Fact Check : फेफड़ों की सेहत जांचने के नाम पर वायरल वीडियो में किया जा रहा दावा भ्रामक

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि फेफड़ों को जांचने के तरीके को लेकर वायरल वीडियो में किया जा रहा दावा भ्रामक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वायरल दावे को गलत बताया है। उनके मुताबिक, सांस रोकने से फेफड़ों के स्वस्थ होने के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है। यह दावा कोरोना के समय से सोशल मीडिया पर वायरल है। 

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया पर फेफड़ों की जांच के नाम पर एक वीडियो वायरल हो रही है। वीडियो में दावा किया जा रहा है कि आपको दिए गए प्वाइंट्स तक सांस को रोकना है। अगर आप प्वाइंट तीन तक सांस रोक पाते हैं, तो आपके फेफड़े स्वस्थ नहीं हैं और आपको डॉक्टर से जांच करने की आवश्यकता है। अगर आप प्वाइंट पांच तक सांस को रोक लेते हैं तो आपके फेफड़े ठीक-ठाक हैं। अगर आप प्वाइंट सात तक अपनी सांस को रोककर  रख लेते हैं तो आपके फेफड़े स्वस्थ हैं। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वायरल दावे को गलत बताया है। उनके मुताबिक, सांस रोकने से फेफड़ों के स्वस्थ होने के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है। यह दावा कोरोना के समय से सोशल मीडिया पर वायरल है। 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर अनुजके सपोर्ट ने 19 मार्च 2024 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, इस वीडियो से आप चेक कर सकते हैं कि आपके फेफड़ा स्वास्थ है या नहीं।

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें दावे से जुड़ी एक पोस्ट (आर्काइव लिंक) विश्व स्वास्थ्य संगठन की आधिकारिक फेसबुक पोस्ट पर मिला। मौजूद जानकारी के मुताबिक, सांस रोकने से फेफड़ों के स्वस्थ होने के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है।

https://twitter.com/WHO/status/1244314434581016576

पड़ताल के दौरान हमें हेल्थ और साइंस से जुड़ी खबरों को प्रकाशित करने वाली वेबसाइट साइंस डायरेक्ट पर एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में सांस लेने के पैटर्न के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट (आर्काइव लिंक) के अनुसार, सांस लेने के पैटर्न व्यक्तियों में अलग-अलग होते है। यह दर्द, भावना, शरीर के तापमान, नींद, शरीर की स्थिति और गतिविधि पर आधारित होता है। 

यह दावा पहले भी कई बार सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। उस दौरान विश्वास न्यूज ने इसकी पड़ताल कर सच्चाई सामने रखी थ। हमने सिटिजन स्पेशियलिटी हॉस्पिटल हैदराबाद के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ Prashanth Mukka से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया था, “वायरल वीडियो यह दावा कर रहा है कि यदि आप बिंदु एक प्वाइंट  से दूसरे प्वाइंट तक अपनी सांस रोक सकते हैं, तो आपके फेफड़े स्वस्थ हैं, झूठा और भ्रामक है। हर किसी व्यक्ति के फेफड़ों की क्षमता अलग-अलग होती है, इसलिए कोई व्यक्ति कितनी देर तक सांस रोक सकता है, यह उसके फेफड़ों की क्षमता पर निर्भर करता है।”

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। यूजर ने प्रोफाइल पर खुद को लखनऊ का रहने वाला बताया हुआ है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि फेफड़ों को जांचने के तरीके को लेकर वायरल वीडियो में किया जा रहा दावा भ्रामक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वायरल दावे को गलत बताया है। उनके मुताबिक, सांस रोकने से फेफड़ों के स्वस्थ होने के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता है। यह दावा कोरोना के समय से सोशल मीडिया पर वायरल है। 

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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