Quick Fact Check: 10 सेकेंड तक सांस रोकना कोरोना वायरस का सेल्फ-चेक टेस्ट है, दावा करने वाला फेक पोस्ट फिर से हुआ वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़): कुछ महीने पहले Vishvas News ने एक पोस्ट को डिबंक किया था, जिसमें COVID-19 के लिए सेल्फ-चेक टेस्ट की बात की गई थी। अब एक बार फिर से सोशल मीडिया पर यह पोस्ट वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया गया है कि यह एक साधारण सेल्फ-चेक टेस्ट है, जिससे चेक किया जा सकता है कि आपको कोरोना वायरस है या नहीं। पोस्ट के अनुसार, आपको बस एक गहरी सांस लेने की जरूरत है और अगर आप इसे बिना किसी परेशानी के सफलतापूर्वक 10 सेकेंड से ज्यादा समय तक रोक सकते हैं तो आपको कोरोना वायरस संक्रमण नहीं है। Vishvas News ने इस पोस्ट की पड़ताल पहले की थी और पाया था कि यह फर्जी है।

क्लेम

सोशल मीडिया पर जो पोस्ट फिर से वायरल हो रहा है, उसमें लिखा है: “COVID-19, एक मिनट लो और पढ़ो। समझदार बनो!!! एक जापानी चिकित्सक ने COVID-19 को रोकने के लिए बेहतरीन सलाह दी है। नए कोरोनो वायरस के लक्षण कई दिनों (14-27 दिन) तक नहीं दिख सकते हैं। व्यक्ति यह कैसे जान सकता है कि उसे संक्रमण है? जब तक उसे बुखार या खांसी होती है और वो अस्पताल में जाता है तब तक रोगी को 50% फाइब्रोसिस हो सकता है और फिर बहुत देर हो चुकी होती है। ताइवान के विशेषज्ञों ने एक आसान सेल्फ-मॉनिटरिंग उपलब्ध कराई है, जो हम हर सुबह कर सकते हैं। एक गहरी सांस लें और 10 सेकेंड से ज्यादा तक अपनी सांस को रोकें। यदि आप बिना किसी परेशानी के, बिना खांसे या सीने में जकड़न के यह सफलतापूर्वक कर सकते हैं तो इससे यह पता चलता है कि आपको फाइब्रोसिस नहीं है और यह दिखाता है कि कोई संक्रमण नहीं है।”

यहां पूरी पोस्ट देखी जा सकती है।

पड़ताल

Vishvas News ने सर्च किया कि क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) या स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनता के लिए इस तरह का कोई भी सेल्फ-टेस्ट जारी किया है। कहीं भी, स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट में सेल्फ-टेस्ट का उल्लेख नहीं किया गया है।

चीन और ताइवान के डॉक्टरों का नाम लेकर इसे वायरल किया जा रहा है। हालांकि, इस तरह के शोध कहीं भी उपलब्ध नहीं थे।

Vishvas News ने नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के क्रिटिकल केयर के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजेश चावला से संपर्क किया। उन्होंने इस दावे का खंडन करते हुए कहा, “यह गलत है, इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि कोरोना वायरस 50 फीसद फाइब्रोसिस का कारण बनता है और यह कोरोना वायरस के लिए सेल्फ-चेक टेस्ट नहीं है।”

पूरा फैक्ट चेक यहां देख जा सकता है।

निष्कर्ष

नहीं, 10 सेकेंड तक सांस रोकना कोरोनावायरस का सेल्फ-चेक टेस्ट नहीं है। यह फेक पोस्ट कुछ दिनों पहले डिबंक किया गया था। सोशल मीडिया पर यह एक बार फिर से वायरल हो रहा है।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

False
Symbols that define nature of fake news
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