Fact Check: विटामिन बी-17 की कमी को कैंसर का कारण बताने वाला वीडियो भ्रामक है

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि अंगूर के बीज और कड़वे बादाम के सेवन से कैंसर के ठीक होने का दावा भ्रामक है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि कैंसर विटामिन बी-17 की कमी से होता है और अंगूर के बीज और कड़वे बादाम का सेवन करने से कैंसर ठीक हो जाएगा। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि अंगूर के बीज और कड़वे बादाम के सेवन से कैंसर के ठीक होने का दावा भ्रामक है।

क्या हो रहा है वायरल?

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि कैंसर विशेष रूप से विटामिन बी -17 की कमी के कारण होता है। इसके अलावा कड़वे बादाम और डिंडीगुल में उगने वाले अंगूर के बीज का सेवन करने से कैंसर ठीक हो जाएगा।

इस फेसबुक पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

पड़ताल करने के लिए हमने WHO की वेबसाइट पर खोज की। हमने पाया कि WHO ने कहीं नहीं कहा कि विटामिन B17 की कमी से कैंसर होता है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कैंसर या तो किसी व्यक्ति के आनुवांशिक कारकों की वजह से या बाहरी एजेंटों की तीन श्रेणियों के कारण होता है – भौतिक कार्सिनोजन, रासायनिक कार्सिनोजन और जैविक कार्सिनोजन।

हमें यूके आधारित एक शोध लेख भी मिला, जिसमें कहा गया था, कि कुछ लोग लेट्राइल को विटामिन बी-17 कहते हैं। हालांकि, यह विटामिन नहीं है। शोध के अनुसार, “लेट्राइल प्राकृतिक पदार्थ एमिग्डालिन का आंशिक रूप से मानव निर्मित (सिंथेटिक) प्रतिरूप है। एमिग्डालिन एक संयंत्र पदार्थ है जो कच्चे नट्स, कड़वे बादाम, साथ ही खुबानी और चेरी के बीज में पाया जाता है … सन 1800 के बाद से लेट्राइल को एक एंटी कैंसर एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। हालांकि, हाल के अध्ययनों से पता चला है कि लेट्राइल कुछ कैंसर में कैंसर कोशिकाओं को मार सकता है पर इसके पर्याप्त विश्वसनीय वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि लेट्राइल या एमिग्डालिन कैंसर का इलाज कर सकते हैं। इसके बावजूद, इसे अभी भी एक वैकल्पिक कैंसर उपचार के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।”

दावे में अंगूर की बात की गयी है, हमने ढूंढा और पाया कि ऐसा कोई प्रामाणिक वैज्ञानिक शोध नहीं हैं, जिनसे यह प्रूव किया जा सके कि अंगूर का सेवन करने से कैंसर का इलाज हो सकता है।

मेमोरियल स्लोन कैटरिंग कैंसर सेंटर (MSKCC) वेबसाइट के लेख के अनुसार, “अंगूर बीज का अर्क उस तेल से प्राप्त होता है जो कि रेड वाइन बनने के बाद बचे अंगूर से आता है। अर्क में प्रोएंथोसाइनिडिन नामक एक पदार्थ होता है, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं… शराब उत्पादन के बायप्रोडक्ट के रूप में प्राप्त अंगूर के बीज का अर्क एंटीऑक्सिडेंट गुणों के पूरक के रूप में विपणन किया जाता है। केवल कुछ प्रारंभिक अध्ययनों में यह देखने की कोशिश की गयी है कि अंगूर के बीज का अर्क कैंसर के रोगियों की मदद कर सकता है या नहीं। इन अध्ययनों के अभी कोई कन्क्लूजिव रिजल्ट नहीं आये हैं।”

हालांकि, MSKCC ने यह भी स्पष्ट किया कि इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण हैं, मगर अंगूर के बीज को कैंसर का इलाज करने या रोकने के लिए नहीं इस्तेमाल किया जा सकता।

हेल्थकेयर ग्लोबल हॉस्पिटल, बेंगलुरु में कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ किरण पी के ने कहा, “यह दावा भ्रामक है। पोषण की कमी से प्रतिरक्षा की कमी हो सकती है, जो म्यूटेशन से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा को प्रभावित कर सकती है, जिससे कैंसर हो सकता है।”

डॉ किरण ने बताया, “अंगूर के बीज का अर्क कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद करता है और कैंसर पर उनके प्रभाव पर अध्ययन वर्षों से चल रहा है। कैंसर का इलाज करने वाले अंगूरों पर कोई निर्णायक सबूत नहीं दे पाए हैं। अंगूर के बीज के प्रोन्थोसाइनिडिन्स (जीएसपी) ने इलाज से ज्यादा रोकथाम में मदद की है।”

इस पोस्ट को உணவே மருந்து नाम के एक फेसबुक पेज ने शेयर किया था। इस पेज के फेसबुक पर कुल 723,721 फ़ॉलोअर्स हैं।

इस स्टोरी का TAMIL वर्जन और ENGLISH वर्जन यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि अंगूर के बीज और कड़वे बादाम के सेवन से कैंसर के ठीक होने का दावा भ्रामक है।

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