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In-Depth: कोविड-19 से जुड़ी झूठी खबरों की पड़ताल और वैक्सीन को लेकर झिझक व मिथक तोड़ने का प्रयास

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। कोविड-19 के काफी खतरनाक संक्रमण के दौर में भारत ने जनवरी 2021 में इसके खिलाफ व्यापक पैमाने पर कोरोनावायरस वैक्सीन ड्राइव लॉन्च की। भारत उन देशों में शुमार है, जहां दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीनेशन ड्राइव चल रही है।

सरकार एक दिन में 30 लाख से अधिक वैक्सीन डोज लगवाकर इसे और पुश कर रही है। वैक्सीनेशन ड्राइव के 81वें दिन यानी बीते 6 अप्रैल को कुल 33,37,601 वैक्सीन डोज दी गई थीं।

कोविड-19 से जुड़े झूठे और भ्रामक दावों का खुलासा

भारत में जैसे-जैसे कोरोना वायरस के मामले बढ़े हैं, इससे जुड़ी भ्रामक सूचनाएं का भी खूब प्रसार हुआ है। कोरोना वायरस और इसकी वैक्सीनों से जुड़े ढेरों भ्रामक और झूठे दावे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। ऐसा ही एक दावा पिछले दिनों वायरल हुआ था कि कानपुर में वैक्सीन लेने के बाद 40 छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा झूठा निकला। 2018 में रुबेला का टीका लगने के बाद छात्रों को भर्ती कराना पड़ा था। इसी पुराने मामले को फर्जी दावे के साथ वायरल किया जा रहा था।

ऐसा ही एक दावा वायरल हो रहा था कि कोविड-19 के वैक्सीनेशन के बाद अस्पताल में हिंसा भड़क गई। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा भी झूठा निकला। इस पोस्ट के साथ दिखाई जा रही तस्वीर पुरानी थी और इसका कोविड-19 वैक्सीनेशन से कोई संबंध नहीं था।

सोशल मीडिया पर फैल रही झूठी और भ्रामक खबरों को वैक्सीन के प्रति हिचक की एक बड़ी वजह समझा जा रहा है। यह वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। विश्वास न्यूज ने ऐसी ही एक फर्जी खबर का खुलासा किया, जिसमें दावा किया जा रहा था कि अमेरिका में Pfizer/BioNTech कोविड-19 वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद एक नर्स बेहोश हो गई, बाद में जिसकी मौत हो गई। हमारी पड़ताल में ये दावा झूठा पाया गया। जिस नर्स के बारे में यह दावा किया जा रहा था, वह जिंदा और स्वस्थ हैं। वह जिस अस्पताल में काम करती हैं, वहां से सबूत के तौर पर उनका वीडियो भी रिलीज किया गया था।

कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर पैनल डिस्कशन

कोरोना वायरस की महामारी से एक साल से अधिक समय से मजबूती से लड़ने के बाद अब भारत में व्यापक वैक्सीनेशन ड्राइव चल रही है। ऐसे में कोरोना वायरस वैक्सीन से जुड़े सवालों के जवाब के लिए जागरण न्यू मीडिया के Pratyush Ranjan और अभिनव गुप्ता ने Jagran Dialogues – Strengthening India नाम की पहले के अंतर्गत 22 फरवरी 2021 को डॉक्टर नवीन ठक्कर और डॉक्टर वीरेंद्र कुमार मित्तल संग पैनल डिस्कशन किया था।

कोविड वैक्सीनेशन की जरूरत और इसके बारे में एक बेहतर समझ के लिए हमने जागरण डायलॉग्स के तत्वाधान में एक्पर्ट्स के साथ एक और विस्तृत चर्चा की। जागरण न्यू मीडिया की उर्वशी कपूर और संयुक्ता बैजल ने 23 मार्च 2021 को यूनिसेफ की हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉक्टर कनुप्रिया सिंघल और अपोलो अस्पताल के रेस्पिरेटरी एंड पल्मनोरी केअर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर निखिल मोदी संग व्यापक चर्चा की।

आखिरकार एक वायरस का नया वेरिएंट कैसे सामने आता है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, जब कोई वायरस बड़ी आबादी के बीच व्यापक रूप से फैलता है, तो इसके म्यूटेंट होने की आशंका उतनी ही अधिक होती है। वायरस को फैलने के जितने मौके मिलते हैं, ये खुद के नए संस्करण बनाता जाता है और खुद में बदलाव लाते रहने के नए मौके लाता रहता है।

भारत में कोविड-19 वैक्सीनों की स्थिति

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने भारत में दो वैक्सीनों को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी है। ये हैं कोविडशील्ड (सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाई गई एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन) और कोवैक्सीन (भारत बायोटेक लिमिटेड द्वारा बनाई गई)।

दोनों वैक्सीन के डोज

कोविशील्ड वैक्सीन की दो डोजों के बीच समयांतराल को चार-छह सप्ताह से बढ़ाकर 4-8 सप्ताह कर दिया गया है। कोवैक्सीन की दूसरी डोज, पहली डोज लेने के 4 से 6 सप्ताह बाद ली जा सकती है।

क्या हमारे पास वैक्सीन के चुनाव का विकल्प उपलब्ध है?

उपलब्धता, वितरण योजना और बेनिफिशियरीज के हिसाब से वैक्सीन की सप्लाई पूरे भारत में की रही है। ऐसे में वर्तमान स्थिति में वैक्सीन के चुनाव का विकल्प उपलब्ध नहीं है।

क्या वैक्सीन लेने के बाद भी हमें मास्क का इस्तेमाल या कोविड-19 से बचाव के दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करना होगा?

हां, कोविड-19 वैक्सीन लेने वालों के लिए भी यह जरूरी है कि वह कोविड-19 से बचाव के सारे प्रोटोकॉल को फॉलो करते रहें।

वैक्सीनेशन के कितने दिन बाद जरूरी इम्यून रिस्पॉन्स और सुरक्षा विकसित होती है?

वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के 2-3 हफ्तों के बाद जरूरी प्रतिरक्षा तंत्र रिस्पॉन्स विकसित होता है।

WHO के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन लेने के प्रति हिचक वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। सोशल मीडिया पर एंटी वैक्सीन भ्रामक और फर्जी खबरों की भरमार है। हालांकि, हम सोशल मीडिया पर दिखने वाली ऐसी हर पोस्ट को फॉरवर्ड या शेयर करने से पहले इसका फैक्ट चेक कर लें तो भ्रामक सूचनाओं से पैदा होने वाली समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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