी होती है, जबकि वेलेंटाइन डे और मदर्स डे जैसे अवसरों के आसपास मांग बढ़ जाती है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्टेलिना जॉली का कहना है कि ऐसी बातों से सरकार परेशान नहीं है क्योंकि ऐसे कार्यों की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। अगर लोग मूर्खतापूर्ण कार्य कर रहे हैं तो सरकार कार्रवाई करने के लिए बाध्य नहीं है। यदि अंतरिक्ष संसाधनों के निजी स्वामित्व के लिए कोई कानून विकसित होता है और टेक्नोलॉजी इंसानों के लिए भौतिक रूप से चंद्रमा तक पहुंचने के लिए पर्याप्त रूप से आगे बढ़ती है, तो शायद समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिसने भी सुशांत सिंह राजपूत को चांद की जमीन बेची है, वे कभी मालिक नहीं थे। उन्होंने कहा कि अगर मेरे पास किसी संपत्ति का मालिकाना हक नहीं है, तो मैं इसे आपको कैसे बेच सकता हूं?”
16 जनवरी 2019 को फोर्ब्स की वेबसाइट पर भी इस बारे में एक रिपोर्ट छपी है। इसमें साइंस फिक्शन ऑथर एच. पॉल हॉशिंगर के हवाले से एक सवाल का जवाब देते हुए लिखा गया है,”चंद्रमा पर जमीन नहीं खरीदी जा सकती है। इसकी वजह है 1967 की आउटर स्पेस ट्रीटी (ओएसटी)। ओएसटी के अनुच्छेद II में कहा गया कि चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों सहित बाहरी अंतरिक्ष, संप्रभुता के दावे, उपयोग या कब्जे के माध्यम से, या किसी अन्य माध्यम से राष्ट्रीय विनियोग के अधीन नहीं है।संक्षेप में OST कहता है कि कोई भी राष्ट्र चंद्रमा सहित बाहरी अंतरिक्ष में किसी भी पिंड पर संप्रभुता का प्रयोग नहीं कर सकता है। कोई भी निजी व्यक्ति संपत्ति का मालिक नहीं हो सकता है। कानून के तहत स्वामित्व के अधिकारों का कोई भी स्वतंत्र रूप से तब तक उपयोग नहीं कर सकता है, जब तक कि उस भूमि पर पहले किसी संप्रभु द्वारा कानूनी रूप से दावा नहीं किया गया हो और जब तक कि उस संप्रभु ने एक कानूनी प्रणाली स्थापित नहीं की हो जो उस स्वामित्व को मान्यता देती है और उसकी रक्षा करती है।”
10 अक्टूबर 1967 को लागू हुई आउटर स्पेस ट्रीटी की कॉपी को यहां देखा जा सकता है। इसे 27 जनवरी 1967 को साइन किया गया था।
इस बारे में अधिक पुष्टि के लिए हमने डिफेंस एंड एअरोस्पेस एक्सपर्ट गिरीश लिंगन्ना से बात की। उनका कहना है, “चंद्रमा समेत आउटर स्पेस पर किसी का स्वामित्व नहीं है। 1967 में लागू हुई संधि में साफ-साफ उल्लेख है कि यह सबकी साक्षा विरासत है। किसी की निजी संपत्ति नहीं है। चंद्रमा पर जमीन खरीदना संभव नहीं है। जब वहां कोई मालिक ही नहीं है तो जमीन बेची कैसी जा सकती है?“
निष्कर्ष- चंद्रमा पर जमीन नहीं खरीदी जा सकती है। 10 अक्टूबर 1967 को लागू हुई आउटर स्पेस ट्रीटी के अनुसार, चंद्रमा किसी की निजी संपत्ति नहीं है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि व्यक्तियों या किसी इकाई के स्वामित्व को किसी भी स्पेस में जाने वाले राष्ट्रों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। यह मात्र एक प्रतीकात्मक चिह्न है। इसको कोई कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है।