Fact Check:स्ट्रोक पीड़ित की उंगलियों पर सुई चुभोने या उसके कान खींचने से जान बचाने का दावा करने वाली पोस्ट भ्रामक है

Fact Check:स्ट्रोक पीड़ित की उंगलियों पर सुई चुभोने या उसके कान खींचने से जान बचाने का दावा करने वाली पोस्ट भ्रामक है


नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)।सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि अगर किसी स्ट्रोक पीड़ित की उंगलियों पर सुई चुभोई जाए तो उसे कुछ समय में होश जाएगा और उसकी जान बच सकती है। यही नहीं, इस पोस्ट में आगे कहा गया है कि अगर पीड़ित का मुंह टेढ़ा हो गया है तो उसके कानों को तबतक खींचना चाहिए जबतक वे लाल न हो जाएं और तबतक सुई चुभोनी चाहिए जबतक खून न जाए। दावे के मुताबिक यह तकनीक पीड़ित के मस्तिष्क की कोशिकाओं को फटने से रोकेगी। पोस्ट के मुताबिक चीन के एक्सपर्ट्स ने इस मेथड को 100 फीसदी प्रभावी माना है और ऐसा करके आप स्ट्रोक पीड़ित की जान बचा सकते हैं। विश्वास न्यूज की पड़ताल में इस पोस्ट का दावा भ्रामक पाया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में

वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि स्ट्रोक पीड़ित शख्स की उंगलियों पर सुई चुभोने से उसकी जान बचाई जा सकती है। ऐसा करने से पीड़ित को कुछ समय बाद होश आ जाएगा। इस पोस्ट में यह भी कहा गया है कि अगर किसी स्ट्रोक पीड़ित का मुंह टेढ़ा हो गया है तो उसकी कानों को तबतक खींचना चाहिए जबतक वे लाल न जाएं और उन्हें तबतक सुई चुभाना चाहिए जबतक खून न आ जाए। दावे के मुताबिक ऐसा कर मस्तिष्क की कोशिकाओं को फटने से बचाया जा सकता है। इसमें एक चीनी एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि यह तकनीक 100 फीसदी प्रभावी है और इसकी मदद से किसी स्ट्रोक पीड़ित की जान बचाई जा सकती है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने उचित कीवर्ड्स की मदद से ऑनलाइन सर्च कर अपनी पड़ताल शुरू की। हमने पाया कि यह मैसेज 2003 से ही ऑनलाइन शेयर किया जा रहा है।

हमें अपनी खोज के दौरान न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर पब्लिश एक आर्टिकल मिला। इस आर्टिकल के मुताबिक, वायरल पोस्ट के इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि किसी स्ट्रोक पीड़ित की उंगलियों पर सुई चुभोकर या उसके कानों को खींचकर उसकी जान बचाई जा सकती है। वस्तुतः ऐसा करने से नुकसान भी हो सकता है।

सुई चुभोने या कान खींचने की तकनीक को आजमाने के असर का जिक्र करते हुए ड्यूक स्ट्रोक सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर लैरी बी गोल्डस्टीन ने कहा, ‘पीड़ित की उंगलियों में सुई चुभाना बुरा आइडिया है। केवल इसलिए नहीं कि ऐसा करना व्यर्थ है बल्कि ऐसा करने से मेडिकल ट्रीटमेंट में देरी हो सकती है जो कि एकमात्र ऐसी चीज है जिससे मदद मिल सकती है।’

विश्वास न्यूज ने आगे अपनी खोज जारी रखी। हमें येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर और एक अमेरिकी क्लिनिकल न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर स्टीवन पी नॉवेला की एक रिपोर्ट मिली। अपनी NEUROLOGICAblog की वेबसाइट पर पब्लिश इस रिपोर्ट में डॉक्टर स्टीवन लिखते हैं, ‘सबसे पहले उन दावों से शुरुआत करते हैं- जिनके मुताबिक उंगली या कान के निचले हिस्से में सुई चुभोने से स्ट्रोक से होने वाले स्थायी नुकसान से बचाव होगा।

असल में स्ट्रोक कई प्रकार के होते हैं। ये प्रकार लक्षणों के हिसाब से होते हैं, मसलन स्ट्रोक जैसा या अचानक स्ट्रोक आया। मुख्य रूप से स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं- हेमोराजिक और अस्केमिक। हेमोराजिक स्ट्रोक ब्रेन में ब्लीडिंग की वजह से होता है। अस्केमिक स्ट्रोक ब्रेन के एक हिस्से तक खून के प्रवाह की कमी से होता है। स्ट्रोक को आगे ब्लॉकेज के आधार पर भी बांटा जाता है। अस्केमिक स्ट्रोक से मस्तिष्क के उत्तकों और इसकी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंच कर ब्लीडिंग भी हो सकती है।

ऐसी कोई स्थिति नहीं होती जिसमें दिमाग की सारी कोशिकाएं फट जाती हैं। ऐसा स्ट्रोक में नहीं होता। अधिकतम यह हो सकता है कि अस्केमिक स्ट्रोक में ब्लीडिंग हो सकती है। हालांकि ऐसा कोई सबूत नहीं या यह मानने का कोई ठोस कारण नहीं है कि इस ईमेल में बताए गए तरीकों से सेकंडरी ब्लीडिंग को रोका जा सकता है। इसके अलावा उंगली का कान के निचले हिस्से में सुई चुभोने से कम मात्रा में ब्लीडिंग होगी और यह स्ट्रोक पीड़ित के हेमोडायनैमिक्स को प्रभावित नहीं करेगी। और अगर कहीं ऐसा होता है तो यह मस्तिष्क के प्रसार और ऑक्सिजन प्रवाह को कम कर स्ट्रोक की समस्या को और विकराल बना सकती है। 

इस वायरल मैसेज में यह भी दावा किया गया है कि चीन के एक्सपर्ट्स के हिसाब से यह तरीका 100 फीसदी प्रभावी है और इसकी मदद से स्ट्रोक से किसी की जान बचाई जा सकती है।

इस दावे की पुष्टि के लिए हमने आगे सर्च किया और हमें Tianjin College of Traditional Chinese Medicine की 2005 की एक स्टडी मिली।

इस स्टडी का उद्देश्य प्रारंभिक लकवा रोगियों के हाथों के 12 बिंदुओं पर रक्त रोधन पंचर के असर को जानना था। इसके मुताबिक हाथों के 12 बिंदुओं पर रक्त-रोधन पंचरचेतना का स्तर बढ़ा सकता है और माइल्ड इंजुरी वाले पेशेंट में सिस्टोलिक प्रेशर बढ़ाता है। हालांकि यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि स्टडी में शामिल हुए रोगियों की पहले से अच्छी जांच हो चुकी थी और वे हॉस्पिटल में थे। साथ ही इसका प्रयोग केवल माइल्ड इंजुरी ग्रुप पर किया गया। आर्टिकल निश्चित तौर इस बात का सुझाव नहीं देता कि स्ट्रोक पीड़ितों को त्वरित मेडिकल ट्रीटमेंट दिलाने की बजाय घर पर ये तकनीक अपनाई जाए।

Mayoclinic वेबसाइट पर मौजूद आर्टिकल के मुताबिक स्ट्रोक के मामले में पीड़ित को त्वरित मेडिकल सहायता लेनी चाहिए। आर्टिकल के मुताबिक, ‘स्ट्रोक आपातकालीन स्थिति है। जितनी जल्दी इलाज मिलेगा नुकसान उतना कम किया जा सकेगा, क्योंकि हर पल बेहद अहम है।‘

विश्वास न्यूज ने इस संबंध में न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर गुरुराज मल्लिकार्जुन से बात की। उनके मुताबिक, ‘इस वायरल मैसेज के दावे पूरी तरीके से आधारविहीन और झूठे हैं। इस मैसेज की कोई प्रमाणिकता नहीं है। स्ट्रोक के मामले में तत्काल चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।’

निष्कर्ष:स्ट्रोक पीड़ित की उंगलियों में सुई चुभो या उसके कान खींच जान बचाने का वायरल पोस्ट का दावा भ्रामक पाया गया है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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